स्व की आध्यात्मिकता से राष्ट्रीय एकात्मकता और अखंडता आयेगी – डॉ. मोहन भागवत जी

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हम स्वाधीन हुये लेकिन अभी भी हम स्वतंत्र होने की प्रक्रिया में हैं।  इस स्वाधीनता के लिये सभी वर्ग क्षेत्र समाज के लोगों ने त्याग व् बलिदान दिया और स्वाधीनता को लेकर सबके मन  में समान भाव था. जो बातें कुंद्रा डिक्लेरेशन में सन 1830 में कही गई थी वही…

संघ प्रवाही है अत: प्रासंगिक है

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सामान्य तौर पर लोग इस वटवृक्ष को संघ परिवार भी कहते हैं, परंतु संघ का स्वयं का मानना है कि ऐसा कोई संगठनों का समूह उसने तैयार नहीं किया जिसे संघ परिवार कहा जाए। संघ समाज में एक संगठन नहीं है बल्कि समाज का संगठन करने वाला एक सतत प्रवाह है। इसीलिए समय के साथ-साथ इसकी प्रासंगिकता भी बढ़ती रही है।

जयंती विशेष: लक्ष्मणराव इनामदार से नरेंद्र मोदी को क्यों है इतना लगाव?

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संघ का प्रत्येक स्वयंसेवक उन्हें 'वकील साहब' के नाम से जानता था जबकि संघ के बाहर के लोग उन्हें लक्ष्मणराव इनामदार के नाम से जानते थे। वह बहुत ही सरल जीवन व्यतीत करते थे और पूरा जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया था, वैसे तो उन्होंने बहुत सारे स्वयंसेवकों…

संघ शिक्षा वर्ग 2021: स्वयंसेवकों व नये नियमों के तहत शुरु होगा संघ शिक्षा वर्ग

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Thiruvananthapuram: RSS activists taking out Path Sanchalan, a route march in the new uniform on the occasion of Vijay Dashami in Thiruvananthapuram on Sunday. PTI Photo (PTI10_9_2016_000230B)
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आचार्य चाणक्य ने कहा था कि, 'जिस देश में शांति के समय में जितना अधिक पसीना बहेगा युद्ध के समय उतना ही कम खून बहेगा' यह लाइन का अर्थ है कि मुसीबत आने से पहले उसके खिलाफ की तैयारी करके रखना चाहिए। परेशानी किसी भी रूप में हो सकती है लेकिन…

हिंदुत्व के खिलाफ बैठक करने वाले हिंदुत्व से अज्ञान, यह कोई सामान नहीं जिसे खत्म किया जा सके

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डिस्मेंटल (Dismantle) का अर्थ होता है किसी भी चीज को तोड़ना या ध्वस्त करना लेकिन किसी धर्म के लिए आप का डिस्मेंटल से अर्थ क्या हो सकता है जी हां हम बात कर रहे हैं हाल ही में अमेरिका में हुए डिस्मेंटल ग्लोबल हिन्दुत्व (Dismantle global hindutva) के बारे में जहां…

भारत में हिन्दू-मुस्लिम के पूर्वज एक – मोहन भागवत

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सरसंघचालक मोहन जी भागवत ने एक बार फिर हिन्दू व मुसलमानों को लेकर बयान दिया और कहा कि हिन्दू और मुसलमानों के पूर्वज एक ही थे और देश का हर नागरिक हिन्दू है। सरसंघचालक के इस बयान के बाद से राजनीति में उबाल आना तो आम बात है क्योंकि कुछ…

केसरिया झंडे को ही संघ ने सर्वोच्च स्थान क्यों दिया?

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भगवा ध्वज हिंदुओं को त्याग, बलिदान, शौर्य, देशभक्ति आदि की प्रेरणा देने में सदैव सक्षम रहा है। यह ध्वज हिंदू समाज के सतत संघर्षों और विजयश्री का साक्षी रहा है। ‘भगवा ध्वज’ के बिना हम हिंदू संस्कृति, हिंदू राष्ट्र और हिंदू धर्म की कल्पना नहीं कर सकते। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के…

संघ का गुरु भगवाध्वज

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ध्वज हिंदुओं को त्याग, बलिदान, शौर्य, देशभक्ति आदि की प्रेरणा देने में सदैव सक्षम रहा है। यह ध्वज हिंदू समाज के सतत् संघर्षों और विजयश्री का साक्षी रहा है। ‘भगवा ध्वज’ के बिना हम हिंदू संस्कृति, हिंदू राष्ट्र और हिंदू धर्म की कल्पना नहीं कर सकते।

सभी संप्रदायों में परस्पर प्रेम और सौहार्द्र

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 सरसंघचालक जी ने गाज़ियाबाद के जिस कार्यक्रम में अपने उक्त विचार व्यक्त किए उसका आयोजन चूंकि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के तत्वावधान में किया गया था इसलिए उन्होंने अपने  संबोधन में उन मुद्दों पर अपने विचारों को और साफगोई के साथ प्रस्तुत किया जिनके बारे में संघ की विचारधारा को लेकर जब तब  उंगलियां उठाई जाती हैं परंतु संघ प्रमुख ने दो टूक लहजे में यह कहने में भी कोई संकोच नहीं किया कि उनका संबोधन इमेज मेकओवर की एक्सरसाइज नहीं है और संघ इमेज की परवाह भी नहीं करता क्योंकि उसका संकल्प पवित्र है। जो भी राष्ट्रहित की बात करता है संघ उसके साथ है। संघ प्रमुख ने यह भी कहा कि राजनीति के माध्यम से जोड़ने का काम नहीं किया जा सकता।

राष्ट्र सर्वोपरि- संघ की विचारधारा

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विदेश नीति के संदर्भ में डॉक्टर हेडगेवार का एक और मंत्र है, "हम पर अब तक जितने आक्रमण हुए और अन्याय हुआ उसका एक ही उत्तर है, वह याने अति शक्तिशाली बनना।" नरेंद्र मोदी जब से प्रधानमंत्री बने हैं, हम शक्तिशाली भारत का अनुभव कर रहे हैं। कांग्रेस के कालखंड में भारत में आतंकवादी हमले हुए, जिसमें पाकिस्तान का हाथ था, उसमें हमारे कई नागरिक मारे गए। हम केवल उनके शव गिनते बैठे रहते थे। कायराना हमला, मानवता के लिए कलंक, इस प्रकार की अर्थहीन बातें करते रहते थे। कैंडल मार्च निकालते रहते थे।

भारत की चिरंतन सांस्कृतिक धारा की समझ आवश्यक

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संघ को लेकर पूर्वाग्रह-दुराग्रह रखने वाले सभी दलों एवं नेताओं को उदार मन से आकलित करना चाहिए था कि क्या कारण हैं कि तीन-तीन प्रतिबंधों और विरोधियों के तमाम अनर्गल आरोपों को झेलकर भी संघ विचार-परिवार विशाल वटवृक्ष की भाँति संपूर्ण भारतवर्ष में फैलता गया, उसकी जड़ें और मज़बूत एवं गहरी होती चली गईं

चीन की प्रवृत्ति को समझें – श्रीगुरुजी

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चीन की ओर से विश्वासघात के रूप में कुछ हुआ नहीं, क्योंकि उसने तो कभी विश्वास दिलाया ही नहीं था। यह कहना ठीक नहीं कि चीन ने विश्वासघात किया। कहना यह चाहिए कि हम लोगों ने ही चीन की प्रकृति को समझा नहीं।

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