बटुकनाथ की विद्वता
कहने को तो उपर्युक्त ग्रन्थ को लेखक ने एक संशयग्रस्त, किंकर्त्तव्यविमूढ़, जिज्ञासु की अनवरत चलने वाली आध्यात्मिक यात्रा कहा है, पर अपने विशाल भक्त समुदाय द्वारा अवतार-पुरुष माने जाने वाले श्री सत्य साई बाबा की गीता की व्याख्या को देश की पारम्परिक दिव्य संस्कृति के एक सार्थक अलंकार के रूप में प्रस्तुत किया गया है।