बरखा की पहली सौगात ले आये

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पृथ्वी पर आने वाली छहों ऋतुओं में प्रकृति छह बार नूतन शृंगार करती हैं। यों तो ऋतु चक्र में प्रकृति के सभी रूप मनोहर होते हैं, किंतु झुलसते ग्रीष्म के बाद उमड़-घुमड़ कर आने वाले मेघों को देखकर मन विशेष आह्वाद व शीतलता का अनुभव करता है। वर्षा की फुहारें मनुष्य ही नहीं, जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों और वनस्पितयों तक नवजीवन का संचार कर देती हैं।

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