बाबरी ढांचे के विध्वंस की कहानी…
6 दिसंबर 1992 के दिन सूर्य की लालिमा कुछ अलग ही नजर आ रही थी शायद उन्हें भी इस बात का आभास हो गया था कि आज का दिन इतिहास के सुनहरे पन्नों में लिखा जाने वाला है। अयोध्या में उगते सूर्य के साथ ही भीड़ बढ़ने लगी थी और…
6 दिसंबर 1992 के दिन सूर्य की लालिमा कुछ अलग ही नजर आ रही थी शायद उन्हें भी इस बात का आभास हो गया था कि आज का दिन इतिहास के सुनहरे पन्नों में लिखा जाने वाला है। अयोध्या में उगते सूर्य के साथ ही भीड़ बढ़ने लगी थी और…