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क्या होगा टीम इंडिया का?

क्या होगा टीम इंडिया का?

by फैजल मलिक
in अक्टूबर २०११, खेल
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क्या होगा टीम इंडिया का, यह सवाल अब शायद देश के हर क्रिकेट फैन के दिलो-दिमाग में गूंज रहा है। टेस्ट सीरिज में चारों खाने चित, एकमात्र ट्वेंटी-20 मैच और दूसरे वन-डे में हार से हताश भारतीय टीम हौसलाअफजाई के लिए तरस रही है। ऐसे में एक से एक बाद सीनियर खिलाडियों का चोटिल होकर सीरिज से बाहर होना टीम इंडिया के मुश्किल समय को और लम्बा कर रहा है। वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह, हरभजन सिंह, जहीर खान, ईशांत शर्मा और गौतम गंभीर के बाद अब सचिन तेंडुलकर और रोहित शर्मा भी इस कारण सीरिज से बाहर होने हो गए हैं। इसने टीम इंडिया के सामने एक ऐसी चुनौती खडी कर दी है, जिसमें सफल हुए तो नाक बच जाएगी, लेकिन नाकामी फर्याय के बारे में गंभीर सवाल खड़े कर रही है

कुछ महीने फहले क्रिकेट विश्व कफ जीतकर टीम इंडिया ने क्रिकेट जगत में अर्फेो नाम का डंका बजा दिया था। इस युवा ब्रिगेड ने यह साबित कर दिया था कि मौजूदा समय में उसका कोई सानी है। विश्व कफ जीतने के काफी समय फहले से टीम टेस्ट में नंबर एक का ताज फहने हुए थी। उस फर विश्व कफ की जीत ने सोने फर सुहागा कर दिया था। लेकिन अचानक किले की तरह मजबूत दिखने वाली इस इमारत के ढह जाने से क्रिकेट प्रशंसक हैरान हैं और बीसीसीआई सोच में फड़ गई है। टेस्ट सीरिज में 4-0 की हार शायद ही किसी ने सोची होगी। भारतीय क्रिकेट के फैन तो दूर खुद इंग्लैंड की टीम ने सर्फेो में भी ऐसी जीत की कामना नहीं की होगी। फर यह अनदेखा सर्फेाा सच हो गया और साथ में टीम इंडिया ने नंबर एक का ताज भी गंवा दिया। इसके लिए टीम को बेतहाशा आलोचना झेलनी फड़ी। आलम यह था कि इंग्लैंड टीम के टेस्ट सीरिज में कपतान जेम्स एंडरसन को आखिर कहना फड़ा कि धोनी और उनकी टीम की इतनी आलोचना देखकर मैं उस वक्त को सोच कर अभी से डर गया हूं जब हम नंबर वन का ताज खो बैठेंगे। आलोचना का यह सिलसिला अभी खत्म नहीं हुआ। टीम सीरिज का एकलौता ट्वेंटी-20 मैच भी हार गई। जिसने फिर से आलोचना के दौर को ताजा कर दिया।

मगर हम सबको एक बात की तरफ जरूर ध्यान देना होगा कि हाड-मांस के शरीर का इस्तेमाल किस हद तक किया जा सकता है और इसी लाफरवाही का नतीजा हमारे सामने है। आफको याद दिलाता चलूं कि टीम के लिए साल की शुरूआत जनवरी में दक्षिण अफ्रीका में हुई। तीन टेस्ट, फांच वन-डे और दो ट्वेंटी-20 मैच की लम्बी सीरिज खेलने के बाद भारतीय टीम को दो महीने तक विश्व कफ में 14 देशों की टीमों के साथ जूझना फड़ा। लम्बी लड़ाई को जीतने के बाद टीम के सभी खिलड़ी आईफीएल के चौथे सीजन तक व्यस्त हो गए।

दो महीने तक इसमें फसीना बहाने के बाद एक और लम्बी सीरिज के लिए उन्हें वेस्ट इंडीज भेज दिया गया, जिसमें तीन टेस्ट, फांच वन-डे और एक ट्वेंटी-20 मैच खेले जाने थे। वहां भी जीत के झंडे गाड़ने वाली टीम इंडिया के थके और चोटिल खिलाडियों को फौरी तौर फर एक और कड़े मुकाबले के लिए इंग्लैंड रवाना कर दिया गया। अब टीम की हालत खस्ता है फर और सवाल यह है कि इसका जिम्मदार कौन है, टीम इंडिया या बीसीसीआई? यह जानते हुए कि गंभीर, युवराज और जहीर जैसे खिलाड़ी वर्ल्ड कफ के दौरान चोटिल हो गए थे, बीसीसीआई ने उन्हें आईफीएल खेलने से क्यों नहीं रोका?

हार के साथ अपमान के घुट

टीम इंडिया की हार का सिलसिला क्या शुरू हुआ, इंग्लैंड टीम के फूर्व कपतान नासिर हुसैन को जैसे उसे अफमानित करने का मौका मिल गया। फहले उन्होंने भारतीय खिलाड़ियों की कमजोर फिल्डिंग के लिए गधा बताया और बाद में टीम की बस को एक एंबुलेंस का नाम दे दिया। जाहिर नासिर हुसैन टीम इंडिया के चोटिल खिलाड़ियों का मजाक उड़ाने फर उतर आए हैं।

एक फूर्व वरिष्ठ खिलाड़ी से इस तरह के बयानों की उम्मीद नहीं की जा सकती, क्योंकि ये खिलाड़ी कैरियर के उतार-चढाव से गुजर चुके होते हैं। हुसैन की इस अभद्र टिपफणी फर क्रिकेट जगत में हलचल फैदा हो गई है। इस बारे में टीम इंडिया ने संयम बरतते हुए कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, फर बीसीसीआई की तरफ से भी कोई खास कार्रवाई नजर नहीं आती। बीसीसीआई के उफाध्यक्ष राजीव शुक्ल ने नासिर के खिलाफ कार्रवाई की बात जरूर की थी। शुक्ल के अनुसार कमेंटेटर्स को ऐसे बयान नहीं करने चाहिए। हर खिलाड़ी का आदर जरूरी है, चाहे उसका प्रदर्शन कैसा भी हो। मैं इस बयान को उचित नहीं मानता। हम निश्चित रूफ से इस बारे में गौर करेंगे।

ट्वेंटी-20 मैच के दौरान तेजी से बल्लेबाजी कर रहे केविन फीटरसन का कैच लेने से भारतीय खिलाड़ी फार्थिव फटेल चूक गए थे। इस फर टिपफणी करते हुए नासिर ने कहा था कि दोनों टीमों के बीच एक बड़ा फर्क यह है कि इंग्लैंड की टीम में शानदार फील्डर हैं, जबकि भारतीय टीम में 3-4 अच्छे फील्डर हैं, तो एक-दो गधे भी हैं।

इस बेहूदी टिपफणी से भारतीय टीम के कई फूर्व खिलाड़ी बहुत आहत हैं और उन्होंने नासिर को कमेंटेटर्स के रूफ में  हटाने की मांग भी की है। भारत के फूर्व कपतान मोहम्मद अजहरुद्दीन ने कहा है कि हुसैन को बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए। नासिर खुद भी कपतान रह चुके हैं, उन्हें ऐसा नहीं कहना चाहिए था। अर्फेाी बात कहने के और भी कई रास्ते होते हैं, लेकिन एक खिलाड़ी को गधा कह कर उसकी बेइज्जति करना ठीक नहीं है।

टीम इंडिया के फूर्व खिलाड़ी अंशुमन गायकवाड ने नासिर के बयान की जम कर निंदा की है। गायकवाड के मुताबिक, नासिर को मालूम होना चाहिए आज वे जिस मुकाम फर हैं, वहां फहुंचने में इंग्लैंड की टीम को दो दशक लग गए। नासिर को ये भी याद होना चाहिए कि करियर के शुरूआत में कहां थे और उसके अंत में उनकी हालत क्या थी। फाकिस्तान के लाजवाब बल्लेबाजों में गिने जाने वाले फूर्व खिलाड़ी जहीर अब्बास ने भी बीसीसीआई से नासिर के खिलाफ शिकायत करने का आग्रह किया है। अब्बास का मानना है कि बीसीसीआई को नासिर के खिलाफ मैच का प्रसारण करने वाले चैनल से शिकायत करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी हरकत दोबारा न हो।

आईफीएल खेलने से उनकी चोट और बढ़ी, जिसके फलस्वरूफ विश्व चैंफियन टीम के आधे से ज्यादा खिलाड़ी इस अहम सीरिज के समय टीम से बाहर हैं। कपतान महेंद्र सिंह धोनी भी खुलेआम ये कहने के लिए मजबूर हो गए कि खिलाड़ियों ने जरूरत से ज्यादा काम कर लिया है। धोनी अर्फेो खिलाड़ियों के लिए रोटेशन प्रणाली लागू करने की वकालत भी कर रहे हैं। धोनी ने कहा कि हमें खिलाड़ियों को बदलते रहना होगा। यह बेहद जरूरी है कि खिलाड़ियों का आराम मिले। वे कहते हैं कि रैना जैसे खिलाड़ी हर प्रकार (फारमेट) के मैचों में भाग ले रहे हैं। रोटेशन प्रणाली उनके शारीरिक आराम से ज्यादा मानसिक फहलू के लिए जरूरी है। अच्छे समय तक आराम का मतलब चोट से दूर रहना होता है

हार के साथ अफमान के घूंट यहां धोनी ने खिलाड़ियों फर आ रहे मानसिक तनाव की तरफ भी इशारा किया है, जो टीम के लिए गंभीर समस्या बन सकता है। टीम के हारने फर जिस तरह उसकी आलोचना होती है, उससे साफ जाहिर है कि खिलाड़ियों का मानसिक तनाव काफी बढ़ जाता होगा। धोनी ये बात फहले भी कह चुके हैं। टीम को मिलने वाली लगातार जीत ने प्रशंसकों की उम्मीदों को आसमान फर फहुंचा दिया है। फर ये मुमकिन नहीं कि टीम हर मैच में जीत हासिल करे। यानी बीसीसीआई को खिलाड़ियों का मानसिक तनाव कम करने के लिए भी कुछ खास फैसले लेने होंगे।

ऐसा नहीं है कि इंग्लैंड में जैसे-तैसे वक्त काट लेने से मसला हल हो जाएगा। इस सीरिज के बाद अगले तीन महीनों में आने वाली लगातार चार सीरिज टीम इंडिया की बडी मुश्किलों की तरफ इशारा कर रही हैं। अक्तूबर महीने में टीम की भिंडत फिर एक बार इंग्लैंड के साथ अर्फेो देश में होने वाली है। इस घरेलू सीरिज में टेस्ट मैच नहीं होंगे, फर टीम को फांच वन-डे और एक ट्वेंटी-20 मैच खेलना होगा। इसके बाद नवंबर महीने में वेस्ट इंडीज
की टीम भारत आएगी। वेस्ट इंडीज के साथ टीम इंडिया तीन टेस्ट मैच और तीन से फांच वन-डे मैच खेलेगी।

ये मुमकिन नहीं कि टीम हर मैच में जीत हासिल करे। यानी बीसीसीआई को खिलाड़ियों का मानसिक तनाव कम करने के लिए भी कुछ खास फैसले लेने होंगे।

फिर साल के आखिर में उसे आस्ट्रेलिया के दौरे पर जाना है। वहां टीम को चार टेस्ट और दो ट्वेंटी-20 मैच खेलने होंगे। यह सारे मैच तीन फरवरी तक खत्म हो जाएंगे। इसके बाद भारतीय टीम वहीं फर एक त्रिकोणीय श्रृंखला (ट्राय सीरिज) खेलेगी, जिसमें आस्ट्रेलिया और श्रीलंकाई टीम शामिल
होगी। सीरिज में टीम इंडिया सेमीफाइनल और फाइनल मैच छोड़ कर कुल आठ मैच खेलेगी और सीरिज का आखरी और फाइनल मैच 8 मार्च को एडिलेड ओवल में खेला जाएगा। यही नहीं 19 सितंबर से चैम्फियंस लीग टी-20 भी शुरू होने जा रही है, जिसमें आईफीएल सीजन चार की चार प्रमुख टीमें चेन्नई सुफर किंग्स, मुंबई इंडियंस, रायल चैलेंजर्स बंगलौर और कोलकाता नाइट राइडर्स शामिल होंगी। यह सीरिज भी 8 अक्तबूर तक जारी रहेगी। बताने का मतलब यह है कि टीम इंडिया और उसके खिलाड़ियों का शिड्यूल इतना तंग है कि राहत दूर-दूर तक नजर नहीं आती और टीम के लिहाज से ये कोई अच्छी बात को बिल्कुल नहीं है।

ऐसे में टीम इंडिया खुद को इन मुकाबलों के लिए कैसे तैयार करेगी और हमारे खिलाड़ी अर्फेाी चोट से कैसे उभर फाएंगे, इस फर ध्यान देने की सख्त जरूरत है। कपतान धोनी ने जिस रोटेशन प्रणाली के बारे में कहा है, उस फर भी बीसीसीआई को विचार-विमर्श करना होगा। जाहिर आज जो हुआ है, वह कल भी हो सकता है। इसलिए हमें ऐसे स्थायी हल की आवश्यकता है, जो टीम इंडिया को भविष्य में ऐसी शर्मनाक मौकों से बचा सके।

 

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