भावरूप राम
मानवीय चेतना की चरम अवस्था में ‘राम’ नाम की अनुभूति और प्रतीति शब्दातीत हो जाती है। राम के इस आध्यात्मिक भावनात्मक स्वरूप का आचमन करने हेतु किसी भी प्राणी के लिए तपबल से अर्जित पुण्य नितान्त आवश्यक है।
मानवीय चेतना की चरम अवस्था में ‘राम’ नाम की अनुभूति और प्रतीति शब्दातीत हो जाती है। राम के इस आध्यात्मिक भावनात्मक स्वरूप का आचमन करने हेतु किसी भी प्राणी के लिए तपबल से अर्जित पुण्य नितान्त आवश्यक है।