देवभूमि में भाजपा के सिर सत्ता का ताज

Continue Readingदेवभूमि में भाजपा के सिर सत्ता का ताज

रविंद्र सिंह भड़वाल इंट्रो हिमाचल प्रदेश में हालांकि भाजपा को भारी बहुमत मिला है, फिर भी चुनावी परिणाम कई मायनों में हैरान करने वाले रहे. हिमाचली राजनीति के कई सियासी धुरंधर चुनावों में बुरी तरह पिट गए. भाजपा और कांग्रेस दोनों को ही इस तरह के अप्रिय अनुभवों के दौर से गुजरना पड़ा.

‘‘समस्त महाजन’’-सेवा कार्य

Continue Reading‘‘समस्त महाजन’’-सेवा कार्य

जन सेवा कार्य को मूल उद्देश्य मानने वाली समस्त महाजन संस्था ने समय-समय पर राष्ट्र पर आने वाली प्राकृतिक आपदाओं के समय महती योगदान दिया है. अगले १२ महीनों तक लगातार प्रत्येक अंक में उनके प्रमुख कार्यों का शाब्दिक विवेचन करने के क्रम के इस प्रथम भाग में संस्था के अध्यक्ष गिरीश भाई शहा ने हिंदी विवेक को महाराष्ट्र में हुए अकाल के समय किए गए कार्यों की चर्चा की. प्रस्तुत है उसका शाब्दिक अंकन..

दिल को छूती गांव की कहानियां

Continue Readingदिल को छूती गांव की कहानियां

सोनाली जाधव हिंदी-मराठी साहित्यिक एवं वरिष्ठ पत्रकार श्री गंगाधर ढोबले का ‘हरवलेलं गाव’ (गुम हो चुका गांव याने अंग्रेजी में The lost Village) मराठी कहानी संग्रह है. असल में ग्राम्य जीवन की दिल को छू लेनेवाली ये सत्यकथाएं हैं. भले काफी पहले ये कहानियां लिखी गई हों लेकिन वे आज भी उतनी ही तरोताजा है, आज भी अत्यंत जीवंत लगती हैं. सच है कि कहानी हमेशा ताजा होती है, कभी बासी नहीं होती. हालांकि लेखक का बचपन का वह गांव अब नहीं रहा; बहुत बदल चुका है. इस तरह वह गांव गुम हो चुका है; परंतु परिवर्तित गांव में भी वही पात

मैराथन धावक -संदीप परब

Continue Readingमैराथन धावक -संदीप परब

५० साल की उम्र में सबसे पुराने कहे जाने वाले कामेड्स मैराथन तथा विश्व में अत्यंत दुर्गम मानी जानेवाली अल्ट्रा मैराथन, जिसमें अफ्रीका के पर्वतीय इलाके की ८९ किमी की प्रतियोगिता होती है, जीतने वाले सिंधुदुर्ग निवासी संदीप परब को हिंदी विवेक ने इस विशेष आलेख द्वारा बधाइयां प्रेषित की हैं.

आओ स्मार्ट बनें

Continue Readingआओ स्मार्ट बनें

आधुनिक प्रौद्योगिकी ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए इस माह से ‘तंत्रज्ञान’ नाम से हम नया स्तंभ शुरू कर रहे हैं. तकनीकी जानकारी आसान कर बताने से सब का लाभ होता है. आने वाले दिन स्मार्ट तकनीक के ही हैं. शुरुआत में प्रस्तुत है स्मार्ट फोन के बारे में जानकारी.

युवाओं के संदर्भ में भविष्य चिंतन

Continue Readingयुवाओं के संदर्भ में भविष्य चिंतन

आज भारत में ५० प्रतिशत आबादी २५ से कम आयु की, और ६५ प्रतिशत जनसंख्या ३५ से कम उम्र की है. यह महाशक्ति है, लेकिन इस शक्ति को भारत कैसा मोड़ देता है इस पर ही सब कुछ निर्भर करेगा.

बिगड़ रही है नदियों की सेहत

Continue Readingबिगड़ रही है नदियों की सेहत

वडंबना है कि विकास की बुलंदियों की ओर उछलते देश में अमृत बांटने वाली नदियां आज खुद जहर पीने को अभिशप्त हैं. इसके बावजूद देश की नदियों को प्रदूषण-मुक्त करने की नीतियां महज नारों से आगे नहीं बढ़ पा रही हैं.

गुजरात चुनाव भाजपा जीती, पर

Continue Readingगुजरात चुनाव भाजपा जीती, पर

गुजरात चुनाव में प्रधान मंत्री मोदी का करिश्माई नेतृत्व और भाजपा के अध्यक्ष अमित शाही का रणनीतिक कौशल काम आया, अन्यथा कांग्रेस के नेतृत्व में विरोधियों के हुए जमावड़े का कड़ा सामना करना संभव न होता. परिणामों ने कांग्रेस में नई जान फूंक दी है, देखना है कि यह उत्साह कब तक और कितना कायम रहेगा.

नया विधेयक, बैंक ग्राहक और जमापूंजी

Continue Readingनया विधेयक, बैंक ग्राहक और जमापूंजी

नये वित्तीय विधेयक की धारा ५२ के प्रावधानों को लेकर आम लोगों में बेचैनी है. इसमें प्रावधान है कि नया निगम चाहे तो जमाकर्ताओं की सारी जमापूंजी डकार सकता है. इससे न्यूनतम एक लाख रु. की बीमाकृत सुरक्षित राशि भी देने से इनकार कर सकता है. यह तो दिनदहाड़े डकैती हुई, जिसे रोकना सरकार का कर्तव्य है. लोगों में सरकार के प्रति विश्वास का माहौल पैदा होना चाहिए, संदेह का नहीं.

संक्रांति पर्व

Continue Readingसंक्रांति पर्व

संक्रांति का त्यौहार सामाजिक संबंध दृढ़ करने, आपस में मिलने जुलने, तनाव दूर कर, खुशियां फैलाने वाला त्यौहार है. यह पर्व केवल भारत ही नहीं, थाईलैंड, म्यांमार, कंबोडिया और श्रीलंका में भी पूरी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है.

मातेश्वरी

Continue Readingमातेश्वरी

मां मैं आपको समझना चाहती हूं, आपके मन की बातें सुनना चाहती हूं, जीवन की वे हिदायतें सुनना चाहती हूं जो हम सब भाई बहनों को देती थीं. मुझसे पहले की तरह घर का काम करवाओ, डांटो, तरस गई तुम्हारी डांट खाने के लिये, प्लीज मां. ’

नौकरशाही में उलझे प्रदूषण के नियम

Continue Readingनौकरशाही में उलझे प्रदूषण के नियम

केंद्र सरकार ने २०१५ के कड़े प्रदूषण नियमों को बदल कर उनमें ढील दे दी है. यह तो प्रदूषण पर आगे बढ़ने के बजाय पीछे लौटना हुआ. अतः २०१७ में संशोधित नियमावली को कचरे के डिब्बे में डाल कर २०१५ के मानकों को ही आदर्श के रूप में स्थापित कर उनका कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए.

End of content

No more pages to load