इंसाफ़
कौन जाने, बरसों पहले 1984 में मरे दिलदार सिंह जैसे किसी सिख दंगा-पीड़ित की उस दिन ‘वापसी‘ हुई हो और उसकी रूह ने सुमंतो घोष के शरीर में प्रवेश करके दुर्जन सिंह से अपना बदला ले लिया हो। .... बरसों बाद दंगा-पीड़ितों को इंसाफ़ मिल गया।
कौन जाने, बरसों पहले 1984 में मरे दिलदार सिंह जैसे किसी सिख दंगा-पीड़ित की उस दिन ‘वापसी‘ हुई हो और उसकी रूह ने सुमंतो घोष के शरीर में प्रवेश करके दुर्जन सिंह से अपना बदला ले लिया हो। .... बरसों बाद दंगा-पीड़ितों को इंसाफ़ मिल गया।
अंग्रेजी एजुकेशन सिस्टम हमें गिटिर-पिटिर अंग्रेजी बोलनवाले ग्रेजुएट देगी, जो चाय कीदुकानों पर जॉबलेस रह कर सिर्फ देश की बदहाली पर चर्चा करते मिलेंगे। वास्तविकता के धरातल पर वह देशहित में योगदान देने में असमर्थ होंगे। आज हम उसी दौर में शामिल हो गए हैं।
बच्चे एक गीली मिट्टी के समान हैं। उनका प्रारूप हमारी परवरिश तय करती है। अत: एक सशक्त समृद्ध राष्ट्र के निर्माण के लिए बच्चों का सर्वमुखी विकास बेहद जरूरी है।
घर और दफ्तर की जिम्मेदारियां संभालती कामकाजी महिलाएं, कई बार खुद के प्रति जिम्मेदारी को गंभीरता से नहीं लेतीं। चूंकि आप पर दोहरी जिम्मेदारी होती है, इसलिए आपको अपनी सेहत के प्रति अधिक गंभीर और सचेत होना चाहिए।
नियमित रूप से आसन और प्राणायाम का अभ्यास करके लोगों को उच्च रक्तचाप एवं हृदय संबंधी समस्याओं से छुटकारा दिलाया जा सकता है। व्यक्ति अपने फेफड़ों की क्षमता विकसित कर सकता है, मानव शरीर को शुद्ध और श्वसन प्रणाली एवं तंत्रिकाओं को भी साफ किया जा सकता है।
फैशन शब्द पढ़ने या सुनने में जितना आसान प्रतीत हो रहा है, वास्तव में यह उतना आसान है नहीं। ’फैशन साइकोलॉजी’ का दायरा कपड़े और मेकअप से ज्यादा विस्तृत है।
एक बड़ी समय-सद्ध कहावत है, ‘नेकी कर दरिया में डाल’ अर्थात् उपकारी उपकार को कर्तव्य अर्थात फर्ज मानकर उसे सम्पादित करें। उसमें उपकार करके उसके बदले प्रतिलाभता प्राप्त करने का विचार नहीं होना चाहिए।
शादी के पहले के प्रेम के किस्से बहुत होते हैं परन्तु शादी के बाद अपने जीवनसाथी से प्रेम की पराकाष्ठा के किस्से कम ही सुनने को मिलते हैं। इन दोनों ही युगलों के प्रेम की पराकाष्ठा थी। यह कहना कठिन होगा कि पुष्पेश-मीनाक्षी का रिश्ता अधिक प्रगाढ़ था या शशांक-तेजस्विनी का। ये दोनों ही युगल एक से बढ़कर एक थे।
एक तरफ प्यास से बेहाल होकर अपने घर-गांव छोड़ते लोगों की हकीकत है तो दूसरी ओर पानी का अकूत भंडार! यदि जल संकट ग्रस्त इलाकों के सभी तालाबों को मौजूदा हालात में भी बचा लिया जाए तो वहां के हर इंच खेत को तर सिंचाई, हर कंठ को पानी और हजारों हाथों को रोजगार मिल सकता है।
यदि देश में, समाज में समृद्धि, संपन्नता आती है, आर्थिक विकास और टेक्नॉलजी के प्रभाव से समाज के रहन-सहन के स्तर में बढ़ोत्तरी होती हैं और उसके फलस्वरूप में समाज में मर्यादाओं, परंपराओं तथा मूल्यों का स्खलन होता है, तो क्या समाज विकास न करें, हमेशा मानवीय मूल्यों की कीमत पर स्वयं को परंपराओं की सीमा में कैद रखें?
श्रीलंका में हुए शृंखलाबद्ध विस्फोट स्थानीय आतंकवादी गुटों की सहायता से ‘इसिस’ ने करवाए थे, यह बात साफ हो चुकी है। मध्यपूर्व में पराजित होते ‘इस्लामिक स्टेट’ ने अब एशिया पर नजर रखी है। उनकी राडार पर भारत भी है। इसलिए हमें बेहद सतर्क रहना होगा।
सुप्रीम कोर्ट के इन वर्षों में कई विवादास्पद फैसलें आए हैं। कुछेक को भेदभावपूर्ण माना जाता है। जलिकुट्टु, सबरीमाला, दहीहांडी, दीवाली पर पटाखे पर पाबंदी आदि ऐसे फैसले हैं जिन्हें समाज ने कभी स्वीकार नहीं किया। इससे निष्पक्ष न्याय-व्यवस्था पर ही प्रश्नचिह्न खड़ा होता है।