भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 120वीं जयंती पर आज उन्हे पूरे देश ने याद किया। 6 जुलाई 1901 को कलकत्ता में पैदा हुए श्यामा प्रसाद मुखर्जी का भारतीय राजनीति में बड़ा योगदान रहा है। देश की स्वतंत्रता के बाद जब पहली बार देश में पंडित जवाहर लाल नेहरू की सरकार बनी तब वह उनकी कैबिनेट में मंत्री थे लेकिन नेहरू की नीतियों के संतुष्ट ना होने की वजह से उन्होंने सरकार से दूरी बना ली और 21 अक्टूबर 1951 को जनसंघ की स्थापना की जो आगे चलकर भारतीय जनता पार्टी बनी और वर्तमान में देश की सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर जानी जा रही है।
श्यामा प्रसाद मुखर्जी जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली धारा 370 के भी विरोधी थे और उन्होने इसके खिलाफ देशव्यापी अभियान भी चलाया था। “नहीं चलेगा एक देश में दो विधान, दो प्रधान दो निशान” यह नारा भी श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने दिया था और अंत समय तक इसका विरोध करते रहे। वह हमेशा ही अखंड भारत का सपना देखते थे कांग्रेस सरकार में लगातार टूटता हुआ दिखाई और यही वजह रही कि उन्होंने उस समय की सबसे प्रबल पार्टी कांग्रेस को छोड़ दिया और देश हित में जनसंघ की स्थापना की और आज उनका सपना साकार होता दिख रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर श्यामा प्रसाद मुखर्जी को श्रद्धांजली अर्पित की और अपने ट्वीट में लिखा, “मैं श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनके जयंती पर नमन करता हूं उनके आदर्श देश के लाखों लोगों को प्रेरणा देते हैं डॉक्टर मुखर्जी ने अपना पूरा जीवन देश की एकता और विस्तार के लिए बलिदान कर दिया, उनकी पहचान एक विद्वान और बुद्धिजीवी के रूप में की जाती है”
I bow to Dr. Syama Prasad Mookerjee on his Jayanti. His lofty ideals motivate millions across our nation. Dr. Mookerjee devoted his life towards India’s unity and progress. He also distinguished himself as a remarkable scholar and intellectual.
— Narendra Modi (@narendramodi) July 6, 2021
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी श्यामा प्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और ट्वीट पर लिखा, ” आज श्रद्धेय डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी की जयंती के अवसर पर उनके द्वारा देश की अखंडता, विकास और शिक्षा जगत के लिए किए गए योगदान को स्मरण करते हुए डॉ मुखर्जी जी को सभी प्रदेशवासियों की ओर से विनम्र श्रद्धांजली अर्पित करते है”
https://twitter.com/myogiadityanath/status/1412289810752958464
देश के गृह मंत्री अमित शाह ने ट्विटर पर लिखा, ” एक राष्ट्र, एक निशान, एक विधान के प्रणेता डॉक्टर मुखर्जी के लिए देश हित से ऊपर कुछ भी नहीं था भारत की अखंडता के लिए उनके बलिदान और संघर्ष ने कश्मीर और बंगाल को देश का अभिन्न अंग बनाए रखा। डॉक्टर मुखर्जी राष्ट्र पुनर्निर्माण में स्वदेशी नीतियों के दृढ़ समर्थक थे”
‘एक राष्ट्र, एक निशान, एक विधान’ के प्रणेता डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के लिए देशहित से ऊपर कुछ नहीं था। भारत की अखंडता के लिए उनके बलिदान और संघर्ष ने कश्मीर और बंगाल को देश का अभिन्न अंग बनाए रखा। डॉ. मुखर्जी राष्ट्र पुनर्निर्माण में स्वदेशी नीतियों के दृढ़ समर्थक थे।
— Amit Shah (Modi Ka Parivar) (@AmitShah) July 6, 2021