भारत के समृद्धि की कहानी कहती पुस्तक
भारत एक धर्मप्राण देश है। यहाँ का सम्पूर्ण जीवनचक्र धर्म के चतुर्दिक घूमता रहता है। धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को पुरुषार्थ माना गया है। धर्म पूर्वक जीवन-यापन करते हुए अर्थ का उपार्जन करना और उसका त्यागपूर्ण उपभोग करते हुए मोक्ष के पथ पर अग्रसर होना ही नीति के अनुकूल माना गया है। धनोपार्जन के अनेक उपादानों का विवरण भारतीय वांङ्मय में बताया गया है।