मेघदूत का टी.ए. बिल
“ऑडिटर कालिदास से बोले, ‘सर, आपकी रचनाएं तो समयमान-वेतनमान में नहीं, युगांतर में भी पाठकों के आकाश में यात्रा करती रहेंगी।’ कालिदास प्रमुदित थे। ऑडिट में साहित्य रस का ऐसा योग? ऑडिटर के सत्कार के बाद कालिदास विदा हुए तो ऑडिट की आपत्तियां भी विदा हो गईं।”