जगमग होगा हर एक गांव

 दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अंतर्गत बिना बिजली वाले गांवों में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य ९९ प्रतिशत तक प्राप्त किया जा चुका है| इस योजना के अंतर्गत जून २०१६ तक १०८७४२.३१ करोड़ रु. उपलब्ध कराए गए थे, जिसमें से ४२६९२.४० करोड़ रु. अर्थात लगभग ३९ प्रतिशत राशि का उपयोग किया जा चुका है| अगर इसी रफ्तार से यह योजना चलती रही तो वह दिन दूर नहीं जब देश का हर गांव जगमग होगा|

दी नदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई) पूरे ग्रामीण भारत को निरंतर बिजली की आपूर्ति प्रदान करने के लिए बनाई गई है| यह योजना नवम्बर, २०१४ में प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में इस घोषणा के साथ शुरू की गई थी कि ‘‘१००० दिनों के अंदर यानी १ मई, २०१८ तक १८४५२ अविद्युतीकृत गांवों तक बिजली पहुंचाई जाएगी|’’ यह भारत सरकार की प्रमुख पहलों में से एक है और विद्युत मंत्रालय का एक प्रमुख कार्यक्रम है| डीडीयूजीजेवाई से ग्रामीण परिवारों को काफी फायदा हो सकता है क्योंकि बिजली देश की वृद्धि और विकास के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है|

भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में हर दिन एक नई खोज हो रही है| नई तकनीक के द्वारा ग्रामीण भारत तरक्की की राह पर अग्रसर है| सरकार की ओर से भी इस दिशा में निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं| सभी के संयुक्त प्रयास से जहां तकनीकी विकास हो रहा है वहीं ग्रामीणों की नई खोज को दिशा भी मिल रही है| स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल तथा स्वच्छता संबंधी कार्यक्रमों में नई खोज की जरूरत है| हालांकि इन क्षेत्रों में लगातार नई-नई तकनीक अपनाई जा रही है, जिसके कारण ग्रामीण भारत की तस्वीर बदलती नजर आ रही है|

ग्रामीण भारत में अभी भी विद्युत की मूलभूत आवश्यकता पूरी ही नहीं हो रही है| कई गांव अभी तक बिना बिजली के ही हैं| कई गांवों में तो यह भी देखा जाता है कि बिजली के खंभे की जगह बांस का उपयोग किया जा रहा है| अगर किसी गांव में बिजली की पहुंच है भी तो कुछ न कुछ गड़बड़ी रहती ही है| आज़ादी के ७० वर्ष बाद भी देश के हजारों गांव अभी भी बिजली की पहुंच से दूर हैं|

आज बिजली के बिना सब कुछ अधूरा लगता है| बिजली के बिना किसी भी विकास कार्यक्रमों की कल्पना नहीं की जा सकती है| बिजली अब हमारे जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है| ग्रामीण क्षेत्रों में लघु एवं कुटीर उद्योगों तथा सिंचाई के लिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण  हो गया है| इसी को ध्यान में रख कर सरकार ने देश के ग्रामीण इलाकों तक बिजली पहुंचाने के लिए एक योजना ‘राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना’ बनाई थी| राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना (आरजीजीवीवाई) की शुरूआत २००५ में की गई थी, जिसका उद्देश्य ग्रामीण आवासों को बिजली उपलब्ध करना था| योजना के लिए ९० प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार द्वारा और १० प्रतिशत राशि ग्रामीण विद्युतीकरण निगम द्वारा दी गई| यह योजना गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले सभी ग्रामीण परिवारों के लिए है| इस योजना के तहत सवा लाख ऐसे गांवों में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य था जो अभी तक प्राप्त नहीं किया जा सका| इसके अलावा देश के २ करोड़ ३० लाख घरों में बिजली के कनेक्शन देना भी इसका लक्ष्य था| इसके तहत सबसे पहले ऐसे गांवों में बिजली दिए जाने का प्रावधान था, जहां अभी तक बिजली नहीं है| इसके बाद दलित बस्तियों, आदिवासी बस्तियों तथा कमजोर वर्गों के मोहल्लों में प्राथमिकता के आधार पर बिजली पहुंचाई जाएगी| इसके लिए सरकार द्वारा पूंजीगत खरीदी पर ९० प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा| सभी ग्रामीण बस्तियों में गरीबी रेखा से नीचे के परिवार के घरों में बिजली पहुंचाने के लिए शतप्रतिशत पूंजीगत सब्सिडी तथा हर कनेक्शन पर १५०० रु. की वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाएगी| अन्य लोग निर्धारित दर पर कनेक्शन के लिए भुगतान करेंगे तथा उन्हें अनुदान नहीं दिया जाएगा| अब इस योजना का स्थान दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना ने ले लिया है| प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने २५ जुलाई २०१५ को दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई) की शुरूआत की| इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और उपभोक्ताओं को विवेकपूर्ण तरीके से विद्युत आपूर्ति सुनिश्‍चित करना, सुलभ बनाने के लिए कृषि और गैर-कृषि फीडर सुविधाओं को अलग-अलग किया जाएगा| इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में वितरण और उपपारेषण प्रणाली को मजबूत किया जाएगा, जिसमें वितरण ट्रासंफॉर्मर, फीडर और उपभोक्ताओं के लिए मीटर लगाना सम्मिलित होगा| योजना का कुल परिव्यय ७६००० करोड़ रुपये है| इसमें से केन्द्र सरकार ६३००० करोड़ रु. का अनुदान देगी| अगस्त २०१३ में स्वीकृत ग्रामीण विद्युतीकरण से संबधित शेष कार्य के लिए वर्तमान में १२हवीं और १३हवीं पंचवर्षीय योजनाओं के अंतर्गत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत चल रहे कार्यों को दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में सम्मिलित किया जाएगा|

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) द्वारा अगस्त २०१६ में स्वीकृत ग्रामीण विद्युतीकरण से संबंधित शेष कार्य के लिए वर्तमान में १२हवीं और १३हवीं पंचवर्षीय योजनाओं के अंतर्गत आरजीजीवीवाई के चल रहे कार्यों को दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में सम्मिलित किया जाएगा| इस कार्य के लिए आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने ३९२७५ करोड़ रुपये की लागत को मंजूरी दी है, जिसमें ३५४७७ करोड़ रुपये की बजट सहायता भी शामिल है| ४३०३३ करोड़ रुपये के कुल प्रावधान के अतिरिक्त परिव्यय राशि भी दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में सम्मिलित की जाएगी|

दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना से ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत वितरण की अवधि में सुधार होगा| इसके साथ ही अधिक मांग के समय में लोड में कमी, उपभोक्ताओं को मीटर के अनुसार खपत पर आधारित बिजली बिल में सुधार और ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की अधिक सुविधा दी जा सकेगी|

परियोजनाओं को अनुमति देने की प्रक्रिया शीघ्र ही प्रारम्भ होगी| अनुमति मिलने के बाद परियोजनाओं को पूरा करने के लिए राज्यों की वितरण कंपनियों और वितरण विभाग को ठेके दिए जाएंगे| ठेके की अवधि से २४ महीने के अंदर परियोजनाओं को पूरा किया जाना जरूरी है|

  योजना के प्रमुख घटक

१. ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि एवं गैर-कृषि उपभोक्ताओं की आपूर्ति को विवेकपूर्ण तरीके से बहाल करने की सुविधा हेतु कृषि और गैर-कृषि फीडरों का पृथक्करण|

२. उप-ट्रांसमिशन व वितरण नेटवर्क की मजबूती ग्रामीण क्षेत्रों में ट्रांसफार्मर/फीडरों/ उपभोक्ताओं की आवश्यतानुसार उप-पारेषण और वितरण की आधारभूत संरचना का सुदृढ़ीकरण एवं आवर्द्धन|

३. माइक्रो म्रिड व ऑफ ग्रिड वितरण नेटवर्क: राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के तहत पहले से ही मंजूर माइक्रो ग्रिड ऑफ ग्रिड वितरण नेटवर्क एवं ग्रामीण विद्युतीकरण परियोजनाओं को पूरा किया जाना|

  मुख्य विशेषताएं

  • मौजूदा राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना को डीडीयूजीजेवाई में समाहित किया गया है|
  • सभी डिस्कॉम इस योजना के तहत वित्तीय सहायता के पात्र हैं|
  • ग़्रामीण विद्युतीकरण निगम लिमिटेड (आरईसी) योजना के क्रियान्वयन के लिए नोडल एजेंसी होगी|

  नोडल एजेंसी की भूमिका

  • नोडल एजेंसी को उनकी फीज के रूप में निगरानी समिति द्वारा अनुमोदित परियोजना लागत का ०.५ प्रतिशत या अवार्ड खर्च, जो भी कम हो, का भुगतान किया जाएगा|
  • समय-समय पर इस परियोजना के कार्यान्वयन के लिए आवश्यक सभी दिशानिर्देशों और स्वरूपों को अधिसूचित करना|
  • निगरानी समिति को प्रस्तुत करने से पूर्व (डीपीआर) का मूल्यांकन करना|
  • मंजूरी के लिए निगरानी समिति की बैठकों का आयोजन करने के लिए संबंधित सभी काम संचलित करना|

  अनुदान घटक का प्रशासन

  • विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) के प्रस्तुतीकरण और परियोजनाओं के एमआईएस को संधारित करने के लिए एकसमर्पित वेबपोर्टल का विकास|
  • कार्यों की गुणवत्ता सहित परियोजनाओं की भौतिक और वित्तीय प्रगति की निगरानी|

  योजना के लाभ

  • सभी गांवों और घरों का विद्युतीकरण|

  • क़ृषि उपज में वृद्धि|

  • छोटे और घरेलू उद्यमों के विकास के परिणामस्वरूप रोजगार के नए अवसर|

  • स्वास्थ्य, शिक्षा, बैंकिंग (एटीएम) सेवाओं में सुधार|

  • _रेडियो, टेलीफोन, टेलीवीजन, इंटरनेट और मोबाइल की पहुंच में सुधार|

  • बिजली की उपलब्धता के कारण सामाजिक सुरक्षा में सुधार|

  • स्कूलों, पंचायतों, अस्पतालों और पुलिस स्टेशनों में बिजली की पहुंच|

  • ग़्रामीण क्षेत्रों को व्यापक विकास के बढ़े अवसरों की प्राप्ति होगी|

  बजटीय सहायता

डीडीयूजीजेवाई में ४३०३३ करोड़ रुपये का निवेश होगा, जिसमें से पूरी कार्यान्वयन अवधि में भारत सरकार से ३३४५३ करोड़ रु. के बजटीय समर्थन की आवश्यकता शामिल है| इस योजना के तहत प्राइवेट डिस्कॉम और राज्य के विद्युत विभागों सहित सभी डिस्कॉम वित्तीय सहायता के पात्र हैं| डिस्कॉम ग्रामीण बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने के लिए विशिष्ट नेटवर्क की आवश्यकता को प्राथमिकता देंगे और योजना के तहत कवरेज के लिए परियोजनाओं की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डिपीआर) तैयार करेंगे| ग्रामीण विद्युतीकरण निगम लिमिटेड (आरईसी) इस योजना के संचालन के लिए नोडल एजेंसी है| यह विद्युत मंत्रालय और केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण को इस योजना के कार्यान्वयन पर वित्तीय और भौतिक दोनों प्रगति को दर्शाते हुए मासिक प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा|

  निगरानी समिति

सचिव (विद्युत) की अध्यक्षता में निगरानी समिति परियोजनाओं को मंजूरी देगी और इस योजना के कार्यान्वयन की निगरानी करेगी| योजना के तहत निर्धारित दिशा निर्देशों के अनुसार इस योजना के कार्यान्वयन को सुनिश्‍चित करने के लिए विद्युत मंत्रालय, राज्य सरकार और डिस्कॉम के बीच उपयुक्त त्रिपक्षीय समझौते को निष्पादित किया जाएगा| राज्य विद्युत विभागों के मामलों में द्विपक्षीय समझौते को निष्पादित किया जाएगा|

  निष्पादन की अवधि

इस योजना के तहत परियोजनाओं के कार्यपत्र जारी होने की तारीख से २४ महीने की अवधि के भीतर पूरा कर लिया जाएगा|

  अद्यतन स्थिति

परियोजना को मिशन मोड के आधार पर लिया गया है और विद्युतीकरण के लिए रणनीति में कार्यान्वयन सारणी को १२ महीने की समय सीमा में सीमित करना एवं ग्राम विद्युतीकरण प्रक्रिया को निगरानी के लिए निर्धारित समय सीमा को १२ चरणों में विभाजित किया गया है|

अप्रैल २०१५ से १४ अगस्त २०१५ तक कुल १६५४ गावों को विद्युतीकरण किया गया और भारत सरकार द्वारा मिशन मोड रूप में पहल करने के बाद १५ अगस्त २०१५ से १७ अप्रैल २०१६ तक ५६८९ अतिरिक्त गांवों का विद्युतीकरण किया गया| अब तक १० हजार से अधिक गांवों तक बिजली पहुंचाई जा चुकी है| प्रगति में और तेजी लाने के लिए ग्राम विद्युत अभियंता (जीवीए) के माध्यम से करीबी निगरानी की जा रही है एवं मासिक आधार पर प्रगति की समीक्षा, योजना और निगरानी (आरपीएम) की बैठक, राज्य डिस्कॉम के साथ विद्युतीकरण के स्तर पर गांवों की सूची साझा करना, ऐसे गांवों की पहचान करना जहां प्रगति में देरी हो रही है आदि विभिन्न कदम नियमित आधार पर उठाए जा रहे हैं|

३० जून २०१६ तक के कुल लक्ष्य को ९९ प्रतिशत तक प्राप्त किया जा चुका है| सरकार द्वारा इस योजना के अंतर्गत जून २०१६ तक १०८७४२.३१ करोड़ रु. उपलब्ध कराए गए थे, जिसमें से ४२६९२.४० करोड़ रु. अर्थात लगभग ३९ प्रतिशत राशि का उपयोग किया जा चुका है| अगर इसी रफ्तार से दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना का स्वरूप संचालन चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब देश का हर एक गांव जगमग होगा|

 

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