चम्बल के संत ‘भाई जी’ सुब्बाराव

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कोई समय था, जब चम्बल की पहाड़ियों और घाटियों में डाकुओं का आतंक चरम पर था। ये डाकू स्वयं को बागी कहते थे। हर दिन वहाँ बन्दूकें गरजती रहती थीं। ऐसे में गांधी, विनोबा और जयप्रकाश नारायण से प्रभावित सालिम नंजदुइयाह सुब्बाराव ने स्वयं को इस क्षेत्र में समर्पित कर…

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