सेवा और विवेक
सेवा ऐसा शब्द है, जिसकी व्यापित अनंत है। ईश्वर भी अनंत है। इसलिए दोनों अनंतों का मेल ही ईशसेवा है। वस्तुत: दोनों शब्दों को फृथक मानना भी ठीक नहीं होगा।
सेवा ऐसा शब्द है, जिसकी व्यापित अनंत है। ईश्वर भी अनंत है। इसलिए दोनों अनंतों का मेल ही ईशसेवा है। वस्तुत: दोनों शब्दों को फृथक मानना भी ठीक नहीं होगा।