हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
प्लास्टिक प्रदूषण पर हो संगठित प्रहार

प्लास्टिक प्रदूषण पर हो संगठित प्रहार

by रवींद्र सिंह भड़वाल
in पर्यावरण, सामाजिक
0

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की दुनिया में ऐसे बहुत से आविष्कार किए गए, जो मनुष्य जीवन को सरल एवं बेहतर बनाने के उद्देश्य से किए गए लेकिन समय के साथ-साथ वही मानव जीवन के लिए एक बड़ा संकट बन गए। इन्हीं आविष्कारों में से एक है प्लास्टिक का निर्माण। बेशक सस्ती एवं टिकाऊ होने के कारण प्लास्टिक आम से लेकर खास आदमी की पहुंच में है और रोजमर्रा की जिंदगी की बहुत सी जरूरतें प्लास्टिक के जरिए पूरी हो रही हैं। अपने घर में ही नजर दौड़ाकर देख लें तो ऐसे ढेरों उदाहरण मिल जाएंगे, जहां प्लास्टिक का उपयोग किया जा रहा है। लेकिन आज स्थिति जिस रूप में हमारे सामने है वहां प्लास्टिक को पर्यावरण और मानवीय स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर संकट के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि मानव सभ्यता के समक्ष उपजे इस संकट के प्रति हाल के समय में काफी जागरूकता आई है। यही कारण है कि गत वर्ष पर्यावरण दिवस का थीम थी ’बीट द प्लास्टिक पोलूशन’ यानी प्लास्टिक प्रदूषण पर प्रहार करो !

हिमाचली परिप्रेक्ष्य में स्थिति का मुआयना किया जाए, तो यह बात स्पष्ट तौर पर निकल कर सामने आती है कि पहाड़ी समाज काफी पहले ही प्लास्टिक के नकारात्मक पहलुओं के प्रति सजग हो गया था। इसी कारण हिमाचल प्रदेश सरकार ने वर्ष 2009 में प्लास्टिक की थैलियों के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था। प्लास्टिक के बढ़ते उपयोग को इस तरह से हतोत्साहित करने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य बना। इसी क्रम में एक और बड़ा कदम उठाते हुए प्रदेश की जयराम सरकार ने पिछले वर्ष जुलाई में थर्माकोल की उपयोग को बंद करने का एक दूरगामी एवं प्रभावी फैसला पर्यावरण एवं जनस्वास्थ्य के हित में लिया। प्लास्टिक के खिलाफ छेड़े गए इस अभियान का ही असर है कि आज देशभर में करीब दो दर्जन राज्यों में प्लास्टिक की थैलियों के उपयोग पर प्रतिबंध घोषित किया जा चुका है। हालांकि इस उजली तस्वीर का स्याह पक्ष भी देखने को मिलता है। प्रतिबंधित घोषित होने के बावजूद चोरी-छिपे प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग बदस्तूर जारी है। सरकार यदि निर्धारित लक्ष्य हासिल करना चाहती है तो इस प्रतिबंध का सख्ती के साथ क्रियान्वयन करना होगा।

दीगर है कि एक प्लास्टिक एक नॉन बायोडिग्रेडेबल तत्व है। नॉन बायोडिग्रेडेबल ऐसे तत्व होते हैं जिन्हें पर्यावरण में मौजूद बैक्टीरिया उस अवस्था तक नहीं पहुंचा पाते जहां वे पर्यावरण को नुकसान ना पहुंचा पाएं। सैकड़ों वर्षों तक न गलने-सड़ने वाली यह प्लास्टिक लंबे समय तक पर्यावरण को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती रहती है। प्लास्टिक का निर्माण नायलॉन, फिनोलिक, पॉलीस्ट्राइन, आइसोप्रीन, पॉलीथाइलिन, पॉलीविनायल जैसे  हानिकारक तत्वों से होता है। ये तत्व पर्यावरण और मानव शरीर के संपर्क में आकर गहरे तक प्रभावित करते हैं। आज खाने-पीने की अधिकतर वस्तुएं प्लास्टिक में पैक होकर आ रही हैं। जब तापमान बढ़ता है तो प्लास्टिक से डाई-आॅक्सीन का रिसाव होता है जो कि सेहत के लिए बहुत हानिकारक है। वहीं इन्वायरमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी नाम के जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि यदि कोई व्यक्ति सिर्फ बोतलबंद पानी पिए तो हर साल उसके शरीर में माइक्रो प्लास्टिक के करीब 90,000 अतिरिक्त कण पहुंच जाएंगे। इस प्रकार समझना मुश्किल नहीं होगा कि मानवी सहूलियत के लिए बनी प्लास्टिक उसके स्वास्थ्य के लिए कितना बड़ा संकट बन चुकी है।

प्लास्टिक समुद्र से लेकर ग्लेशियर पहुंचकर अपनी भयावहता को जाहिर कर चुकी है। इसका एक बड़ा कारण है प्लास्टिक की सहज उपलब्धता। वल्र्ड इकोनामिक फोरम की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2018 तक सालाना 56,000 लाख टन उत्पादन और खपत हो रही थी। कई देश ऐसे भी हैं जो भारत से ज्यादा प्लास्टिक उपयोग कर रहे हैं। इन आंकड़ों से अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं होगा कि प्लास्टिक प्रदूषण ने पृथ्वी को किस हद तक अपनी पकड़ में जकड़ लिया है। अगर पृथ्वी को रहने लायक बनाए रखना है, तो बिना वक्त गंवाए वैश्विक स्तर पर प्लास्टिक उपयोग के खिलाफ एक संयुक्त अभियान छेड़ना होगा।

प्लास्टिक प्रदूषण का संकट मनुष्य ने खुद पैदा किया है, तो इससे मुक्ति के प्रयास भी इसी के द्वारा किए जाने चाहिएं। केंद्र की मोदी सरकार द्वारा पिछले कार्यकाल में शुरू किए गए स्वच्छ भारत अभियान के तहत यदि प्लास्टिक कचरे के निपटारे की व्यवस्था की जाए, तो प्लास्टिक अपशिष्ट को निपटाने के मोर्चे पर बड़ी कामयाबी हासिल की जा सकती है। प्लास्टिक के उपयोग को एकमुश्त खत्म करना संभव नहीं है। लिहाजा रीयूज, रीसाइकिल और रिड्यूस की अप्रोच इस लड़ाई में कारगर साबित हो सकती है। प्लास्टिक के उपयोग के नए विकल्प अगर तलाषें जाएं तो पर्यावरण को प्लास्टिक से मुक्ति दिलाने में काफी मदद मिल सकती है। उदाहरण के तौर पर प्लास्टिक की थैलियों का एक बेहतर विकल्प पारंपरिक कपड़े के झोले या जूट की थैलियां हो सकते हैं। इसके अलावा प्लास्टिक की थैलियों पर लगे प्रतिबंध को सख्ती से क्रियान्वित किया जाना चाहिए। प्रतिबंधित थैलियों में जो दुकानदार सामान बेचते हुए पाए जाते हैं, उन्हें निर्धारित सजा देने में किसी तरह की ढील न बरती जाए। अंततः जन-जागरूकता एवं साझा भागीदारी इस मुहिम में एक निर्णायक भूमिका निभा सकती है।

 

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: biodivercityecofriendlyforestgogreenhindi vivekhindi vivek magazinehomesaveearthtraveltravelblogtravelblogger

रवींद्र सिंह भड़वाल

Next Post
मटके में तेनालीराम

मटके में तेनालीराम

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0