हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
नये पर्व का आरंभ

नये पर्व का आरंभ

by अमोल पेडणेकर
in अक्टूबर-२०१३, संपादकीय
0

नरेंद्र मोदी के प्रधान मंत्री पद के उम्मीदवार बनने के माने क्या हैं? माने यही है कि परिदृश्य साफ हो गया। इस मुद्दे को लेकर किंतु-परंतु की इतिश्री हो गई। ऊहापोह की स्थिति खत्म हो गई। चुनाव के बाद इस विषय पर उठने वाले मुद्दें आज ही समाप्त हो गए। सारे प्रश्नों का एक ही उत्तर है नरेंद्र मोदी। इसे भाजपा में मोदी युग का शुभारंभ मानना चाहिए। मोदी नहीं होते तो कौन होता- इस प्रश्न का उत्तर भी एकमात्र मोदी ही है! कल के प्रश्नों का आज ही खुलासा कर देना भाजपा की शक्ति है!!

कार्यकर्ताओं के मन की बात हो गई। भाजपा के नेतृत्व को बधाई देनी चाहिए कि उसने अपने कार्यकर्ताओं और देश के रुझान को समय पर भांप लिया। इतिहास के किसी मोड़ पर निर्णायक क्षण आते हैं, कठिन प्रसंग आते हैं, मतभिन्नता होती है। ये सामयिक बातें हैं। लोकतंत्र में यह सब नैसर्गिक है। जहां यह नहीं होता, वहां तानाशाही होती है। हमने लोकतंत्र को स्वीकार किया है, तो लोकतंत्र की परिपाटी भी हमें शिरोधार्य है। इसमें जल्दी या देरी के प्रश्न निरर्थक हैं। जरूरत होती है समय को पकड़ने की। इसलिए जल्दबाजी का भ्रम व्यर्थ है।

चुनाव लोकतंत्र का उत्सव है, वोटों का युद्ध है। इस युद्ध में राष्ट्रीय, कद्दावर, प्रखर व अनुभवी नेतृत्व की जरूरत होती है। नरेंद्र मोदी के रूप में ऐसा निस्वार्थी नेतृत्व उपलब्ध है, जो मतदाताओं के समक्ष सकारात्मक बातें प्रस्तुत कर सकता है। गुजरात में बारह साल के सुशासन से यह बात साबित हो गई है। इस बीच, सामाजिक समरसता, सामाजिक सरोकार और राजधर्म का उन्होंने पालन किया है यह स्वयंसिद्ध है। हर तरह के प्रहारों को झेलने और उनके प्रत्युत्तर में खड़े होने की उनमें क्षमता प्रकट हो चुकी है। प्रतिपक्ष का अन्य कोई नेता उनके जैसे राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित नहीं रहा। व्यक्तित्व की इतनी मजबूती के कारण वह कभी निरंकुश हो जाएंगे, यह संदेह निर्मूल मानना चाहिए। वे जिस राष्ट्रीय विचारधारा में पले-बढ़े, वह विचारधारा उन्हें कभी निरंकुश नहीं होने देगी। व्यक्तिवाद या घरानेशाही भाजपा या संघ-परिवार का कभी हिस्सा नहीं रही और न आगे कभी रहेगी।

मोदी ने ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ का नारा दिया है। ‘कांग्रेस मुक्ति’ का अर्थ उन विचारों से मुक्ति है जिनके कारण देश अराजकता की कगार पर पहुंच गया है। महंगाई से जनजीवन त्रस्त है। अर्थव्यवस्था के चक्र थमते नजर आ रहे हैं। भ्रष्टाचार ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं। अपराधियों की बन आई है। उन पर अंकुश नहीं है। बहू-बेटियां सुरक्षित नहीं हैं। देश की सुरक्षा पर संकट है। ऐसा भारत, देश की जनता कभी नहीं चाहती। इसलिए कांग्रेस से भारत को मुक्त करने की जरूरत है। बदलाव समय की मांग है और उस बदलाव के प्रतीक हैं नरेंद्र मोदी!

2014 का दृश्य कुछ-कुछ साफ है। दो राष्ट्रीय दलों- भाजपा व कांग्रेस के बीच सीधा संघर्ष है। भाजपा की ओर से सेनापति मोदी होंगे, कांग्रेस के छद्म सेनापति राहुल बाबा होंगे। छद्म इसलिए कि कांग्रेस शायद ही उन्हें प्रधान मंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करेगी। खेतों मेें किसान काकभगौड़ा खड़ा करते हैं, लगभग वैसी ही स्थिति में राहुल बाबा होंगे। जीते तो युवराज, हारे तो शेष नेतृत्व! नेहरू-गांधी नाम का जादू आज भी काम देगा ऐसा उन्हें लगता है। सत्ता का मार्ग उन्हें 10 जनपथ से जाता दिखाई देता है। लेकिन, इस बीच गंगा में बहुत पानी बह चुका है। जनभावना नई इबारत लिखना चाहती है। वह इबारत है बदलाव की, सकारात्मक बदलाव की! भाजपा इस बदलाव को मुखर करें इसीमें उसकी सफलता है।

एनडीए का क्या होगा यह चिंता अब व्यर्थ है। एनडीए के मोदी विरोध को मुखर करने वाले ओडिशा के बिजू पटनायक और बिहार के नीतिश कुमार हैं। उनके सामने भाजपा के साथ आने या कांग्रेस का दामन थामने अथवा वाम मोर्चे नामक तीसरे मोर्चे के साथ जाने के विकल्प हैं। वाम मोर्चा तो केवल गुब्बारा है, कब फूटेगा इसका कोई अंदेशा नहीं है। कांग्रेस की डूबती नैया का उन्हें आभास है। ऐसी स्थिति में देर-सबेर या किसी साझा कार्यक्रम के बहाने भाजपा का साथ लेने का बेहतर विकल्प उन्हें उपलब्ध है। वैसे भी वे क्षेत्रीय दल हैं और अकेले मैदान में उतरे तो क्या होगा यह वे भी जानते हैं। इसलिए चुनाव के पहले बहुत से गठजोड़ होने वाले हैं। आज उसकी चिंता में दुबले होने का कोई कारण नहीं है।

रणमैदान जब सामने हो तो एक स्वर से, एक नेतृत्व में संगठित शक्ति के साथ लड़ना होता है। भाजपा कार्यकर्ता इसे अनुभव करेंगे तो जनता भी उन्हें झोली भरकर देगी।

—————
्र्र्र्र्र्र्र

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: BJPhindi vivekhindi vivek magazinenew erapm narendra modiprime minister of india

अमोल पेडणेकर

Next Post
जाति की दलदल में फंसा उत्तर प्रदेश

जाति की दलदल में फंसा उत्तर प्रदेश

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0