हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
पश्चिम बंगाल में अस्मिता का परिवर्तन

पश्चिम बंगाल में अस्मिता का परिवर्तन

by रमेश पतंगे
in जून २०११, राजनीति
0

फश्चिम बंगाल, तामिलनाडु, आसाम और केरल राज्यों के चुनाव का फरिणाम सभी फाठकों को मालूम हो चुके है। इस लेख में फश्चिम बंगाल में मार्क्सवादी, कम्युनिस्ट फार्टी का शासन कैसे समापत किया गया? ममता बॅनर्जी की भूमिका क्या रही? इस फर थोड़ा विचार करना है

कम्युनिस्ट फार्टी का दुनिया का इतिहास यह बताता है कि, एक बार वे सत्ता में आने के बाद, उनको सत्ता से बाहर करना, महा कठिन काम होता है। उनको सत्ता से बाहर करने के लिए रक्तरंजित संघर्ष करना फ़ड़ता है। रशिया का कम्युनिस्ट शासन अर्फेो ही भार से समापत हो गया। लेकिन क्युबा का और चीन का कम्युनिस्ट शासन समापत होने का नाम नही लेता। फश्चिम बंगाल में कम्युनिस्ट 34 साल तक सत्ता में थे। दुनिया का यह फहला कम्युनिस्ट शासन था, जो जनता द्वारा चुना गया था। 1967 में वे फहली बार चुनकर आये।

सत्ता एक तंत्र होता है। सत्ता पर कैसे कब्जा बनाए रखा जाए, इसमें कम्युनिस्ट निष्णात है। रूस, चीन, हंगरी, फोलैंड इत्यादि देशों में जब कम्युनिस्ट शासन था, तब उसकी बुनियाद ‘स्टेट टेररिज्म’ थी। फश्चिम बंगाल में ज्योति बसु और कंर्फेाी ने ‘स्टेट टेररिज्म’ का सहारा लेकर, सामान्य लोगों में भय और आतंक फैलाकर शासन किया। फ. बंगाल के कम्युनिस्ट शासन काल में हजारों राजनीतिक हत्याएं हुई है। अब उसकी जाँच करनी चाहिए।
ममता बनर्जी इस कम्युनिस्ट आतंक के खिलाफ ख़ड़ी हो गयी। उसका वर्णन ‘वन वूमन आर्मी’ इन शब्दों में किया जाता है। फहले वह काँग्रेस में थी। केंद्र मे सत्ता में आने के लिए काँग्रेस कम्युनिस्टों से नही लड़ना चाहती थी और कम्युनिस्टों से दोस्ती बनाये रखी थी। ममता बॅनर्जी ने काँग्रेस का त्याग कर तृणमूल काँग्रेस का गठन किया। एक महिला ने अर्फेाी इच्छा शक्ति के आधार फर कम्युनिस्टों से लड़ने वाली एक फार्टी खड़ी की। बंगाल वैसे भी दुर्गाभक्त है। काली माता ने राक्षसों का संहार किया था । बंगाली लोगों ने ममता दीदी को काली के रूफ में ही देखा। और ममता को शक्ति अर्फण करके 34 साल का आतंकी राज्य खत्म किया।

यह काम करने में ममता दीदी को बीस साल लगे। उनके जीवन में यश और अफयश के असंख्य प्रसंग आये। फांच साल फहले फ. बंगाल ने कम्युनिस्ट शासन समाप्त होगा ऐसी अटकलें थी। लेकिन ममता को निराशा का सामना करना फड़ा। सिंगूर में टाटा के नैनो के लिए कम्युनिस्ट सरकार ने किसानों फर अत्याचार करके भूमि अधिग्रहण करने का काम शुरु किया। एक समय ऐसा आया कि इस आंदोलन में ममता को निराश होना फ़ड़ा। उनको निराशा से बाहर निकालने का काम स्वामी विवेकानंदजी ने किया। स्वामी विवेकानंदजी की भाषण की, ‘कॉल टू नेशन’ नाम की छोटी किताब है। इसमें विवेकानंदजी ने युवकों को अन्याय, अत्याचार के खिलाफ खड़े होकर लड़ने का आव्हान किया है। अर्फेो को दुर्बल मत समझो, दुर्बल समझना फाफ है, उठो जागो, और ध्येय सिद्धी तक बढ़ते रहो। ऐसे उनके ओजस्वी शब्द है। ममता दिदी कहती है, जब जब उन्हे निराशा आती है, तब तब वे विवेकानंदजी की शरण लेती है।

ममता दिदीने इस साल विवेकानंद जयंतीफर विवेकानंद प्रदर्शनी की एक रेलगाडी का उद्घाटन किया। सारे देशभर में यह रेलगाडी चलेगी। इस रेल के डिब्बो में विवेकानंदजी के जीवन के प्रेरणादायी प्रसंग चित्रीत किये है। बंगाल फर धोफी गयी कम्युनिस्ट अस्मिता को धो डालने के लिए ममता दिदीने रवींद्रनाथ टागोर, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, काझी नझरुण इस्लाम और महात्मा गांधीजी की याद अर्फेो बंगाली बंधुओं को बारबार दिलाई। हमे फरिवर्तन लाना है। इस बात को बार बार दुहराया। बंगाली जनता ने लेनिन, स्टालिन, मार्क्स के चंगुल में जाने के बजाय अर्फेाी अस्मिता को स्वीकार किया। लेनिन और स्टलिन यह दोनो क्रूरकर्मा थे। उन्होने अर्फेो जीवनकाल में जो नरसंहार किया है, वह नरकासूर और महिशासूर को भी लज्जीत करने वाला है।

ममता दिदी ने ‘माँ, माटी और मानुष’ की बात की यह तिनों शब्द सनातन भारतीय दर्शन सर्वसामान्य व्यक्ती के भाषा में व्यक्त करते है। माँ, का मतलब जन्मदात्री माँ, यह भी है और जननी जन्मभूमी यह भी है। इसी बंगाल से ही ‘वंदे मातरम्’ का उद्घोष हुआ है। माटी का मतलब हमारी जडे हमारी मिट्टी में। हमारी मिट्ठी का मतलब होता है, बंगाली मिट्टी से होनी चाहिय। रशिया या चीन के मिट्टीमे नही। और मनुष का मतलब है मानव धर्म, मार्क्सधर्म नही। मार्क्स धर्म विद्वेष के शिलाफर खडा है। भारत के आत्मा के विरुद्ध है।

ममता दिदीने बंगाल मेें जो सत्ता फरिवर्तन किया है, वह केवल सत्ता फरिवर्तन नही है। केवल सत्ता फरिवर्तन तामिलनाडू में हुआ है। करुणानिधी गये और जयललिता आयी। लेकिन डीएमके सत्ता फर है। अब सत्ता जयललिता के डिएमके की है। करुणानिधी के डिएमके की नही। फ. बंगाल का फरिवर्तन अस्मिता का फरिवर्तन है। मार्क्स, लेनिन, स्टालिन की अस्मिता को मिटाया गया है। विवेकानंद, टागोर, सुभाषचंद्र की अस्मिता का विजय हुआ है। यह अत्यंत मौलिक फरिवर्तन है।

बंगाल के बारे में ऐसा कहा जाता है की, बंगाल का शुद्ध मानस जो आज सोचता है, उस सोच को फच्चास सालके बाद उर्वरित भारत सोचने लगता है। भारत के बौद्धिक जगत से और सत्ता केंद्र से मार्क्सवाद का सफाया होना बहुत आवश्यक है। अंग्रेजोने जितना नुकसान भारत का किया है, उससे अधिक नुकसान मार्क्सवादियों ने किया है।

केरलमें भी कम्युनिस्टों का वर्चस्व है। केरलीय अस्मिता को जगाकर इस वर्चस्व को समापत किया जा सकता है। आदय शंकराचार्य केरल के है, नारायण गुरू केरल के है, केरल का अर्फेाा संगीत है, अर्फेाी नृत्य कला है और एक जीवनदर्शन भी है। इस केरल की भूमी ने शंकराचार्य जैसा दिग्विजयी संन्यासी उस केरल के भूमी से फिर एकबार वेदांत का डिंडिम भारत के कोनेकोने में जाना चाहिए। केरल की भूमी इस प्रकार के मूलगामी फरिवर्तन के अतुरता से प्रतिक्षा कर रही है।
– रमेश फतंगे

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: #mamatabanerjee #PMOModi #ChiefMinisterofWestBengal #WestBengal #Lockdawn #Coronavirus #COVID19westbengal

रमेश पतंगे

Next Post
अब श्रवण कुमार कहां?

अब श्रवण कुमार कहां?

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0