नेपाल में महाभूकम्प संघ स्वयंसेवकों का बेमिसाल राहत कार्य

नेपाल में अप्रैल में आए विनाशकारी महाभूकम्प से पूरा देश तो दहल ही गया, राहत और निर्माण कार्य का विशाल कार्य अब मुंह बाए खड़ा है। इस त्रासदी से उबरने और पुनर्निर्माण में प्रदीर्घ समय लगने वाला है। इस प्राकृतिक आपदा ने फिर एक बार मानवीयता को आह्वान किया है और भारत समेत दुनिया के विभिन्न देश राहत और निर्माण कार्य में अपनी ओर से यथासंभव सहायता कर रहे हैं। भारत सरकार, रा.स्व.संघ तथा संघ परिवार से जुड़े संगठनों ने जिस तत्परता से इस कार्य का बीड़ा उठाया और अपने पड़ोसी की मदद के लिए दौड़ पड़े, उसका कोई मुकाबला नहीं है।

इसी दिशा में नेपाल के हिंदू स्वयंसेवक संघ, जनल्याण प्रतिष्ठान, प्राज्ञिक विद्यार्थी परिषद्, विश्व हिंदू परिषद्, पशुपति शिक्षा प्रसार समिति, जनजाति कल्याण आश्रम सहित दुनिया के कई संगठनों द्वारा भूकम्प राहत अभियान का संचालन किया गया। इस अभियान के अंतर्गत 1,000 स्वयंसेवक उद्धार और राहत कार्यों में दिनरात जुटे हैं। ये स्वयंसेवक अपने जीवन को खतरे में डालकर भी उन स्थानों पर पहुंच रहे हैं, जहां भूकम्प से आहत जनसाधारण तक राहत कार्य नहीं पहुंच पाया।

25 अप्रैल को नेपाली समय अनुसार दिन के 11:56 पर आए भीषण भूकम्प के ठीक 3 घंटे बाद संघ के स्वयंसेवक सक्रिय हो गए। काठमांडु के शांतिनगर, अनामनगर, गौशाला, कालिकास्थान सहित देश के विभिन्न स्थानों पर संघ के स्वयंसेवकों ने तात्कालिक राहत के रूप में चिउडा, दालमोट, अन्य खाद्य सामग्री, पीने का पानी और प्लास्टिक टेंट आदि का वितरण किया। अभी काठमांडु, भक्तपुर, धादिङ, काभ्रे, ललितपुर, नुवाकोट, रसुवा, रामेछाप, सिंधुपालचोक के पहाड़ी जिलों में स्वयंसेवक राहत सामग्री लेकर पहुंच चुके हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने स्वयं धादिङ और भक्तपुर जिलों में पहुंच कर भूकम्प पीड़ितों को कम्बल, तिरपाल सहित खाद्य सामग्री का वितरण किया। यह देख स्थानीय लोग भावविभोर हो गए थे।

25 अप्रैल शाम से ही हिंदू स्वयंसेवक संघ के केंद्रीय कार्यालय केशवधाम, काठमांडु में सहायता केंद्र स्थापित कर भूकम्प राहत अभियान का संचालन किया जा रहा है। भूकम्प से प्रभावित दुनियाभर के लोगों ने संघ कार्यालय द्वारा स्थापित हैल्प लाइन नम्बरों पर सम्पर्क कर काठमांडु सहित देश के विभिन्न स्थानों पर तीर्थाटन, ट्रैकिंग और पर्यटन के तौर पर नेपाल घूमने आए अपने परिजनों के साथ सम्पर्क कराने का आग्रह और खोजबीन कर सूचना देने का आग्रह भी किया। उन सभी सम्पर्ककर्ताओं की सूची बनाकर नेपाल की सरकारी उद्धार टीम और भारत सरकार की सहायता टीम से सम्पर्क कर भूकम्प में फंसे लोगों के बारे में सूचना प्रेषित की गई। जिसके कारण 6 हजार से अधिक लोगों को सहायता पहुंचाने में सफलता प्राप्त हुई। काठमांडु सहित देश के विभिन्न स्थानों में फंसे 10 हजार से अधिक लोगों की संघ के कार्यकर्ताओं ने सहायता कर उन्हें अपने-अपने स्थानों पर सुरक्षित पहुंचाया। इतना ही नहीं, भूकम्प में फंस कर मृत हुए 100 शवों के बारे में जानकारी हासिल कर उन्हें उनके परिजनों को सौंपा गया।

काठमांडु स्थित त्रिभुवन विश्वविद्यालय अस्पताल, वीर अस्पताल, ट्रामा सेंटर, सिविल अस्पताल सरीखे अस्पतालों में मृत शरीरों की कतार लग गई। मृतकों पहचान की जा रही है। संघ के कार्यकर्ताओं की एक टोली इस अस्पताल में कार्यरत है। शवों को उठाना, कैमिकल लगाने में डॉक्टरों की सहायता करना आदि कार्य संघ के कार्यकर्ताओं द्वारा किया जा रहा हैं। साथ ही घायल लोगों के अस्पताल प्रवेश से लेकर डॉक्टरी जांच में ले जाने, दवाएं उपलब्ध कराने में सहायता का कार्य लगातार चल रहा है। दो दल बनाए गए हैं- एक बीमारों तथा उनके परिजनों की सहायता करने तथा दूसरा मृत लोगों की व्यवस्था करने में लगा है।

इसी प्रकार, संघ के स्वयंसेवकों की पचास लोगों की एक टोली बनाकर उन्हें विभिन्न अस्पतालों, राहत शिविरों और आपादग्रस्त जिलों में भेजा जा रहा है।

30 अप्रैल, अर्थात भूकम्प के पांचवें दिन संघ के द्वारा चलाए जा रहे सेवा कार्यों के बारे में प्रेस वार्ता हिंदू स्वयंसेवक संघ नेपाल के प्रचार विभाग द्वारा संघ के केंद्रीय कार्यालय केशवधाम में आयोजित की गई। इस प्रेस वार्ता में संघ के कार्यकर्ताओं द्वारा चलाए जा रहे सेवा कार्यों का विवरण, 25 अप्रैल से लेकर अब तक संघ के स्वयंसेवकों द्वारा आपदाग्रस्त लोगों की सहायता में किए गए उल्लेखनीय कार्यों की चर्चा की गई। इस प्रेस वार्ता को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह मा. दत्तात्रय होसबले ने सम्बोधित किया। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सहित दुनियाभर में हिंदू स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं द्वारा नेपाल की इस आपद् स्थिति में भेजे जा रहे सहयोग के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने स्वयंसेवकों द्वारा तत्परतापूर्वक किए जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए इसमें और तेजी लाने के लिए आगे बढ़ने को कहा। उन्होंने आवासविहीन लोगों के समक्ष पहुंच कर उन्हें बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए किए जा रहे कार्यों के बारे में भी विस्तारपूर्वक जानकारी दी। भविष्य में घरबारविहिन लोगों के लिए निवास स्थान की सुविधा मुहैया कराने के लिए प्रयासरत रहने का विचार प्रकट किया।

नेपाल में अभी तक इस महाभूकम्प में फंस कर 8000 से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है, और इसकी तादात 15000 से अधिक भी पहुंचने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है। घायलों की संख्या 8000 के पार हो चुकी है। घायलों की संख्या भी 20,000 तक पहुंचने की आशंका है। जनधन, एवं पशुधन सहित सम्पूर्ण क्षति का आकलन अभी तक सरकार के द्वारा घोषित नहीं किया गया है, लेकिन अनुमान है कि यह विनाश विशाल होगा।

काठमांडु सहित देश के विभिन्न भागों में पुरातात्विक महत्व के कई मठ-मंदिर, एवं इमारतें ध्वस्त हो चुकी हैं। जिसमें पाटन कृष्ण मंदिर दरबार चौक, वसंतपुर हनुमान ढोका दरबार चौक, भक्तपुर दरबार चौक, तलेजु मंदिर ध्वस्त हो चुके हैं।

पौराणिक एवं सांस्कृतिक महत्व का भीमसेन धरहरा के नाम से प्रसिद्ध नौतले धरहरा भी पूर्णत: ध्वस्त हो चुका है। 5000 वर्ष पुरानी पौराणिक, ऐतिहासिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व की मूर्तियों के बारे में भी लोगों में चिंता का वातावरण व्याप्त है कि इनकी पुनर्स्थापना और सुरक्षा किस प्रकार हो पाएगी। इस महाभूकम्प की चपेट में नेपाल के 32 जिले आए हैं।

सिंधुपालचोक, रामेछाप, धादिङ, रसुवा, नुवाकोट, काभ्रे, लमजुङ, गोरखा, भक्तपुर, ललितपुर, काठमांडु, दोलखा आदि 12 जिले मुख्य रूप से प्रभावित हैं। इसमें से सिंधुपालचोक, रामेछाप, धादिङ, रसुवा, भक्तपुर, गोरखा, लमजुङ ऐसे जिले हैं जिसके 90 गांव पूर्ण रूप से ध्वस्त हो चुके हैं। ये ऐसे गांव हैं जहां भूकम्प के तीन दिनों तक कोई पहुंच ही नहीं पाया। क्योंकि सारे रास्ते क्षतिग्रस्त हो चुके थे। हेलिकॉप्टर से पहुंचना एकमात्र विकल्प बचा था। हेलिकॉप्टर के माध्यम से किसी प्रकार लोगों तक भोजन पहुंचाया गया और सहायता कार्य भी चलाया गया। काठमांडु सहित कई आपदाग्रस्त जिले अभी भी सूनसान हैं। लोग महामारी के डर से तराई की तरफ पलायन कर रहे हैं। कब तक लोग पुन: अपने काम पर लौट पाएंगे यह कह पाना कठिन है। जिंदगी पटरी पर लौटने में काफी समय लग जाएगा।
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