‘टार्गेट’ युवा

Continue Reading‘टार्गेट’ युवा

आज का युवा समझदार है। उसे आवश्यकता है केवल उचित मार्गदर्शन की। अभिभावकों, शिक्षकों, नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं की यह जिम्मेदारी है कि वे आने वाली पीढ़ी का उनकी ही भाषा में मार्गदर्शन करें। उन्हें ‘टार्गेट’ न करें; बल्कि ‘टार्गेटेड अप्रोच’ करने की ओर प्रवृत्त करें।

बलूचिस्तान में आज़ादी की लड़ाई

Continue Readingबलूचिस्तान में आज़ादी की लड़ाई

अंग्रेजों की कूटनीति के चलते 1948 में बलूचिस्तान का पाकिस्तान में विलय कर दिया गया, जिसे बलूच लोगों ने कभी स्वीकार नहीं किया। हाल में धर्मशाला में हुए सम्मेलन के लिए आईं बलूच नेता नईला कादरी बलूच ने इस साक्षात्कार में स्पष्ट किया है कि बलूचिस्तान के स्वतंत्रता आंदोलन और कश्मीर के अलगाववादी आंदोलन की तुलना ही नहीं हो सकती; क्योंकि कश्मीर हमेशा से हिंदुस्तान का हिस्सा रहा है, जबकि बलूचिस्तान सदा स्वतंत्र देश रहा है।

शूरवीरों एवं साहित्यकारों की कर्मस्थली बैसवारा

Continue Readingशूरवीरों एवं साहित्यकारों की कर्मस्थली बैसवारा

उत्तर प्रदेश के अवध क्षेत्र की बैसवारा रियासत उन्नाव, रायबरेली एवं फतेहपुर के एक बड़े भूभाग पर फैली हुई है। बैसवारा रियासत का डौडिया खेडा किला गत वर्ष सोने की खुदाई को लेकर चर्चित रहा। पेशवाओं के वंशजों ने भी यहां लड़ाइयां लड़ीं। यह शूरवीरों और प्रसिद्ध कवियों तथा साहित्यकारों की कर्मस्थली रही है।

अगस्ता वेस्टलैंड से उठती दुर्गंध

Continue Readingअगस्ता वेस्टलैंड से उठती दुर्गंध

अगस्ता वेस्टलैण्ड हेलिकॉप्टर रिश्वत कांड में इटली के न्यायालय ने अनेक नामों की चर्चा की है। उनमें प्रमुख नाम सोनिया गांधी और उनके राजनैतिक सलाहकार अहमद पटेल का है। इटली के अखबारों में इन दोनों के चित्र प्रकाशित हो रहे हैं। यह भी आरोप लगा है कि भारतीय पत्रकारों को अपने पक्ष में करने के लिए भी कम्पनी ने 45 करोड़ की रिश्वत की व्यवस्था की।

उत्तराखंड में जल्दबाजी और नासमझी

Continue Readingउत्तराखंड में जल्दबाजी और नासमझी

महाभारत में दुष्ट कौरवों के साथ युधिष्ठिर और पांडव द्युत खेलने बैठते हैं, परंतु उस खेल के पीछे की राजनीति न समझने के कारण सबकुछ हार कर द्रौपदी के वस्त्रहरण तक बात पहुंचती है। अब तक उत्तराखंड में कुछ ऐसी ही स्थिति भाजपा की दिखाई दे रही है। लेकिन इस स्थिति को कालांतर में पांडवों ने उलट दिया और कौरवों पर विजय पा ली, यह भी सत्य है।

सामाजिक सेवाजीवन गौरव पुरस्कार

Continue Readingसामाजिक सेवाजीवन गौरव पुरस्कार

प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी सामाजिक क्षेत्र में अतुलनीय कार्य करने वालों को सम्मानित करने की अपनी परम्परा को ‘सतीश हावरे फाउंडेशन’ तथा ‘हावरे परिवार’ ने आगे बढ़ाया है। स्व.सतीश हावरे के स्मृति दिन के अवसर पर इस वर्ष यह पुरस्कार पद्मश्री सुभाष पालेकर को दिया गया।

मजदूर का संकल्प

Continue Readingमजदूर का संकल्प

वर्तमान सरकार ने श्रमिकों के हित के संदर्भ में ‘श्रमेव जयते’ का उद्घोष किया है। ‘श्रमेव जयते’ से निश्चित ही संगठित क्षेत्रों के साथ-साथ असंगठित क्षेत्रों के श्रमिकों को भी लाभ मिलेगा जिससे ‘श्रम शक्ति’ का उत्तम संगठन एवं प्रयोग होगा और ’श्रम शक्ति’ सम्पन्न भारत ‘सशक्त एवं विकसित देश’ बनकर उभरेगा।

कन्नूर के पांच खूनी दशक- जे़ नंदकुमार

Continue Readingकन्नूर के पांच खूनी दशक- जे़ नंदकुमार

केरल लम्बे समय से मार्क्सवादी आतंकवाद की छाया में रहा है। जिस तरह रूस में स्तालिन के कार्यकाल में हत्या की राजनीति का जोर था, उसका प्रतिरूप कन्नूर में दिखा, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर इस बारे में कभी बहस नहीं सुनी गई। दिल्ली में हम असहिष्णुता पर बहस सुन चुके हैं, लेकिन पांच लम्बे, खूनी दशकों के दौरान कन्नूर में जैसी हिंसा दिखी है, उससे असहिष्णुता का असली रूप चरितार्थ हुआ। हालांकि, इस दौरान रा.स्व.संघ को ‘असहिष्णु, अल्पसंख्यक विरोधी और उग्र संस्था के तौर पर प्रचारित’ करने के भरसक प्रयास हुए। कन्नूर की इस अनकही रक्तरंजित कहानी में रा. स्व. संघ और उसके स्वयंसेवक ‘लाल आतंक’ के सबसे बड़े शिकार रहे हैं। इसी मुद्दे पर ऑर्गनाइजर के सम्पादक प्रफुल्ल केतकर ने रा.स्व.संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख श्री जे़ नंदकुमार को कुछ प्रश्न भेजे। प्रस्तुत हैं साक्षात्कार के मुख्य अंश:

संकल्पित मातृत्व की प्रतिक जीजा माता

Continue Readingसंकल्पित मातृत्व की प्रतिक जीजा माता

वीर प्रसुता भारत माता की कोख सदा ही दिव्य मातृत्व से सुशोभित रही है। अपने राष्ट्र की सुरक्षा एवं उसे वैभव शिखर पर ले जाने में जितना पुरुषों का योगदान है उनसे कहीं अधिक माताओं की संकल्प शक्ति का है। आदि काल से अब तक माताओं की संकल्पित संतती की कामनाओं ने ही राष्ट्र की सुरक्षा एवं सरकारों की धरोहर को अबाधित रूप से बचाए रखा।

कबीर वर्तमान परिप्रेक्ष्य में

Continue Readingकबीर वर्तमान परिप्रेक्ष्य में

     कबीर के वृहद्, विशाल रचना संसार की मात्र इन दो पंक्तियों से ही कबीर की वर्तमान परिप्रेक्ष्य में सर्वस्वीकार्यता सिद्ध हो जाती है। आज के इस दौर में जबकि प्रत्येक व्यक्ति पराये दोष व पराई उपलब्धियों को देख-देखकर मानसिक रूप से रुग्ण हो रहा है तब कबीर की ये पंक्तियां हमें एक नई ताजगी देती हैं।

वीर संभाजी महाराज

Continue Readingवीर संभाजी महाराज

हिंदुस्थान में हिंदवी स्वराज्य की स्थापना करने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज के बेटे छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन को यदि चार पंक्तियों में सजाना हो तो यही कहा जा सकता है कि

जल प्रबंध की हमारी श्रेष्ठ प्राचीन परंपरा

Continue Readingजल प्रबंध की हमारी श्रेष्ठ प्राचीन परंपरा

हमारा देश किसी समय ‘सुजलाम्, सुफलाम्’ था, विश्व के अर्थतंत्र का सिरमौर था, क्योंकि हमारा जल व्यवस्थापन अत्यंत ऊँचे दर्जे का था। इसकी विकसित तकनीक हमें अवगत थी। इसकी विस्मृति का हमें आज खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।

End of content

No more pages to load