उत्तर प्रदेश में कोरोना से जंग

उत्तर प्रदेश सरकार राज्य की 23 करोड़ जनता को वैिेशक  महामारी कोविड -19 से बचाते हुए अन्य प्रदेशों में फंसे अपने प्रवासी मजदूरों, प्रतियोगी छात्रों आदि को सुरक्षित निकालते हुए उन्हें वापस घर पहुंचा रही है। कोटा से 11 हजार प्रतियोगी छात्र-छात्राओं को प्रदेश में वापस लाया गया। स्वास्थ्य परीक्षण कराकर उन्हें उनके घरों में होम क्वारंटीन के लिए भेजा गया है। प्रयागराज में रह रहे 10 हजार प्रतियोगी छात्रों को उनके घर पहुंचाया।

उत्तर प्रदेश के अन्य राज्यों में कोई 15 लाख मजदूर फंसे हुए हैं। उन्हेें चरणबद्ध तरीके से उनके घरों तक पहुंचाने का कार्य चरणबद्ध तरीके से किया जा रहा है। यही नहीं, उनके लिए 15 लाख नौकरी/रोजगार के अवसरों की व्यवस्था भी की जा रही है। दिल्ली सीमा पर फंसे करीब 5 लाख मजदूरों को बसों द्वारा उत्तर प्रदेश लाया गया। कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में गठित एक कमेटी इस दिशा में कार्य कर रही है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने देश के अन्य राज्यों में जहां भी प्रदेश के प्रवासी श्रमिक हैं, उनकी सहायता के लिए 32 नोडल अधिकारियों को नियुक्त कर रखा है, जिसमें 16 आईएएस और 16 आईपीएस अधिकारी शामिल हैं। ये अधिकारी अब तक 7 लाख से ज्यादा प्रवासी श्रमिकों से संपर्क कर उनकी समस्याओं का समाधान कर चुके हैं। लॉकडाउन-2 शुरू होने के बाद अन्य राज्यों से अपने श्रमिकों को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चरणबद्ध तरीके से वापस लाया जा रहा है। अब तक हरियाणा से 12 हजार और मध्य प्रदेश से 4 हजार से ज्यादा श्रमिकों को सुरक्षित उनके घरों तक पहुंचाया जा चुका है। इसी तरह से राजस्थान, उत्तराखंड, गुजरात, महाराष्ट्र समेत अन्य राज्यों से उत्तर प्रदेश सरकार अपने श्रमिकों एवं कामगारों को वापस ला रही है। जो भी लोग लाए जा रहे हैं, उनकी ठीक ढंग से स्क्रीनिंग की जा रही है। प्रदेश में वापस लाने के बाद श्रमिकों को सीधे उनके घर भेजने के बजाय कुछ दिनों के लिए उन्हें क्वारंटीन सेंटर में रखा जा रहा है रहा है, जहां उन्हें कम्यूनिटी किचन के माध्यम से भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है।

योगी सरकार वापस लाए गए श्रमिकों की रैंडम और पुल टेस्टिंग करा रही है। पूरी तरह से संतुष्ट होने के बाद खाद्यान्न एवं एक हजार रुपये की सहायता राशि देकर श्रमिकों को उनके घरों में होम क्वारंटीन कराया जा रहा है। जिन श्रमिकों को योगी सरकार वापस ला रही है, उनके कौशल की पहचान की जा रही है। सरकार की मंशा है कि वापस आने वाले प्रवासी श्रमिकों को उनकी कुशलता के अनुसार कार्यों से जोड़ा जाए। एमएसएमई, ओडीओपी, मनरेगा और स्वयं सहायता समूहों से इन श्रमिकों को जोड़ने की प्रक्रिया को सरकार आगे बढ़ा चुकी है। जिन श्रमिकों के पास जॉब कार्ड नहीं है उनका जॉब कार्ड भी बनवाया जा रहा है। निर्माण कार्य से जुड़े 16.08 लाख निर्माण श्रमिकों के खातों में एक-एक हजार की धनराशि का भुगतान किया गया। इस प्रकार कुल 160 करोड़ 82 लाख रुपये उनके बैंक खाते में हस्तांतरित की गई। शहरी क्षेत्रों के 7.67 लाख दिहाड़ी मजदूरों के खाते में एक-एक हजार रुपये (कुल 76.69 करोड़़) रुपये भेजे गए। 5.55 लाख निराश्रित लोगों के खाते में 55.5 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया।

मजदूर दिवस के दिन 30 लाख श्रमिकों एवं कामगारों को एक-एक हजार रुपये के भरण-पोषण भत्ते की दूसरी किस्त के रूप में 300 करोड़ रुपये की धनराशि उनके बैंक खातों में भेजी गई। 27.15 लाख मनरेगा श्रमिकों के खातों में 611 करोड़ रुपये का भुगतान। 44,806 इकाइयों द्वारा अपने श्रमिकों को लगभग 602.77 करोड़ रुपये के वेतन का भुगतान कराया गया।

कोरोना की आहट लगते ही राज्य सरकार ने टीम-11 गठित की। सबकी अलग-अलग जिम्मेदारी और जवाबदेही तय की। जिसके दो दिन में ही केंद्र सरकार ने भी टीम-11 का गठन किया। लगभग 35 लाख श्रमिकों (रेहड़ी, खुमचा, ठेल, निर्माण मजदूर आदि) को 1 हजार रुपये प्रति माह डीबीटी के माध्यम से उपलब्ध कराए। इसके साथ ही उनके लिए खाद्यान्न की भी व्यवस्था की गई। राज्य सराकर ने सभी राशन कार्ड धारको को खाद्यान्न की व्यवस्था की। इसके साथ ही जिन लोगों के पास राशन कार्ड नहीं था सरकार ने उन्हें भी राशन देने की व्यवस्था की।

कोरोना के कहर से बचने के लिए प्रदेश में अबतक कोरोना वायरस की जांच के लिए 26 प्रयोगशालाएं बन चुकी हैं। जो लगातार बढ़ रहीं है और प्रतिदिन 5000 टेस्ट भी हो रहे हैं। पूरे प्रदेश में 9 मई तक 53,459 आइसोलेशन बेड तथा 21569 क्वारेंटाइन बेड पूरी तरह से तैयार है। सूक्ष्म लघु एंव मध्यम उद्यम और निर्यात प्रोत्साहन विभाग द्वारा प्रदेश में पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेन्ट्स (पीपीई), मास्क इक्यूपमेंट्स की 72 ईकाइयों से अधिक क्रियाशील कराई गई हैं। सेनिटाइजर की 40 नई ईकाइयों को आवश्यक स्वीकृतियां प्रदान कराते हुए कुल 99 ईकाइयों को क्रियाशील कराया गया है। प्रदेश में मेडिकल इक्यूपमेंट्स और दवाइयों के निर्माण आदि से संबंधित 412 इकाइयों को आवश्यक सहयोग प्रदान करते हुए संचालित कराया जा रहा है।

अद्यतन प्रदेश की 49,876 औद्योगिक इकाइयों से संपर्क किया गया, जिनमें से 44, 806 इकाइयों द्वारा अपने कार्मिकों को 602.77 करोड़ रुपये के वेतन का वितरण किया जा चुका है। लॉकडाउन के दौरान भी प्रदेश में 119 चीनी मिलें और 12 हजार ईंट भट्टों पूरी तरह से सोशल डिस्टेंसिंग और सुरक्षा के मानकों को तय करते हुए चलते रहे।

प्रदेश में 90 लाख एमएसएमई यूनिटें हैं। इस तरह से 90 लाख लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य योगी सरकार ने रखा है। नई एमएसएमई यूनिट स्थापित करने में दिक्कतों को दूर करने के लिए पर्यावरण के साथ अन्य एनओसी के नियमों को सरल किया जाएगा। इसके अलावा सिंगल विंडो सिस्टम के जरिए अनापत्ति देकर इसकी समयसीमा भी तय की जाएगी। वहीं, नई यूनिट लगाने वाले हर उद्यमी को आसान शर्तों पर बैंकों से ॠण दिलवाया जाएगा। इसके लिए हर जिले में 12 से 20 मई तक ॠण मेले लगेंगे। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। राज्यस्तरीय बैंकर्स कमेटी की बैठक में बैंकर्स को इस बाबत निर्देश दिए जा चुके हैं।

योगी सरकार ने श्रम अधिनियम में 3 साल तक की छूट दी है। सरकार ने 7 मई को घोषणा की कि सभी उद्योगों को अगले तीन वर्षों के लिए लगभग सभी श्रम कानूनों से छूट दी जाएगी। यह छूट अस्थाई होगी। अस्थाई छूट के लिए अध्यादेश 2020 के मसौदे को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। योगी सरकार ने कोरोना वायरस के संक्रमण से लोगों को बचाने में जुटे कोरोना वारियर्स (पुलिस, सफाईकर्मी, डॉक्टर, नर्स और अन्य मेडिकल स्टाफ) की सुरक्षा की दिशा में बड़ा फैसला किया है। एपिडेमिक डिजीज एक्ट (महामारी बीमारी कानून), 1897 में बदलाव कर दण्ड को और सख्त किया। दोषियों को अब 7 वर्ष की सज़ा और 5 लाख तक का जुर्माना भुगतना होगा।

विभिन्न पेंशन योजनाओं के 83.83 लाख लाभार्थियों को दो माह की अग्रिम पेंशन अप्रैल माह में दी गई। ग्रामीण क्षेत्रों एंव नगर निकायों के असहाय व्यक्ति जिनके पास अपने व अपने परिवार के भरण पोषण की व्यवस्था नहीं है ऐसे व्यक्तियों को जिलाधिकारी द्वारा समिति की संस्तुति पर एक हजार रुपये प्रतिमाह उपलब्ध कराए जा रहे हैं। निराश्रित व्यक्तियों, श्रमिकों, बुजुर्गों, झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले लोगों, किसी भी तरह के आश्रय स्थलों में रहने वाले व्यक्तियों, हॉस्टलों आदि में रहने वे लोगों के लिए कम्युनिटी किचन स्थापित। सीएम हेल्पलाइन 1076 से प्रदेश के 20125 ग्राम प्रधानों से संवाद स्थापित किया गया। 60 हजार से अधिक ग्राम पंचायतों से संवाद स्थापित किया गया।प्रदेश के 5036 गोवंश संरक्षण स्थलों में 475916 निराश्रित गोवंश संरिक्षत हैं। जिनके लिए योगी सरकार ने ‘भूसा बैंक’ बनवाया। 12 हजार 740 कुन्तल भूसे की मांग के सापेक्ष 33 हजार 44 कुन्तल भूसे की आपूर्ति सुनिश्चित की।

 

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