मन ही वैरी और मन ही मित्र है !!
अंतःकरण में ज्ञान, आँखों में वैराग्य और मुख में भक्ति रखो तो दुनिया में नहीं फँसोगे। मन को संसार के विषयों से निकालकर अंतर्मुख करो, तब सभी वासनाएँ मिट जायेंगी, विकार दूर हो जायेंगे। दुनिया में कोई किसीका वैरी नहीं है। मन ही मनुष्य का वैरी और मित्र है। कोई…