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प्रयोगशालाओं  से उठती उम्मीद की किरणें

प्रयोगशालाओं से उठती उम्मीद की किरणें

by डॉ. अजय खेमरिया
in ट्रेंडींग, मई - सप्ताह दूसरा
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न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में इस चीनी वायरस पर विजय पाने की जमीनी लड़ाई प्रयोगशालाओं में लड़ी जा रही है। दुआओं के समुच्चय में दवा का सृजन शीघ्र ही मानवता को इस चीनी हमले से निजात दिलाएगा ऐसी आशा है।

पूरी दुनिया में करीब 40 लाख की आबादी कोविड-19 के संक्रमण से ग्रस्त है और अनुमान है कि 3 लाख लोग अब तक इस चीनी वायरस से मौत के मुंह में समा चुके हैं। भारत में भी इन पंक्तियों के लिखे जाने तक करीब दो हजार  मौतों के साथ संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 60 हजार को पार कर चुका है। दुनिया का कोई ऐसा देश नहीं बचा जहां इस चीनी वायरस ने अपनी जानलेवा उपस्थिति दर्ज नहीं कराई हो। सरहदें अर्थ खो गई हैं और अपरिमित वैज्ञानिक पारंगता के संग उन्नत तकनीकी ने भी इस चीनी वायरस के आगे घुटने टेक दिए हैं। बाबजूद इस अप्रत्याशित संकट से मुकाबला करने के लिए  दुनिया खड़ी हो रही है। लॉकडाउन के प्रथम दृष्टया एहतियात के बाद अब इसके वैक्सीन पर भी समानान्तर काम चल रहा है।

करीब दो महीने कोरोना की सर्वाधिक निर्मम मार झेल चुकी दुनिया में आशा की कुछ किरण नजर आने लगी है। भारत, जापान, इटली, अमेरिका, इजरायल समेत कुछ अन्य देश अपने यहां निरंतर अनुसंधान कर कोविड वैक्सीन के परीक्षण या विकास का दावा कर रहे हैं। हालांकि विेश स्वास्थ्य संगठन फिलहाल ऐसे दावों को स्वीकार नहीं कर रहा है। उसके विशेषज्ञ डॉ. डेविड निबौरो तो यह भी कह चुके हैं कि हो सकता है कोविड का टीका कभी निर्मित ही न हो। इसके पीछे एड्स और डेंगू के तर्क दिए जाते हैं जिनकी कोई वैक्सीन आज तक नहीं खोजी जा सकी है। कोविड जैसे करीब 3 लाख वायरस इस जगत में पाए जाते हैं जिनमें से कुछ की पहचान ही हम आज तक कर पाए हैं। जाहिर है वायरसों की इस खतरनाक चुनौती से लड़ना सर्वशक्तिमान मानव के लिए आज भी कठिन ही है।

इसके बाबजूद विेश भर में खोजकर्ताओं की 100 से अधिक टीमें दुनिया में कोविड की घेराबंदी के लिए दिनरात प्रयत्नशील हैं। जापान के प्रधानमंत्री शिन्जो आबे ने दावा किया है कि उनका देश वैक्सीन निर्माण के नजदीक है। जापान ने एंटी वायरल दवा रेमेडेसिवीर के परीक्षण को मंजूरी दे दी है। अगले कुछ महीने में जापान की यह दवा वैक्सीन के रूप में सामने आ सकती है। इसी रेमेडेसिविर का परीक्षण अमेरिका में भी चल रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस साल के अंत तक अमेरिकी वैक्सीन ईजाद करने का दावा किया है। इधर भारत में भी कोविड-19 के टीका निर्माण का शोध युद्धस्तर पर जारी है। इन पंक्तियों के लिखते समय ही भारत सरकार ने प्रमुख दवा कम्पनियों और सीएसआईआर को मिलकर नई दवा ‘फेवीपीरावीर’ के परीक्षण को मंजूरी प्रदान कर दी है।

देश की प्रमुख दवा निर्माता कंपनी केडिला और सीएसआईआर द्वारा सेप्सीवेक दवा का क्लिनिकल ट्रायल कोविड- 19 के मरीजों पर करने की परियोजना पर काम पहले से ही शुरू किया जा चुका है। इस ट्रायल के लिए पी जी आई चंडीगढ़, एम्स नई दिल्ली, एम्स भोपाल को चुना गया है। यह दवा रोगप्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) मजबूत करने के धरातल पर निर्मित की जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी भी देश के शीर्ष वैज्ञानिकों से इस दिशा में अपना सम्पूर्ण पराक्रम झोंकने का आग्रह कर चुके हैं। जाहिर है उनकी अपील पर देश का वैज्ञानिक वर्ग इस दिशा में गंभीरता से लगा है और पीड़ित मानवता को इस संकट से बाहर निकालने में मददगार साबित होगा।

अपनी उच्च तकनीकी और रिसर्च के लिए मशहूर इजरायल ने भी अपने एक दावे में एंटी बॉडीज बनाने की बात कही है। उसके विदेश मंत्री नफ़्ताली बैनेट ने तो इजरायल इंस्टिट्यूट ऑफ बायलोजिकल रिसर्च द्वारा विकसित एंटी बॉडीज के पेटेंट तक का दावा किया है। कोविड के संक्रमण से सर्वाधिक मौतों का ठिकाना रहा खूबसूरत देश इटली भी अब इस चीनी वायरस से लड़ने के लिए खुद को मजबूती के साथ खड़ा कर चुका है। उसके मिलान स्थित बायलोजिकल इंस्टिट्यूट के अनुसार इटली ने कोविड का वैक्सीन खोज लिया है और जल्द ही इसके नतीजे दुनियाभर के सामने होंगे। इटली के दावे की पुष्टि अरब न्यूज, एएफपी ने भी अपनी रिपोर्ट में की है। रोम स्थित इंफेक्शियस डिसीज़ स्पेलन जानी हॉस्पिटल के एक अन्य रिसर्च को इटली का सर्वाधिक प्रमाणिक शोध बताया जा रहा है। इस अस्पताल में चूहों पर किए गए परीक्षण से एंटी बॉडीज का निर्माण किया गया है।

इस दवा का निर्माण करने वाली कम्पनी ताकीज का दावा है कि यह दुनिया का सबसे पहला सफल परीक्षण है और अब इसका ट्रायल मानव शरीर पर करने का काम आरंभ हो गया है।भारत में निर्मित हैड्रॉक्सिक्लोरोक्वीन दवा के साथ इंजियोथ्रोमाइसिन का कॉम्बिनेशन भी कोविड से लड़ने वाले फार्मूलों के रूप में ट्रायल के दौर में है। जाहिर है न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में इस चीनी वायरस पर विजय पाने की जमीनी लड़ाई प्रयोगशालाओं में लड़ी जा रही है। दुआओं के समुच्चय में दवा का सृजन शीघ्र ही मानवता को इस चीनी हमले से निजात दिलाएगा ऐसी आशा है।

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