एयरफोर्स डे: 88वें स्थापना दिवस पर दिखा वायुसेना का दम

08 अक्टूबर 2020 का दिन वायुसेना के लिए गौरव पूर्ण है, वायुसेना ने गुरुवार को अपना 88वां स्थापना दिवस मनाया। इस दौरान वायु सेना के जाबांजों ने उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद हिंडन एयरबेस पर आसमान को छूने वाले करतब दिखाए। अपने 88वें स्थापना दिवस के मौके पर वायु सेना ने अपने करतब में लड़ाकू विमान तेजस, रफाले, चेतक हेलिकॉप्टर सहित कई जहाजों को शामिल किया। एयर शो के दौरान सभी पायलट और लड़ाकू विमानों ने हैरतअंगेज़ करतब दिखाया। वायु सेना के स्थापना दिवस के मौके पर तीनों सेनाओं के प्रमुख और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत भी मौजूद थे। समारोह के दौरान नेवी चीफ एडमिरल करमवीर सिंह और थल सेना प्रमुख एम.एम. नरवणे ने सेना के जवानों को सलामी दी।  


एयर शो की शुरुआत में चिनूक और अपाचे हेलिकॉप्टर ने तीनों सेनाओं के प्रमुखों को सलामी दी। इसके बाद तेजस, सुखोई और राफेल ने आसमान में अपनी ताकत का नमूना पेश किया और यह दिखा दिया कि भारत की तरफ आंख उठाने वालों को हम मुहतोड़ जवाब देंगे। गुरुवार को हुए एयरशो में कुल 56 एयरक्राफ्ट ने हिस्सा लिया जिसमें 19 फाइटर प्लेन, 19 हेलीकॉप्टर, 7 ट्रांसपोर्ट हेलीकाप्टर, 9 एरोबैटिक टीम के हॉक और 2 विंटेज शामिल हुए।  
 

 

88वें एयर शो के दौरान चीफ मार्शल राकेश कुमार सिंह भदौरिया ने सभी को संबोधित किया और कहा कि देश की वायुसेना पूरी शक्ति और मजबूती के साथ खड़ी है। वायु सेना किसी भी परिस्थिति में देश की रक्षा के लिए तैयार है। वायु सेना दिवस और एयरचीफ मार्शल का बयान दोनों ही इसलिए बहुत मायने रखता है क्योंकि इस समय भारत और चीन के बीच विवाद चल रहा है। 

 

 

आप को बतादें कि 8 अक्टूबर 1932 को वायु सेना की स्थापना की गयी थी लेकिन आजादी से पहले बने इस सैन्य दल को रॉयल इंडियन एयर फोर्स (RIAF) के नाम से जाना जाता था। करीब एक साल बाद 1 अप्रैल 1933 को वायुसेना का पहला दस्ता बना जिसमें कुल 6 आईएएफ ऑफिसर और 19 सिपाहियों को शामिल किया गया। देश जब स्वतंत्र हुआ तब रॉयल शब्द को निकाल दिया गया और यह बन गया इंडियन एयरफोर्स। आजादी के बाद भी एयरफोर्स ने देश को कई विजय दिलायी है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी वायु सेना को उसके स्थापना दिवस पर बधाई दी। 

 

भारतीय वायु सेना का आदर्श शब्द है नभः स्पृशं दीप्तम। इस वाक्य का अर्थ है राष्ट्र रक्षा के समान कोई पुण्य नही, राष्ट्र रक्षा के समान कोई व्रत नही, राष्ट्र रक्षा के समान कोई यज्ञ नही। इस शब्द को भगवत गीता से लिया गया है। भगवान कृष्ण महाभारत के समय अर्जुन को ज्ञान देते है।   

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