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समाज जागरण एवं एकत्रीकरण अभियान

समाज जागरण एवं एकत्रीकरण अभियान

by pallavi anwekar
in फरवरी-२०२१, विशेष, संपादकीय
1

अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर बनाने के लिए पूरे भारत में निधि संकलन अभियान चलाया जा रहा है। वैसे तो भारत में और विदेशों में ऐसे कई धनाढ्य भारतीय हैं, जो यदि ठान लें तो एक साथ आकर भव्य राम मंदिर का निर्माण केवल अपने बलबूते भी कर सकते हैं। परंतु राम मंदिर निर्माण के लिए इस प्रकार के सहयोग की किसी से भी अपेक्षा नहीं की गई। वास्तव में राम मंदिर निर्माण की संकल्पना केवल किसी वास्तु के निर्माण तक मर्यादित नहीं है। इस मंदिर को भारतीय जनमानस के संगठन, आदर्श, संस्कार तथा क्षात्रतेज के प्रतीक के रूप में विश्व के सम्मुख प्रस्तुत करना इस भव्य मंदिर निर्माण का उद्देश्य है।

जिस प्रकार किसी वृक्ष की मजबूती इस बात पर निर्भर है कि उसकी जड़े जमीन में कितनी गहरी हैं और किसी वास्तु की मजबूती इस बात पर निर्भर है कि उसकी नींव जमीन में कितनी गहरी है। ठीक उसी तरह किसी समाज की मजबूती इस बात पर निर्भर होती है कि वह समाज कितना संगठित है और उस समाज के संस्कार व क्षात्रतेज समाज में कितनी गहराई तक हैं। कालांतर में समाज में होने वाले उतार-चढ़ावों के कारण समाज में कई परिवर्तन होते रहते हैं, परंतु अगर समाज संगठित है, संस्कारित है और क्षात्रतेज से युक्त है तो वह मजबूत होगा। समाज को यह मजबूती प्रदान करने के लिए किसी स्रोत का होना आवश्यक होता है और अयोध्या का राम मंदिर यही स्रोत होगा।

प्रकृति का नियम है कि जब किसी समाज पर कोई आपदा आती है तो सम्पूर्ण समाज का संगठित रहना आसान होता है। परंतु जब परिस्थिति सामान्य होती है तो छोटी-छोटी बातों पर भी मतभेद होने शुरू हो जाते हैं और यही मतभेद समाज पर होने वाले विभिन्न सैनिकी या सांस्कृतिक आक्रमणों को निमंत्रण देते हैं। भारत ने ऐसे कई आक्रमण झेले हैं, पचाए हैं और उनका मुंहतोड़ जवाब भी दिया है। बाबरी ढ़ांचा पीढ़ियों तक भारतीय समाज पर होने वाले विभिन्न कुठाराघातों का प्रतीक बना रहा और एक दिन भारतीय समाज ने ही संगठित होकर उसे गिरा दिया। इसके बाद कई वर्षों तक संगठित रहकर ही न्यायालयीन प्रक्रिया पूर्ण होने की राह देखी और जब न्यायालय की ओर से मंदिर निर्माण के पक्ष में निर्णय आया तो सबने मिलकर आनंद भी मनाया।

वर्षों तक भारतीय जनमानस को आंदोलित तथा संगठित रखने वाला एक विषय पूर्णता की ओर अग्रसर हो रहा है। इससे आनंदित होना तो सही है परंतु अब जब भव्य राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है तो हो सकता था कि भारतीय समाज में स्थिरता दिखाई देने लगे और सामाजिक एकत्रीकरण तथा संगठन में पुन: शिथिलता आ जाए। अत: सम्पूर्ण भारतीय समाज को पुन: किसी एक विषय पर संगठित करने हेतु उसी स्तर के किसी वृहद विषय की आवश्यकता थी। भव्य राम मंदिर निर्माण हेतु निधि संकलन ही वह वृहद विषय हो सकता था क्योंकि भगवान श्रीराम सदैव सम्पूर्ण भारतीय समाज के आदर्श रहे हैं, राम मंदिर निर्माण का मुद्दा अभी भी जनमानस के विचार पटल पर है और भूतकाल में भी इस विषय पर संगठित समाज के प्रयासों के सुपरिणाम देखने को मिले हैं। यह सम्पूर्ण पृष्ठभूमि भारतीय समाज के संगठन के लिए श्रेयस्कर सिद्ध होगी।

यह निधि संकलन अभियान समाज में उत्तरदायित्व की भावना का भी संचार करेगा। आज समाज में जो पीढ़ी है उनमें से किसी ने भी श्रीराम जन्मभूमि पर बाबरी मस्जिद खड़ी होते हुए नहीं देखी। युवा पीढ़ी ने तो उसे गिरते हुए भी नहीं देखा। फिर इस नए समाज को अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर से भावनात्मक रुप से कैसे जोड़ा जा सकता है? उसके मन में यह भावना कैसे जागृत की जा सकती है कि वह मंदिर उसका अपना है? सम्पूर्ण भारत में भगवान श्रीराम के कई मंदिर हैं, फिर अयोध्या का मंदिर ही इतना महत्वपूर्ण क्यों है? भगवान श्रीराम को अपना आराध्य मानने के संस्कार तो उसे परिवार और समाज से मिल सकते हैं, परंतु अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर का इतिहास, उस पर बाबरी मस्जिद का निर्माण, बाबरी मस्जिद का ध्वस्त होना और मंदिर का पुनर्निर्माण, यह पूरी प्रक्रिया शायद उन्हें पता न चले। अगर इस मंदिर का इतिहास आने वाली पीढ़ी को पता नहीं होगा तो वह भविष्य में इसकी सुरक्षा के लिए भी उत्तरदायी नहीं होंगे और फिर एक बार इतिहास की पुनरावृत्ति होने की आशंका निर्माण हो सकती है। इतिहास की पुनरावृत्ति न हो, हमारी आने वाली पीढ़ियां भी संगठित रहें तथा अयोध्या का श्रीराम मंदिर सामाजिक संगठन की प्रेरणा का अविरत स्रोत बना रहे इस हेतु से यह निधि संकलन अभियान महत्वपूर्ण है।

यह अभियान समाज संगठन का एक पड़ाव है। भविष्य में कई अन्य विषय भी होंगे जिनमें समाज को संगठित होने की आवश्यकता होगी। उस समय की मांग के अनुसार अभियानों के नाम बदलते रहेंगे परंतु समाज संगठन का काम इसी तरह चलता रहेगा। वास्तव में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण तथा इसके लिए चलाया जा रहा निधि संकलन अभियान पुराने अध्याय की समाप्ति नहीं वरन नए अध्याय का प्रारंभ सिद्ध होगा, जो आवश्यकतानुरूप भविष्य के समाज को प्रेरित करता रहेगा।

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Tags: #Ayodhya ##rammandirnidhisamarpan #JaiShreeRam

pallavi anwekar

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Comments 1

  1. Shailesh Choudhary says:
    4 years ago

    बहोत सटिक

    Reply

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