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मेहनत ने दिलाई मंजिल

मेहनत ने दिलाई मंजिल

by विशेष प्रतिनिधि
in मार्च २०१३, सामाजिक
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लगन, निश्चय, द़ृढ़ प्रतिज्ञा अगर हो तो मुश्किल मंजिल भी आसान लगती है। मालाड उपनगर में रहने वाली प्रेमा जय कुमार पेरुमल ने पहली ही कोशिश में न केवल चार्टर्ड एकाउटेंट की परीक्षा उत्तीर्ण की, अपितु उसने देश में पहला स्थान अर्जित किया। प्रेमा को 800 में से 607 अंक प्राप्त हुए।

बेटी को सी. ए. बनाने के लिए उसके पिता ने उसे सभी सुविधाएं उपलब्ध करायी थीं। ऑटो रिक्शा चलाकर दिन भर में 300 रुपए कमाने वाले पिता के सपने को बेटी ने जब साकार कर दिखाया तो पिता के आनन्द की सीमा न रही।

गत वर्ष नवम्बर माह में आयोजित की गयी परीक्षा में मालाड पश्चिम स्थित एक चाल में रहने वाली प्रेमा ने विपरीत परिस्थितियों को मात देकर सी. ए. की परीक्षा में यह सफलता अर्जित की। प्रेमा का कहना है कि पिता तथा भाई का सहयोग उसे मिलता रहा है।

मालाड के खांडवाला कॉलेज के सभी शिक्षकों द्वारा दी गयी प्रेरणा भी प्रेमा को लक्ष्य तक पहुंचाने में अहम रही है। प्रेमा का कहना है कि मेरी इस सफलता में मैं अपने परिजनों, शिक्षकों के योगदान को कभी नहीं भूल सकती। वे अपने कॉलेज के प्राचार्य डॉ. ऐसी जोंसी की प्रशंसा करते नहीं थकती। वह कहती हैं कि अगर प्राचार्य ने मेरा समय-समय पर मार्गदर्शन नहीं किया होता तो शायद मुझे पहली कोशिश में सी. ए. जैसी कठिन परीक्षा उत्तीर्ण करने का अवसर ही नहीं मिलता। प्रेमा का कहना है कि बगैर कुशल मार्गदर्शन के सी. ए. जैसी परीक्षा में उत्तीर्ण होना संभव ही नहीं था।

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट की ओर से आयोजित की गयी इस परीक्षा में देश भर से 51,906 प्रतियोगियों ने शिरकत की थी, इतनें में 11 हजार, 341 विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए। देश भर में 343 केन्द्रों में परीक्षा आयोजित की गयी थी। मूलत: तमिलनाडु के रहने वाले जय कुमार पेरुमल मालाड की सड़कों पर विगत दो दशकों से ऑटो रिक्शा चला रहे हैं। पिता व भाई के सहयोग के बिना इतनी कठिन परीक्षा में उत्तीर्ण होने की बात को असम्भव बताते हुए प्रेमा ने बताया कि उसके भाई धनराज ने एक कॉल सेंटर में नौकरी की और उससे जो वेतन मिला उससे सी. ए. की परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन कराया। आज की मेहनत कल की आनंद भरी जिन्दगी है, इसी मूल धारणा को ध्यान मे रखकर प्रेमा ने हर दिन 17 घण्टे पढ़ाई की। परीक्षा में सफलता पाने के लिए कितनी भी परेशानी हो,पर उसने पढ़ाई का सिलसिला जारी रखा।

पिताजी को हर मौसम में कार्य करता हुआ देखकर वह यही सोचती थी कि मेरे पिता सुबह ही ऑटो चलाने के लिए निकल जाते हैं, मेरी प्रसन्नता के लिए अपनी प्रसन्नता को भूल जाते हैं, मेरी हर जरूरतों को पूरा करने के लिए तत्पर रहते हैं, तो फिर मैं अपने पिता के सपनों को क्यों न साकार करूं, जिस पल प्रेमा के मन में यह विचार आया, उसने सी.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए रात-दिन एक कर दिया। उल्लेखनीय है कि चार्टर्ड एकांउटेंट का पाठ्यक्रम बहुत कठिन है, इसमें पहली कोशिश में सफलता मिलना ही मुश्किल है, ऐसी परीक्षा में पहली कोशिश में देश में टॉप करना सचमुच बहुत बड़ी सफलता है। देश में आज सिर्फ दो लाख चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं। इसे अगर प्रतिशत के रूप में देखें तो हर दस हजार लोगों में 1.6 प्रतिशत, जबकि अमेरिका में यह प्रमाण 15 प्रतिशत, ब्रिटेन में 18 और ऑस्ट्रेलिया में 28 प्रतिशत है। इंजीनियरिंग, मेडिकल के अलावा किसी और क्षेत्र में जाने के प्रति विद्यार्थियों का जो दृष्टिकोण पहले था, वह अब बदल रहा है। सी. ए. की परीक्षा में ऑटो चालक, प्लंबर, हमाल (मजदूर) के बच्चों को मिली सफलता यही बताती है कि झोपड़पट्टी में रहने वाले बच्चों के ज्ञान में कोई कमी नहीं है, यदि ऐसे बच्चों को सुविधाएं प्रदान कर लगातार पढ़ाई के प्रति जागरूक रखने की सलाह दी जाती रही तो ये सफलता की उस ऊँचाई तक पहुंचने में कामयाब हो जाते हैं, जहां तक पहुंचना आमतौर पर मुश्किल माना जाता है।

वर्ष में दो बार आयोजित की जाने वाली इस परीक्षा में भी छात्राएं छात्रों के मुकाबले अच्छे अंक प्राप्त कर रही हैं। इस परीक्षा के परिणाम की ओर दृष्टि डालें तो पहले चरण की परीक्षा में 27.30 प्रतिशत विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए, जबकि दूसरे चरण में 21.85 प्रतिशत विद्यार्थियों को सफलता मिली। दोनों चरणों में उत्तीर्ण विद्यार्थियों को जोड़ दिया जाये तो 12.97 प्रतिशत विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए हैं। दोनों चरणों में शामिल हुए विद्यार्थियों की संख्या राष्ट्रीय स्तर पर 7 लाख, 77 हजार, 461 थी, उनमें से 30 हजार 305 परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए, इस तरह 27.07 प्रतिशत विद्यार्थी सी. ए. परीक्षा में गत वर्ष उत्तीर्ण हुए, इन सभी में पहला नम्बर मुंबई की प्रेमा जय कुमार पेरुमल को मिला। इस आधार पर अगर यह कहा जाये कि ‘ईस्ट या वेस्ट मुंबई इस बेस्ट’ तो गलत नहीं होगा।

 

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