‘जिये सिंध’ आंदोलन के जनक जी . एम. सईद

धर्म के आधार पर राष्ट्र का निर्माण करने की संकल्पना ही गलत है। अगर धर्म किसी राष्ट्र की नींव है तो क्या कारण है कि 45 अलग-अलग मुस्लिम राष्ट्र यूनो के सदस्य हैं। पाकिस्तान में मुसलमानों की जितनी संख्या है उससे अधिक भारत में है। अगर भारत जैसे हिंदू- बहुल देश में मुसलमान सुख से रह रहे थे तो पाकिस्तान के आंदोलन के समय दो राष्ट्रों का सिद्धांत सामने रखने की क्या आवश्यकता थी?
जी. एम. सईद अर्थात गुलाम मुर्तुजा सईद सिंध के राजनेता थे। 17 जनवरी 1904 को उनका जन्म हुआ और 25 अप्रैल 1994 को मृत्यु हुई। सिंध ‘जिये सिंध’ आंदोलन के वे जनक थे। उन्हें ‘सिंधी राष्ट्रवाद का जनक’ भी कहा जाता है। वे नेशनल अवामी पाटी के सक्रिय कार्यकर्ता थे। बाद में वे मुस्लिम लीग के समर्थक हो गये। पाकिस्तान के निर्माण के पूर्व तक उन्होंने इस संकल्पना का जोरदार समर्थन किया था। सन 1971 में बांग्लादेश के निर्माण के बाद उनकी अपेक्षाओं पर पानी फिर गया और उन्होंने ‘जिये सिंध’ का नारा दिया। उन्होंने सिंधु स्थान, सिंधुदेश की मांग की। पाकिस्तान के राजनेताओं ने उन्हें 30 सालों तक कारागार में रखा। उन्हें उनके ही घर में नजरबंद करके रखा था। वहीं उनकी मृत्यु हुई।

जी. एम सईद ने नेल्सन मंडेला से भी अधिक समय तक कारावास में समय गुजारा। वे अपनी मृत्यु तक स्वतंत्र सिंधुदेश के लिये लड़ते रहे। उनके अनुयायियों ने सिंध में उनकी स्मृति जीवित रखी है। उनके नाम पर पुरस्कार भी दिया जाता है। उनके विचार ‘द केस ऑफ सिंध’ और ‘ए नेशन इन चेन’ में पढ़े जा सकते हैं। उनमें वे कहते हैं कि धर्म के आधार पर भारत का विभाजन बहुत बड़ी गलती हुई। उनके मन में सिंध के लिये गर्व था। वे कहते थे कि सिंधु नदी के किनारे अपनी प्राचीन संस्कृति का विकास हुआ। हमारी संस्कृति विशेष है। दूसरी ओर पाकिस्तान का कोई इतिहास नहीं। इस नाम का कोई देश इतिहास में नहीं था। वे यह बताना भी नहीं भूलते कि हिंदू-मुस्लिमों के बीच हमेशा एक दरार रहे इसी उद्देश्य से पाकिस्तान का निर्माण किया गया।

जी. एम. सईद की दृष्टि से भारत से आये हुए मुहाजिर और पंजाबी मुसलमानों ने सिंध को अपनी दासी बना लिया है। उनसे मुक्त होने के लिये सिंधुदेश का निर्माण करके अपने राजनैतिक अस्तित्व की रक्षा सिंधियों को ही करनी होगी। मुहाजिर और पंजाबियों ने सिद्धातों के आधार पर लोगों को फंसाने और उन्हें मूर्ख बनाने का धंधा शुरू कर दिया है। इनकी झूठी बातें कुछ इस प्रकार हैं-

1) पाकिस्तान में रहनेवाले लोग एक राष्ट्र हैं।
2) भारतीय उपखंड में रहनेवाले सभी के लिये पाकिस्तान है।
3) दुनिया के सभी मुसलमानों को इकट्ठा करने के लिये पाकिस्तान का जन्म हुआ है।
4) पाकिस्तान एक आदर्श मुसलमान राष्ट्र होगा।
5) इस्लाम और मुसलमानों का रक्षण पाकिस्तान ही करेगा।

जी. एम. सईद इन सभी मुद्दों को नकारते हैं। वे कहते हैं धर्म के आधार पर मुस्लिम राष्ट्र संसार में और कहीं नहीं बना है। इस्लाम राष्ट्रीयता का आधार नहीं हो सकता, क्योंकि इस्लाम में अनेक पंथ हैं और सभी दूसरे के नरक में जाने की बात करते हैं।

जी. एम. कहते हैं कि पाकिस्तान में आदर्श शासन आना असंभव है। आदर्श शासन के लिये उच्च नैतिकता वाले राजनैतिक नेता की आवश्यकता होती है। नीच मन और नीच व्यक्ति बड़े नहीं हो सकते।

उनका कहना था कि सिंधियों के लिये पाकिस्तान सोने का पिंजरा बन गया है। शाह लतीफ सिंध का कवि था। वह कहता था कि हे भगवान, मैं इन कारागृह की चारदीवारी में क्यों कैद हूं? मेरे भगवान इन दीवारों को गिरा दे और मुझे मुक्त कर दे।

हम भी मुहाजिर और पंजाबियों की जेलों में हैं। उनके लिये पाकिस्तान भले ही स्वर्ग होगा पर हमें स्वतंत्रता चाहिये और उसके लिये हम नरक में जाने के लिये भी तैयार हैं।

इस प्रकार सिंध की विधान सभा में अलग पाकिस्तान का समर्थन करनेवाला, जिन्ना का साथी, पाकिस्तान का समर्थक ‘होशियार’ होने के बाद क्या कहता है यह सिद्ध होता है।
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