नाद योग शब्द ब्रह्मा की साधना
योग संस्कृत की युज् धातु से बना है इसका अर्थ है, मिलना,जोड़ना । व्यक्ति की चेतना का ब्रह्मांड की चेतना से जोड़ना, आत्मा का परमात्मा से मिलन ,मन और शरीर का सामंजस्य ,मनुष्य का प्रकृति के साथ जुड़ना आदि।योग परिपूर्ण सामंजस्य की अवस्था का द्योतक है । अंतिम परिणाम मुक्ति, निर्वाण, कैवल्य, मोक्ष या परम पद के रूप में देखा जाता है। योग को मन और शरीर के बीच सामंजस्य स्थापित करने या स्वस्थ जीवन यापन की कला एवं विज्ञान कहा जा सकता है।