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आओ स्मार्ट बनें

by पुष्कर मंत्री
in जनवरी २०१८, तकनीक, सामाजिक
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संवाद के संवहन का तंत्र १९९० के बाद तेज गति से विकसित हुआ. गति इतनी तीव्र थी कि पेजर जैसा जेबी यंत्र दो वर्ष में ही बाहर हो गया. टाइपराइटर पर/कंप्यूटर कीबोर्ड पर टंकलेखन जीवनभर न करने वाले बहादुर अब मोबाइल स्क्रीन पर अपनी उंगलियों के पोर नचाते हुए व्हाट्सएप, फेसबुक आदि सोशल मीडिया पर अपनी मौजूदगी प्रभावी रूप से प्रदर्शित करने लगे हैं. इसका उपयोग छोटे-बड़े सब करने लगे और इस तरह एक बड़ा बाजार निर्माण हो गया है. बाजार का नियम है, मांग के अनुसार आपूर्ति. यह सिद्धांत अब कई गुणा सफल हुआ है. स्मार्ट फोन के कारण उपयोगकर्ता का जीवन पूरी तरह बदल जाता है. आधुनिक दुनिया में वह सफलता का मानक है.
आज स्मार्ट फोन के कारण निम्नलिखित यंत्रों/यंत्रों के कार्य सहजता से हो सकते हैं. मोबाइल फोन, घड़ी, कैमरा, वीडियो शूटिंग, टीवी/रेडियो, प्रोजेक्टर, माइक, स्पीकर्स, डीजे, रिमोट कंट्रोल, कंप्यूटर, दस्तावेज स्कैनर, टार्च, रेलवे/बसों की समयसारिणी, कैलेण्डर, अपॉइंटमेंट डायरी, अंतरों की गिनती, कदमों की गिनती, कैलरी ज्वलन, दिशादर्शक नक्शे देखकर रास्ते का मार्गदर्शन, पुस्तक पढ़ना, दृक्श्राव्य माध्यमों का उपयोग कर एक-दूसरे को देखते हुए संवाद स्थापित करना, अपने फोन से वाईफाई संलग्नता दूसरों को देना, ब्लू टुथ के जरिए जानकारी का स्थानांतरण करना आदि. वॉयस इनपुट के जरिए अंग्रेजी और देवनागरी टंकलेखन आसान होने से कई लोगों ने अपने निजी सचिवों को गैरजरूरी मानकर छोड़ दिया है. आई टिकट की तकनीक के कारण छपे टिकट के बदले मोबाइल पर प्राप्त टिकट रेलवे, थिएटर आदि स्थानों पर जांचकर्ता को दिखाया तो भी चलता है. अनेक एप्स निःशुल्क/न्यूनतम शुल्क पर उपलब्ध हैं. इससे कई काम बिल्कुल आसानी से पूरे हो जाते हैं.
वस्तुओं की खरीदफरोख्त, ई-कॉमर्स के व्यवहार स्मार्ट फोन पर अधिकाधिक बढ़ने से हर उद्योग को अपनी वेबसाइट मोबाइल पर उपलब्ध कराना आवश्यक हो गया है. इसी कारण डेस्कटॉप, लैपटॉप, टैब, स्मार्ट फोन पर खुलने वाली डिवाइस कम्पैटिबल रिस्पॉन्सिव वेबसाइट बनाने का काम आईटी कम्पनियों के पास बढ़ने लगा है. वायटुके के बाद अनेक अवसर आई टी क्षेत्र को उपलब्ध हुए हैं जिनमें यह एक बड़ा अवसर था. उद्योग में केवल वेबसाइट होने से नहीं चलता, उसके साथ मोबाइल एप जरूरी होता है. एंड्राइड़ तथा आईओएस मोबाइल एप बनाने का एक बड़ा बाजार पैदा हो गया है. प्रस्तुत एप में नॉटिफिकेशन्स भेजने की सुविधा उपलब्ध होने से एसएमएस की आवश्यकता कम हो गई है. लेकिन दुनिया भर में १००% लोग अभी स्मार्ट फोन का इस्तेमाल नहीं करते, इसलिए एसएमएस की आवश्यकता अभी खत्म नहीं होगी.
पूर्ववर्ती लैण्डलाइन का स्थान अब मोबाइल ने ले लिया है. इसी तरह लैपटॉप के बदले अच्छे स्मार्ट फोन पर खर्च करना किफायती होने लगा है. दुनियाभर में और भारत में स्मार्ट फोन धारकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. स्मार्ट फोन धारकों की संख्या पर विचार करें तो चीन पहले नंबर पर है और भारत दूसरे नंबर पर. अनेक लोगों के जीवन में, कार्यप्रणाली में, कार्यक्षमता में और सम्पन्नता में इस स्मार्ट फोन का महत्वपूर्ण योगदान है. कई बार स्मार्ट फोन के अति उपयोग की ओर ध्यान आकर्षित किया जाता है. आधुनिकीकरण के अधिसंख्य अस्त्र दुधारी होते हैं. बिजली का शॉक लगने पर किसी व्यक्ति की मौत भी हो सकती है इसलिए बिजली का इस्तेमाल क्या हम बंद कर सकते हैं? हवाई जहाज में खराबी आने पर एसटी की तरह सड़क पर उतर कर जान बचाने का अवसर क्या विमान यात्रा में होता है? आवश्यक सावधानी बरतते हुए प्रौद्योगिकी को अपना गुलाम बनाकर अपना कार्य करवा लेना ही उचित है. इंटरनेट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार,
भारत में कुल मोबाइल धारक हैं- ६५ करोड़
भारत के कुल मोबाइल धारकों में स्मार्ट फोन धारक हैं- ३०० दसलाख
भारत में २०२२ के अंत तक ७०% लोगों के स्मार्ट फोन धारक होने का अनुमान है.
लोकसंख्या की तुलना में केवल २२% से २५% भारतीय जनता स्मार्ट फोन का इस्तेमाल करती है.
उपर्युक्त आंकड़ों पर गौर करें तो स्मार्ट फोन के बाजार की विशालता का सहज अनुमान लगा सकते हैं. स्मार्ट फोन का उत्पादन करना, उसकी आपरेटिंग सिस्टम का उत्पादन करना, विभिन्न जनोपयोगी एप बनाना आदि अनेक अवसर आज पैसे कमाने के लिए उपलब्ध है. बेरोजगारी पर यह एक अच्छा विकल्प उपलब्ध हो रहा है. यह तकनीक भी वैसी मुश्किल नहीं है. कई बार पुनरावृत्ति (रिपीटेड टास्क) के काम ही अधिक होते हैं. यह उसी तरह है जैसे एक गणित को हम हल कर लेते हैं तो अगला गणित आसान हो जाता है. प्रोग्रामिंग में लॉजिक एवं कॉमनसेंस के लिए आवश्यक सिंटेक्स के लिए गूगल गुरू मार्गदर्शन करेगा.
शिक्षा, नौकरी, व्यवसाय के लिए विदेश यात्रा और निवास की भारतीयों को अब आदत हो चुकी है. साठ/सत्तर की आयु पार कर चुके दादा/दादी अपने परिवार के साथ आईएमओ, स्काइप, व्हाट्सएप के जरिए आसानी से वीडियो कांफ्रेंसिंग करते हैं. पेन फ्रेंड का स्थान अब इंटरनेटट फ्रेंड ने लिया है. दुनिया भर के मित्र मंच सहायता के लिए तत्पर हैं. हमारे समक्ष आज जो प्रश्न हैं वे पहले किसी न किसी के समक्ष भी उपस्थित हुए हैं और उनके जवाब भी उन्होंने लिख रखे हैं. खेती, अभियांत्रिकी, चिकित्सा, व्यापार जैसे अनेक क्षेत्रों के मित्र मंच लोगों की मदद के लिए आतुर हैं. मानवी जीवन में उतार-चढ़ाव, जानलेवा स्पर्धा, दुर्घटनाएं जैसी अनेक घटनाएं होती रहती हैं. कभी जीवन में कोई रिक्तता पैदा होने पर जीवन का उद्देश्य की गुम हो जाता है. अपने निरूपयोगी, कबाड़िया सामान हो जाने की अनुभूति मन को कोसती रहती है और नैराश्य आ जाता है. ऐसे समय में कई बार मित्र मंच उपयोगी साबित हो सकते हैं. स्कूली जीवन के लुप्त हो चुके मित्रों/सहेलियों, गुरु-शिष्यों, रिश्तेदारों, पुराने कर्मचारी साथियों के मित्र मंच मन को सुकून दे जाते हैं और गाहे-बगाहे जीवन का उद्देश्य मिल जाता है.
यह ‘तंत्रज्ञान’ स्तंभ की लेखमालिका केवल आपके साथ सुसंवाद से फलने-फूलनेवाली है. अंताक्षरी अकेले नहीं खेली जा सकती. इसलिए ‘तंत्रज्ञान’ हम सब मिलकर सफल बनाएंगे. ‘तंत्रज्ञान’ के माध्यम से तकनीकी ज्ञान का आदान-प्रदान होना अपेक्षित है. तकनीकी ज्ञान सरल शब्दों में बताने से सबकी आसानी से प्रगति होती है. आप अपने स्मार्ट फोन का किस तरह इस्तेमाल कर रहे हैं इसकी मुझे अवश्य सूचना दें. स्मार्ट फोन पर कोई बात करना क्या संभव है इस पर भी हम चर्चा कर सकते हैं, गूगल गुरु को पूछ सकते हैं. हाथ में स्लेट आने पर ही उस पर वर्णाक्षर लिखे जाते हैं, इसलिए पहले हाथ में स्लेट ले ही लें.
‘हिंदी विवेक’ की ओर से अपने पाठकों, प्रतिनिधियों, विज्ञापनदाताओं, आपूर्तिकर्ताओं तथा सभी सम्बंधित व्यक्तियों का जीवन स्मार्ट फोन की ओर से परिवर्तित करने के लिए अभियान चलाए जाने की नितांत आवश्यकता है. तंत्रसाक्षर और अर्थसाक्षर भारत भविष्य के विश्व का मार्गदर्शक, ‘रोल माडल’ होने वाला है. यह शिवधनुष्य ‘हिंदी विवेक’ श्रीराम के आशीर्वाद से सहज उठा सकेगा, इसका मुझे विश्वास है.

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