भीमकुंड के अंदर कहां से आता है पानी, क्या है उन दो छेदो का रहस्य?

 

हमारा भारत देश तमाम ऐसे रहस्यों से भरा हुआ है जिसका पता वैज्ञानिक भी नहीं लगा पा रहे है। विज्ञान कितना भी आगे क्यों ना चला गया हो लेकिन आज भी इतिहास की तमाम ऐसी बातें है जिसका पता विज्ञान भी नहीं लगा पा रहा है। इन लाखों रहस्यमयी धरोहरों में एक है मध्य प्रदेश का भीम कुंड जो अपने आप में एक बड़ा रहस्य समेटे हुए है। 

अगर भीम कुंड के इतिहास पर बात करें तो इसके निर्माण को लेकर दो बातें कही गयी है पहली, जब द्रौपदी पांचों पांडवों के साथ अज्ञातवास पर जा रही थी तब उन्हे प्यास लगी। पांडवों के तमाम ढूंढने के बाद भी पानी नहीं मिला जिससे भीम को क्रोध आ गया और उन्होने अपनी गदा को जमीन पर जोर से मारा जिससे धरती से एक पानी का फौहारा फूट गया। बाद में इस स्थान को भीम कुंड के नाम से जाना जाने लगा।
वहीं दूसरी कथा है कि एक बार नारद मुनि आकाश मार्ग से जा रहे थे तभी उन्होने धरती पर एक स्त्री और पुरुष को बुरी अवस्था में देखा, नारद मुनि ने जमीन पर आकर उनसे पूछा कि आखिर वह लोग इतनी बुरी अवस्था में क्यों है? उन्होने बताया कि वह दोनों संगीत के राग और रागिनी है। जब तक कोई संगीत में निपुण व्यक्ति साम गान नहीं गाएगा तब तक उनकी हालत ठीक नहीं होगी। साम गान में माहिर नारद मुनि ने गाना शुरु कर दिया जिसके बाद देवलोक से सभी देवता भी वहां आ गये यहां तक की स्वंय भगवान विष्णु भी आ गये और वह एक जल कुंड में परिवर्तित हो गये। तब से ही इसका जल नीला हो गया और इसका नाम नील और नारद कुंड भी पड़ गया।
भीम कुंड अपनी गहराई, नीले पानी और ऐसी तमाम खूबियों के लिए चर्चा में रहा है लेकिन भीम कुंड का पानी नीला क्यों है? आखिर इसका श्रोत कहां से है यह किसी को नहीं पता है। कई गोताखोर इसकी गहराई नापने के लिए नीचे उतरे लेकिन उन्हे इसका पता नहीं चला। कुंड का जल नीला और इतना साफ है कि काफी अंदर तक की चीजें साफ नजर आती है। कुंड की एक खास बात जो बाकी से इसे अलग करती है अगर कुंड में कोई डूबता है तो उसका शरीर बाहर नहीं आता बल्कि वह कुंड में ही समा जाता है।
कुंड एक गुफा के अंदर स्थित है जिससे वह चारो तरफ से पत्थरों से घिरा हुआ है। कुंड तक जाने के लिए जमीन से अंदर सीढ़ियों के रास्ते जाना होता है। विज्ञान ने इस पर बहुत रिसर्च किया लेकिन किसी अंतिम परिणाम तक पहुंचने में नाकाम रहा। वैज्ञानिकों ने ऐसा तर्क दिया है कि कुंड के अंदर दो बड़े छिद्र है। एक छिद्र से पानी अंदर आता है और दूसरे से बाहर जाता है और इसका संबंध सीधे समुद्र है शायद यही वजह  है कि जब समुद्र में सूनामी आती है तब कुंड का पानी भी तेजी से हिलोरे लेने लगता है।

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