हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
सिर्फ चर्चा से … आतंकवादियों का हौसला न बढाओ

सिर्फ चर्चा से … आतंकवादियों का हौसला न बढाओ

by pallavi anwekar
in अक्टूबर-२०१६, सामाजिक
0

पाकिस्तान से आए आतंकवादियों ने कश्मीर में आर्मी पर अब तक का सबसे बड़ा हमला किया है। आर्मी के उरी ब्रिगेड हेडक्वार्टर पर रविवार तड़के हुए इस हमले में 17 जवान शहीद हो गए। इनमें से 13 की मौत टेंट में लगी आग से जिंदा जलने से हुई। आतंकी सुबह 3.30 बजे कैंप की पिछली दीवार से घुसे। करीब पौने दो घंटे तक नाइट विजन से कैंप का जायजा लिया। फिर 5.15 बजे फ्यूल टैंक से डीजल भर रहे निहत्थे जवानों पर धावा बोल दिया। 3 मिनट में 17 ग्रेनेड दागे। 150 मीटर इलाके में फैले टेंट और बैरकों में आग लग गई…!!

18 सितंबर की यह घटना सभी देशभक्त भारतवासियों का दिल दहला देने वाली तथा खून खौला देने वाली है। संसद भवन पर हमला, मुंबई में ब्लास्ट, मुंबई में ही ताज होटल पर हमला, सेना के जवानों के सिर काटकर ले जाना इत्यादि कई घटनाओं ने आतंकवादियों का पाशवी चेहरा हमारे सामने लाकर खडा कर दिया है। पाकिस्तान की नीयत उसके बनने के बाद से ही कभी पाक नहीं थी फिर भी भारत ने कभी उसपर अपनी ओर से हमला नहीं बोला। रविवार को हुए हमले के बाद से कई न्यूज चैनल और विभिन्न गुटों पर यह चर्चा सुनाई दे रही थी कि किस आतंकवादी संगठन ने यह काम किया है, कौन सबसे ज्यादा भारत को नुकसान पहुंचाना चाहता है, किसके पास अधिक शक्तिशाली हथियार हैं आदि। परंतु अब यहां आतंकवादी संगठनों के विषय में चर्चा करने से काम नहीं चलेगा। भारत सरकार को यही मानकर कार्यवाही करनी होगी कि आतंकवादी कोई भी हो वह पाकिस्तान से आया है।

पठानकोट हमले के बाद ऐसा लगा था कि सुरक्षा व्यवस्था में सख्ती बरती जाएगी परंतु 18 सितंबर की घटना के बाद ऐसा कुछ दिखाई नहीं देता। 15 अगस्त को प्रधान मंत्री ने लाल किले से दिए अपने भाषण में बलोचिस्तान का मुद्दा उठाया था। वे बलोच लोगों की चिंता कर रहे थे। परंतु 18 सितंबर की घटना के बाद उन्हें पहले अपनी सेना और देश की चिंता करने की आवश्यकता दिखाई देती है।

यूपीए सरकार के कालखंड में हुए आतंकवादी हमलों का जवाब न देने का दोष सभी लोग सरकार की अकर्मण्यता, अमेरिका के दबाव और ढीलीढाली सुरक्षा नीति को देते थे। सभी को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी सरकार से अपेक्षा थी कि वे इस ओर ध्यान देंगे और कुछ ठोस कदम उठाएंगे। परंतु अजीत डोवाल जैसे श्रेष्ठ सुरक्षा सलाहकार के होते हुए भी स्थिति में कोई अंतर नहीं दिख रहा है। आतंकवादी बडी आसानी से सीमा को लांघकर देश के अंदर घुस रहे हैं और हमारे जवानों को मार रहे हैं। क्या अब यह उचित समय नहीं है जब सेना को ‘एक्शन’ लेने की इजाजजत दी जाए? क्या अब भी हम अन्य जवानों के शहीद होने की राह देखते रहेंगे?

दरअसल पाकिस्तान के प्रति शुरू से ही हमारी नीति रिएक्ट करने की रही है। अर्थात हम हमें हमेशा ही उसकी क्रिया पर प्रतिक्रिया देते आए हैं। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में पकिस्तान के प्रधान मंत्री नवाज शरीफ आए थे; अत: प्रधान मंत्री भी नरेंद्र मोदी भी उनके जन्मदिन की पार्टी पर चले गए। अगर समारोह में आनाजाना क्रिया की प्रतिक्रिया हो सकती है तो देश के लिए शहीद होने वाले सैनिकों के लिए क्या प्रतिक्रिया होनी चाहिए? क्या प्रधान मंत्री ने चुनाव के समय जो घोषणा की थी ‘एक सिर के बदले चार सिर लाएंगे’ वो केवल चुनावी जुमला भर था। ‘इंटरनेशनल डिप्लोमेसी’ का राग आलापते हुए केवल शाांतिवार्ता करना अब बंद करना होगा। हमें यह मान लेना चाहिए कि पाकिस्तान किसी भी वार्ता के काबिल नहीं है। उसे विरुद्ध अब केवल क्रिया ही करनी होगी। हमारे जवान, हमारी सेना हर तरह से काबिल है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारी छवि सुधरी है, अमेरिका के साथ हमारे अच्छे संबंध हैं। क्या इन सभी सकारात्मक परिस्थितियों का प्रयोग हमारी सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने और हमारी ओर आंख उठाकर देखने वालों की आखें नोंचने में नहीं किया जाना चाहिए।
आज सेना के जवान जोश में हैं, उचित निर्णय लेने की योग्यता रखने वाले रक्षामंत्री हैं, श्रेष्ठ सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल हैं तथा नरेंद्र मोदी जैसे प्रधान मंत्री हैं जो क्रिया करने में विश्वास रखते हैं। भारतवासियों को इन सभी से यही उम्मीद है कि अगला सैनिक शहीद होने के पहले कम से कम दस आतंकवादियों को मारा जाए। अब हमें उनके किसी क्रिया की प्रतिक्रिया देने की राह नहीं देखनी चाहिए। वरन इतनी बडी क्रिया करनी चाहिए कि उनकी अभी तक की सभी क्रियाओं का वह जवाब हो। अगली बार कोई भी हरकत करने से पहले वे सोचें कि भारत की ओर से उसका क्या परिणाम होगा। आज अगर हमारी ओर से कोई क्रिया नहीं नहीं हुई तो इससे आतंकवादियों का मनोबल अधिक बढ जाएगा। वे ये समझ बैठेंगे कि भारत पर हमले करना बहुत आसान है।

एक ओर जहां पाकिस्तान की नकेल कसने की जरूरत है वहीं दूसरी ओर भारत के अंदर रहकर आतंकवादियों का साथ देने वालों को सबक सिखाना भी जरूरी है। क्योंकि बिना किसी अंदरूनी व्यक्ति के सहयोग के इतनी आसानी हमला करना मुमकिन नहीं है।

अब चाहे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हल्ला मचे, मानवाधिकार संगठन शोर मचाए या अवार्ड वापसी गैंग बनावटी आंसू बहाए.. इन सारे अवरोधों को दरकिनार कर पाकिस्तान को जवाब देने का समय आ गया है। लेख के लिखे जाने तक सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए थे। परंतु इतनी बडी घटना के बाद अब देश की जनता अभी तक के सारे हमलों का जवाब चाहती है। एक सैनिक के बदले दस आतंकवादी चाहती है। अब केवल प्रतिक्रिया नहीं सीधे-सीधे क्रिया चाहती है।

pallavi anwekar

Next Post
सांप्रदायिक राजनीति की विभीषिका

सांप्रदायिक राजनीति की विभीषिका

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0