महामारी के बीच MP में कैबिनेट विस्तार, सिंद्धिया के 2 समर्थकों को बनाया गया मंत्री

  • मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान ने किया कैबिनेट का विस्तार 
  • 5 मंत्रियों ने ली पद और गोपनीयता की शपथ 
  • ज्योतिरादित्य सिंधिया के 2 समर्थकों को भी मिला मंत्री पद 

देश में जारी महामारी के बीच मध्यप्रदेश में मंगलवार को मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ। लंबी जद्दोजहद के बाद सत्ता में वापसी करने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कैबिनेट पांच विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। इसमें भाजपा के साथ साथ कांग्रेस के वह मंत्री भी शामिल हैं जो ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हुए थे। जिन मंत्रियों ने मंत्रिमंडल की शपथ ली उसमें नरोत्तम मिश्रा, कमल पटेल, मीना सिंह, तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत का नाम शामिल है। राजभवन में राज्यपाल लालजी टंडन ने सभी मंत्रियों को पद और गोपनियता की शपथ दिलाई। आपको बता दें कि तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत ज्योतिरादित्य सिंधिया के काफी खास बताए जाते हैं और यही वजह रही कि उन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस से बगावत की जिसके बाद उन्हें मध्य प्रदेश की सत्ता में मंत्री पद दिया गया। वही मंत्रिमंडल के साथ ही यह भी साफ हो जाता है ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत से बीजेपी सत्ता में आई जिसके लिए उन्हें पूरा सम्मान दिया जा रहा है।
कोरोना वायरस के चलते किसी भी तरह के राजनीतिक कार्यक्रम पर रोक लगाई गई है लेकिन मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल का विस्तार ना होने की वजह से कामकाज में परेशानी हो रही थी। विपक्ष भी लगातार मंत्रिमंडल विस्तार ना होने को लेकर सत्ता पक्ष पर निशाना साध रहा था इसके बाद मंगलवार को शिवराज सिंह चौहान ने पूरी सावधानी के साथ मंत्रिमंडल विस्तार का कार्यक्रम किया और अपने पार्टी के कुल 5 मंत्रियों को शपथ दिलाई। वहीं मंत्रिमंडल विस्तार के बाद अब यह उम्मीद जताई जा रही है कि राज्य में कोरोना के खिलाफ कामकाज तेजी से शुरू होगा और कोरोना पर रोक लगाई जा सकेगी।

मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस 15 साल बाद सत्ता में आई थी लेकिन कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के आपसी मतभेद के चलते मध्य प्रदेश कांग्रेस में फूट पड़ने लगी नतीजा ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने 22 विधायकों के साथ पार्टी से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए। ज्योतिरादित्य के इस्तीफे के बाद से काग्रेस पार्टी ने बीजेपी पर विधायकों की खरीद का आरोप लगाया लेकिन उसका कोई आधार नही था। वहीं ज्योतिरादित्य के बगावत के साथ ही मध्यप्रदेश सरकार से कांग्रेस की विदाई भी हो गयी और बीजेपी को फिर से सत्ता में वापस आने का मौका मिल गया।

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