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योग – एक जीवन ज्ञान

योग – एक जीवन ज्ञान

by डॉ. सद्गुरू मंगेशदा
in जून २०१९, सामाजिक, स्वास्थ्य
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योग का संबंध अपने मन से है। पंच महाभूतों से बना शरीर यही ज्ञान देता है कि पंचतत्वों का सात्विक या तामसी स्वरूप मनुष्य की मानसिक अवस्था का दार्शनिक रूप है। सामान्य मानव को शरीर और मन की सुप्त शक्ति का अंदाजा नहीं होता। योग साधक अपनी अखंड योग साधना से इन सुप्त शक्तियों को जागृत करता है।

योग मनुष्य को प्रकृति द्वारा मिला हुआ अमूल्य वरदान है। दर्शन की छह पद्धतियों में से एक है ’योग’। हर रोज की भागदौड़ की जिंदगी में थोड़े समय में और कम से कम जगह में करने का परिपूर्ण पाठ है ’योग’।

मूलत: मनुष्य-देह एक निरंतर चलने वाले संशोधन का विषय है। शरीर, मन और आत्मा के मेल से संसाररूपी मायाजाल में हरेक व्यक्ति नित्य नूतन अनुभव करता रहता है। जीवन का यथार्थ अनुभव पाने के लिए शरीर सौष्ठव होना जरूरी है। योग शब्द का अर्थ है ’जोड़ना’। खुद से शुरू होनेवाला शरीर, मन तथा आत्मा का मिलन समाज को प्रोत्साहित करता है।

योगासन, प्राणायाम, ध्यान, षट्क़र्म संतुलित जीवन प्रणाली का भाग बनकर योगी को षड़रिपुओं के जंजाल से मुक्त करते हैं। क्रियायोग, भक्तियोग, राजयोग, सहजयोग तथा कर्मयोग एक उद्देश्य कीतरफ जाने वाले विविध द्वार हैं।

योग की विशेषता यह है कि वह कभी जाति, धर्म, लिंग, संप्रदाय या भाषा के आधार पर भेदभाव नहीं करता। यह पूर्णत: विज्ञान पर आधारित एक शास्त्र है। ऋषि पतंजलि ने इस हजारों वर्ष की योग पद्धति को अष्टांग योग के सूत्र में बांध कर विश्व के सामने रखा। बाह्यांग तथा अंतरंग के आचरण की एक परिपूर्ण पद्धति का पोषण किया। ऐसा लगता है कि कलियुग में आने वाली जीवन पद्धति का आकलन उन्हें ई.पू, 150 में ही हो गया था।

पांच यम (अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह) और पांच नियम (शौच, संतोष, तप, स्वाध्याय तथा ईश्वर प्रणिधान) के द्वारा योग साधक खुद के आचरण तथा व्यवहार पर बंधन डालकर समाज के विकारग्रस्त मोहों से परे हो जाता है। आसनों से शरीर लचीला बनकर व्याधिमुक्त हो जाता है। प्राणायाम प्राण की शुद्धि तथा नियंत्रण का कार्य करता है और संपूर्ण संयम ध्यान के जरिए पाया जाता है। समाधि का अंतिम चरण ‘अहं ब्रह्मासि’ की अवस्था तक पहुंचा देता है।

योग केवल कसरत या आसन नहीं, बल्कि भावनिक संतुलन रखकर उस अनादि अनंत तत्व को स्पर्श करते-करते अध्यात्मिक उन्नति की सभी संभावनाओं की पहचान कराने वाला शास्त्र है। योग एक परिपूर्ण विज्ञान है, एक साझा जीवनशैली है, एक पूर्ण अध्यात्म विद्या है। लिंग, जाति, वर्ग, संप्रदाय, क्षेत्र एवं भाषाई भेदाभेद के झमेलों में उलझे बिना योग परिपूर्ण उत्कर्ष तक पहुंचाने वाला
सर्वोत्तम राजमार्ग है।

ज्ञानयोग, हठयोग, कर्मयोग, भक्तियोग, क्रियायोग, राजयोग अपनी चित्तवृत्तियों पर नियंत्रण रखने का तरीका सिखाते हैं। योग साधना की शुरूआत क्रियायोग से होती है। क्रियायोग की साधना के मुख्यत: दो उद्देश्य हैं। समाधि की अवस्था पाना और पंचक्लेशों की तीव्रता का दमन। क्रिया योग का एक अंग है – ईश्वर प्रणिधान! क्रियायोग के दूसरे दो अंग हैं तप और स्वाध्याय! इन दोनों की साधना से ईश्वर के प्रति समर्पण भावना का उद्दीपन होता है। क्रियायोग से अपने जीवन से जुड़े क्लेश कमजोर हो जाते है। ऋषि पतंजलि ने क्लेश की पांच परिभाषाओं का जिक्र किया है। अविद्या, अस्मिता, क्रोध, नफरत और हठवादिता! नियमित योग साधना से इन क्लेशों की मात्रा कम होते जाती है, चित्त के दोष नष्ट हो जाते हैं और साधक कैवल्यावस्था तक पहुंच जाता है।

योग का संबंध केवल खुद तक सीमित नहीं बल्कि अनादि काल से सृष्टि से जुड़ा हुआ है। प्रकृति की हर घटना में योग दिखाई देता है, उसका अहसास होता है। योग का संबंध जन्मत: अपने मन से है। पंच महाभूतों से बना शरीर यही ज्ञान देता है कि पंचतत्वों का सात्विक या तामसी स्वरूप मनुष्य की मानसिक अवस्था का दार्शनिक रूप है। सामान्य मानव को शरीर और मन की सुप्त शक्ति का अंदाजा नहीं होता। योग साधक अपनी अखंड योग साधना से इन सुप्त शक्तियों को जागृत करता है। इसलिए शरीर तंदुरुस्त और तनावमुक्त रखने से लेकर अंतिम आध्यात्मिक ध्येय की ओर बढ़ने के लिए जिस महासागर की जरूरत है वह है योग। योग की परंपरा हजारों वर्षों की है और आज पूरा विश्व उसे अपना रहा है। दिन-ब-दिन उसकी लोकप्रियता में बढोतरी होती जा रही है। ’शरीरमाध्यम खलू धर्मसाधनम्’ – कोई भी सत्कार्य करना हो तो शरीर का तंदुरुस्त होना अनिवार्य है। उसके सिवा उस कार्य की पूर्ति ठीक से नहीं हो पाती।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र की महासभा में 21 जून अंतरराष्ट्रीय योग दिन मनाने का प्रस्ताव रखा और वह पारित किया गया। 2015 में पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिन बड़े उत्साह से मनाया गया। गत 3 सालों से लाखों लोग योग के माध्यम से एकसाथ जुड़ गए। हर साल अब ज्यादा से ज्यादा लोग 21 जून (जो कि साल सबसे बड़ा दिन भी होता है) को इस सामूहिक योग उत्सव में शामिल होते हैं। अपनी-अपनी क्षमतानुसार और पद्धति के अनुसार एकसाथ यह उत्सव मनाते हैं। इस वर्ष भी अंतरराष्ट्रीय योग दिन 21 जून 2019 को बड़ी धूमधाम से होने जा रहा है। पूरे विश्व में योगप्रेमी यह योग दिन मनाएंगे। विविध टी.वी. चैनेल, अखबार और सोशल मीडिया इन योग प्रेमियों को प्रेरित करेंगे और इस आनंदोत्सव का अनुभव करेंगे। जिन्होंने इस ’योग’ का प्रायोजन किया, उन नरेंद्र मोदीजी का मैं तहे दिल से अभिवादन करता हूं क्योंकि वे खुद योग साधना करते हैं और अन्य लोगों को प्रेरित करते हैं। मेरी तरफ से विश्व योग दिवस के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं! इसी तरह हम मन से एक होकर अपने राष्ट्र को संपन्न बनाएं।

 

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