हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
भ्रष्टाचार का फैलता कैंसर

भ्रष्टाचार का फैलता कैंसर

by डॉ. दत्तात्रय शेकटकर
in जून २०१६, सामाजिक
0

भ्रष्टाचार को राजनीतिक, शासकीय, संवैधानिक तथा अन्य प्रकार का संरक्षण व प्रोत्साहन प्राप्त होने के कारण ही, भ्रष्टाचार का कर्क रोग भारत भर में फैल गया है तथा भारत को दीमक की तरह चाट रहा है। फिर, अंदर से खोखले इस भारत की रक्षा कौन सी तोप, कौन सा युद्ध वायुयान ,कौन सा हेलिकॉप्टर करेगा?

पिछले 60 वर्षों का यदि अध्ययन एवं विश्लेषण किया जाए तो हमें पता चलता है कि भारत की केंद्रीय सत्ता तथा अनेक राज्यों में राजनीतिक सत्ता केवल कुछ ही परिवारों तक सीमित रही है। विशेषकर, भारतीय केन्द्र शासन में सत्ता की बागड़ोर एक परिवार के हाथों में ही केंद्रित रही है। पारिवारिक सत्ता को कायम रखने के लिए परिवार के अलावा दूसरे लोगों का नेतृत्व ही नहीं उभरने दिया गया है। लोकतंत्र में नेतृत्व का विकल्प होना महत्वपूर्व व आवश्यक होता है। सक्षम, कुशल, नेतृत्व के अभाव में पारिवारिक सत्ता बनाए रखने में पैसा तथा प्रलोभन के माध्यम से वोट खरीद कर सत्ता में बने रहने की प्रवृत्ति को प्रोत्साहन मिला और इसी कारण भारत में राजनैतिक, शासकीय, न्यायिक क्षेत्रों में भ्रष्टाचार के कैंसर का ट्यूमर पैदा हुआ तथा आज 2016 में इस भ्रष्टाचार के कैंसर ने पूरे भारत में अपना विनाशकारी रूप धारण कर किया है। इस भ्रष्टाचार के कैंसर के दुष्परिणाम भारतीय संरक्षण, भारतीय एकीकृत सुरक्षा व्यवस्था तथा सेनाओं में प्रवेश कर गए हैं। किसी भी राष्ट्र की सैन्य सुरक्षा, युद्ध व्यवस्था उस राष्ट्र की स्वतंत्रता, सुरक्षा तथा प्रगति को प्रभावित करती हैं।

सामान्य धारणा है कि भ्रष्टाचार केवल आर्थिक लेनदेन ही होता है। यह विचारधारा गलत है। भ्रष्टाचार की जड़ मानसिकता में है।भारत में सत्ता प्राप्ति के लिए, सत्ता में बने रहने के लिए तथा अपने प्रतिद्वंद्वियों को सत्ता से हटाने के लिए आर्थिक प्रलोभनों का सहारा लिया जाता है, और यही पैसा सत्ता प्राप्ति और सत्ता पर काबिज रहने का एकमात्र साधन बन गया है।
बोफोर्स कांड का प्रभाव भारतीय संरक्षण व्यवस्था पर पड़ा। 1986 में यह कांड जब शुरू हुआ तो लगभग 2012 तक भारत की संरक्षण व्यवस्था को मजबूत व सक्षम बनाने के लिए आर्टिलरी (तोफखाना) के लिए कितनी तोंपे खरीदी गईं? तोपों को कार्यरत रखने के लिए आवश्यक कल-पूर्जे भी नहीं खरीदे गए। इसका परिणाम क्या हुआ?

हमारी युद्ध क्षमता और योग्यता खतरे में पड़ गई। पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों का, आई.एस.आई. को इस वास्तविकता की जानकारी थी कि भारत युद्ध करने की स्थिति में नहीं है। इसी का फायदा लेकर पाकिस्तान के तत्कालीन सेना अध्यक्ष जनरल मुशर्रफ ने कारगिल क्षेत्र में आक्रमण किया। भारतीय सेना को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी। हमारे क्षेत्र से पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ने के लिए हमें हमारे तरुण अधिकारियों तथा सैनिकों का बलिदान देना पड़ा। चाहते हुए भी भारत शासन भारतीय सेना को अन्य क्षेत्र में आक्रमण करने के आदेश नहीं दे सका। क्योंकि हमारी युद्ध क्षमता खोखली हो गई थी। इसके लिए तत्कालीन राजनैतिक नेतृत्व उत्तरदायी नहीं माना जा सकता। शासकीय, सामाजिक, संरक्षण, सुरक्षा व्यवस्था की अक्षमता ही जिम्मेदार थी। आज भी स्थिति में ज्यादा बदलाव नहीं आया है। संरक्षण व सुरक्षा व्यवस्था में एक बार कमी आ जाती है तो उस कमी को पूरा करने में अनेकों वर्ष लग जाते हैं। 2015 के बाद भारतीय संरक्षण व सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए जो सकारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं उसके परिणाम हमें 2020 के बाद ही दिखेंगे। तब तक भारतीय संरक्षण व सुरक्षा व्यवस्था में कमी रहेगी।

पाकिस्तान को इस बात का पूर्ण विश्वास है कि भारतीय संरक्षण व्यवस्था में कमजोरी के कारण भारत पाकिस्तान के दुस्साहस का जवाब नहीं दे पाएगा। इसीलिए पाकिस्तान ने मुंबई में 26/11 का आंतकवादी आक्रमण किया था। इसी कारण 2008 से 2014 तक पाकिस्तान ने बारबार जम्मू, कठुआ, सांबा आदि क्षेत्रों में आतंकवादी आक्रमण किए। सीमा पर युद्ध विराम का उल्लंघन किया। चीन को भी इस बात की जानकारी थी कि भारत सक्षम प्रत्युत्तरात्यक कार्रवाई नहीं करेगा, इसीलिए पिछले 10 वर्षों मेें लद्दाख क्षेत्र में चीनी सेना की घुसपैठ, अतिक्रमण बढ़ता रहा। 2015 के बाद से परिस्थिति में सकारात्मक बदलाव आ रहा है।

अगटता हेलिकॉप्टर में भ्रष्टाचार प्रकरण एक नया अध्याय शुरू कर रहा है। पूरा मामला न्यायालयीन है। संसदीय चर्चा में है इसलिए अधिक जानकारी देना उचित नहीं होगा। परन्तु भारत तथा विदेशों में प्रसार माध्यमों में छपे विवरण के आधार पर कुछ मुद्दे रखना उचित होगा। अगस्ता हेलिकॉप्टर खरीदने की आवश्यकता के बारे में किसने पहल की? भारतीय वायु सेना ही वी.वी. आई. पी. के वायु परिवहन का काम देखती है। दिल्ली में पालम हवाई अड्डे पर वी. आई. पी. स्क्वाड्रन है जहां उन विमानों की व हेलिकॉप्टरों की देखभाल की जाती है जिनका उपयोग राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, रक्षामंत्री तथा थ्ल सेना, वायु सेना व नौ सेना के सेना अध्यक्ष करते हैं। इन विमानों की देखभाल, परिचालन, सुरक्षा आदि भारतीय वायुसेना ही करती है। भारतीय वायुसेना के अधिकारी ही इन विमानों व हेलिकॉप्टरों को उड़ाते हैं। ये बहुत चुने हुए अधिकारी होते हैं। जब राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, अमेरिका, यूरोप, चीन आदि दूर देशों की यात्रा करते हैं तब एअर इंडिया के विमान का प्रयोग किया जाता है। वी. आई.पी. स्क्वाड्रन के लिए इटली में निर्मित अगस्ता हेलिकॉप्टर ही उपयुक्त हैं क्या ऐसी मांग भारतीय वायुसेना ने की थी? अगस्ता हेलिकॉप्टर की मांग किसने की थी? भारतीय वायु सेना में वी.वी. आई. पी. के लिए 17 हेलिकॉप्टरों का प्रयोग अनेक वर्षों से किया जाता है। ये हेलिकॉप्टर रूस में बने हुए हैं। ये अत्यंत आधुनिक हेलिकॉप्टर हैं। फिर अगस्ता हेलिकॉप्टर की मांग किसके कहने पर की गई? इन हेलिकॉप्टर की उड़ान क्षमता, ऊंचाई पर उड़ान भरने की योग्यता के बारे में किसने मुद्दे उठाए? भारतीय वायुसेना को इन मानकों में परिवर्तन करने के लिए किसने बाध्य किया? इन हेलिकॉप्टरों का निरीक्षण तथा पूर्व अभ्यास विदेशों में क्यों किया गया? जबकि इन हेलिकाप्टोरों का उपयोग भारतीय वातावरण, भौगोलिक स्थिति, राजस्थान की मरुभूमि, पंजाब, कश्मीर, कारगिल, सियाचिन ग्लेसियर, लद्दाख, उत्तर पूर्व भारत तथा अरुणाचल प्रदेश के दुर्गम सीमा क्षेत्र में किया जाने वाला था। इन तमाम मुद्दों से नीयत, नैतिकता, नीति में खोट व भ्रष्टाचार की बू आती है। विदेशों से शस्त्र, युद्ध सामग्री, हवाई जहाज, हेलिकॉप्टर, युद्ध विमान आदि खरीदते समय कीमत तय करते समय भारतीय सेना, वायु सेना तथा नौसेना के अधिकारी अपस्थित नहीं रहते हैं।

तमाम शर्तें, सौदे, कीमत, सरकारी अधिकारी तथा राजनीतिक ही तय करते हैं। इस प्रक्रिया में सेनाओं की कोई भूमिका नहीं होती है। बोर्फोर्स मामले में भी यही हाल था। भ्रष्टाचार का पैसा ज्यादातर सत्ता पक्ष से सम्बंधित राजनीतिज्ञों और सरकारी अधिकारियों को मिलता है। बहुधा इस पैसे का माध्यम तथा प्रवाह ढूंढना बहुत मुश्किल होता है। ज्यादातर पैसा विदेशों में ही जमा हो जाता है या निश्चित हो जाता है। इसलिए इस प्रवाह की तह तक पहुंचना मुश्किल होता है। शासकीय जांच एजेंसी के अधिकारीयों को प्रलोभन (ऊंचे पदों पर नियुक्ति, निवृत्ति के बाद बड़े पदों पर नियुक्ति आदि) देकर जांच में अडंगे लगाए जाते हैं, ढील दी जाती है, या जानबूझकर गलत तरीके से जांच की जाती है ताकि यदि मामला न्यायालय में जाए तो सबूतों के अभाव में दोषी भ्रष्ट अधिकार छूट जाते हैं, या छोड़ दिए जाते हैं, या छुड़वा दिए जाते ैंहैं। क्या यह आश्चर्यजनक नहीं है कि आज तक भारतीय इतिहास में दोषी भ्रष्टाचारियों को सजा नहीं हुई है? उल्टे उनकी पदोन्नति को गई है। सोचीसमझी चाल के तहत उन्हें उन संवैघानिक पदों पर सोने के पिंजरों मे रख दिया जाता है, जहां तक जांच एजेंसिया, न्यायालयीन प्रक्रिया, समाचार माध्यम पहुंच ही नहीं पाते हैं। उन्हें संवैघानिक संरक्षण में रख दिया जाता है। क्या आजतक बोफोर्स भ्रष्टाचार कांड में लिप्त एक भी राजनीतिज्ञ, शासकीय, कूटनीतिक अधिकारी को किसी प्रकार की सजा हुई है? यह कांड 26 वर्ष के बाद पूरी तरह दबा दिया गया। इसी प्रकार का भ्रष्टाचार चंद्रा स्वामी के नाम पर उनके माध्यम से हुआ था।

अगस्ता हेलिकॉप्टर कांड का खुलासा भारत में तब हुआ जब इटली के मिलान न्यायालय में उन लोगों को दोषी माना और उनके जरिए घूस देने वाले लोगों के नाम सामने आए। ये विधि की विडंबना ही है कि घूस देने वाले जेल चले गए, घूस लेने वाले स्वंतत्र, स्वच्छंद, भारत में घूम रहे हैं। और उल्टे वर्तमान भारत शासन को दोषी बता रहे हैं। इससे यह एक कहावत सिद्द होती है, “उल्टा चोर कोतवाल को डांटे!”

भ्रष्टाचार को राजनीतिक, शासकीय, संवैधानिक तथा अन्य प्रकार का संरक्षण व प्रोत्साहन प्राप्त होने के कारण ही, भ्रष्टाचार का कर्क रोग भारत भर में फैल गया है तथा भारत को दीमक की तरह चाट रहा है। फिर, अंदर से खोखले इस भारत की रक्षा कौन सी तोप, कौन सा युद्ध वायुयान ,कौन सा हेलिकॉप्टर करेगा?
———–

डॉ. दत्तात्रय शेकटकर

Next Post
सूचना निरसन का अधिकार

सूचना निरसन का अधिकार

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0