हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
फैशन पर भारी  खादी

फैशन पर भारी खादी

by मुकेश गुप्ता
in फैशन दीपावली विशेषांक - नवम्बर २०१८
0

खादी वस्त्र नहीं विचार है, भारतीय संस्कृति का आधार है। खादी हिंदुस्थान की समस्त जनता की एकता और उसकी आर्थिक स्वतंत्रता का प्रतीक है। करोड़ों को वह रोजगार देती है, अपनत्व देती है। खादी ने अब करवट ली है, वह आधुनिक फैशन और ग्लैमर का हिस्सा बन गई है।

खादी या खद्दर भारत में हाथ से बनने वाले वस्त्रों को कहते हैं। खादी वस्त्र सूती, रेशम या ऊन से बने हो सकते हैं। इसके लिए बनने वाला सूत चरखे की सहायता से बनाया जाता है। खादी वस्त्रों की विशेषता यह है कि शरीर को गर्मी में ठंडा और सर्दी में गर्म रखते हैं। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में खादी का बहुत महत्व रहा। गांधी जी ने 1920 के दशक में गांव को आत्मनिर्भर बनाने हेतु खादी के प्रचार-प्रसार पर बहुत जोर दिया। भारत के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने भी मन की बात कार्यक्रम के जरिए कई बार खादी के महत्व को रेखांकित किया और उसे प्रोत्साहित करने पर बल दिया।

भारत की विश्व को कपड़ों की देन…

वैदिक काल से ही खादी भारतीय सभ्यता की जड़ों में समाहित थी। कपास की खेती, सूत की कताई और बुनाई ये तीनों चीजें विश्व सभ्यता को भारत की ही देन है। दुनिया में सबसे पहले भारत में सूत काता गया और कपड़ा बुना गया। सूत कातना और कपड़ा बुनना यहां का उतना ही प्राचीन उद्योग है, जितना कि स्वयं हिंदुस्थान की सभ्यता। मेरे विचार में खादी हिंदुस्थान की समस्त जनता की एकता और उसकी आर्थिक स्वतंत्रता का प्रतीक है। इसलिए कहा गया था कि खादी हिंदुस्थान की आजादी की पोशाक है।

यदि मानव की इच्छाशक्ति प्रबल हो तो वह इतिहास की गति को भी मोड़ देता है। गांधी जी ने पुराने चरखे से मैनचेस्टर की सबसे आधुनिक मिलों को पटखनी दे दी थी। गांधी जी ने खुद तो खादी पहनी ही, इसके साथ-साथ पूरे देश को खादी पहना दी थी। तब खादी पहनना शान व सम्मान का प्रतीक समझा जाता था।

स्वातंत्र्यवीर सावरकर…

भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में पहली बार विदेशी वस्त्रों की होली और स्वदेशी आंदोलन की आक्रामक भूमिका तैयार करने के लिए स्वातंत्र्यवीर सावरकर को सदैव स्मरण किया जाएगा। एकमात्र वीर सावरकर के प्रखर क्रांतिकारी विचार से ब्रिटिश सरकार सबसे ज्यादा डरती थी। इसलिए वीर सावरकर को ब्रिटिश सरकार ने दो आजीवन कारावास की सजा दी थी और इसके साथ उनके मनोबल को तोड़ने हेतु अनगिनत कठोर यातनाएं दी थीं। फिर भी सावरकर की राष्ट्रभक्ति को वह डिगा नहीं पाए।

वर्ष 1905 के बंग-भंग विरोधी जन जागरण के दौरान स्वदेशी आंदोलन का बिगुल बजाया गया, जिससे प्रभावित होकर वीर सावरकर ने वर्ष 1906 में सर्वप्रथम विदेशी वस्त्रों की होली जलाई और स्वदेशीकरण पर जोर दिया। देखते ही देखते स्वदेशी आंदोलन पूरे भारत में जोर पकड़ने लगा। अरविंद घोष, रवींद्रनाथ ठाकुर, वीर सावरकर, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और लाला लाजपत राय स्वदेशी आंदोलन के मुख्य उद्घोषक थे। इसी आंदोलन से प्रेरणा लेकर गांधी जी ने स्वदेशी आंदोलन के अंतर्गत खादी को जन-जन तक पहुंचाया।

वीर सावरकर न सिर्फ एक क्रांतिकारी थे; बल्कि एक भाषाविद, कवि, राजनेता, समाज सुधारक, इतिहासकार, दार्शनिक, पत्रकार, लेखक और ओजस्वी तेजस्वी वक्ता भी थे। हिंदू राष्ट्र की राजनीतिक विचारधारा (हिंदुत्व) को विकसित करने का पूरा श्रेय वीर सावरकर जी को ही जाता है। वे एक ऐसे इतिहासकार भी हैं, जिन्होंने हिन्दू राष्ट्र की विजय के इतिहास को प्रामाणिक रूप से छः स्वर्णिम पृष्ठ (हिंदी) और सहा सोनेरी पाने (मराठी) नामक पुस्तक में लिपिबद्ध भी किया। इसके अलावा उन्होंने वर्ष 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का खोजपूर्ण इतिहास लिख कर ब्रिटिश शासन को हिला कर रख दिया था।

वीर सावरकर से लेकर गांधी के स्वदेशी आंदोलन को अपार सफलता मिली। स्वदेशीकरण से देशप्रेम एवं राष्ट्रीयता का तेजी से प्रचार-प्रसार होने के साथ ही विदेशी शासन के विरुद्ध जनता की भावनाओं को जागृत करने का अत्यंत शक्तिशाली साधन सिद्ध हुआ। स्वतंत्रता आंदोलन से अलग रहने वाले अनेक वर्गों यथा- छात्रों, महिलाओं तथा कुछ ग्रामीण एवं शहरी जनसंख्या ने इस आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया। यही इस आंदोलन की सबसे बड़ी सफलता थी। इसलिए स्वदेशी को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है। आजाद भारत में स्वदेशी के चलते योग गुरु बाबा रामदेव की पतंजलि प्रोडक्ट को सफलता मिल रही है और वे विदेशी मल्टीनेशनल कंपनियों से लोहा ले रहे हैं।

मोहनदास गांधी जी…

खादी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए गांधी जी ने कहा था कि खादी के वस्त्र पहनना न सिर्फ अपने देश के प्रति प्रेम और भक्तिभाव दिखाना है; बल्कि कुछ ऐसा पहनना भी है जो भारतीयों की एकता दर्शाता है। उन्होंने इस प्रकार अंग्रेजों का ही नहीं, आम जीवन के काम आने वाली विदेशी वस्तुओं का भी बहिष्कार किया। गांधी जी ने कहा कि स्वराज्य यानी अपना शासन पाना है तो स्वदेशी यानी अपने हाथों से बनी देशी चीजों को अपनाना होगा। इसलिए खादी स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक ही नहीं बल्कि सच्चा भारतीय होने की पहचान भी कहलाई।

अश्वेत होने के कारण दक्षिण अफ्रीका में एक स्टेशन पर प्रथम श्रेणी के डिब्बे से धक्के मारकर गांधी जी को उतार दिया गया था। दक्षिण अफ्रीका के पीटर मारितजबर्ग रेलवे स्टेशन पर हुई इस घटना के 125 साल पूरे हुए। इसकी याद में हुए समारोह में वहां स्टेशन के प्लेटफार्म तथा ट्रेन के डिब्बों को खादी से सजाया गया।

खादी का 1920 में गांधी जी के स्वदेशी आंदोलन में एक राजनीतिक हथियार के रूप में उपयोग किया गया था।

खादी गीत…

आजादी के समय खादी के महत्व को बयान करती कवि सोहन लाल द्विवेदी रचित खादी गीत की पंक्तियां इस प्रकार हैं –

खादी के धागे-धागे में अपनेपन का अभिमान भरा,

माता का इसमें मान भरा, अन्याय का अपमान भरा,

खादी के रेशे-रेशे में अपने भाई का प्यार भरा,

मां बहनों का सत्कार भरा,बच्चों का मधुर दुलार भरा,

खादी की रजत चंद्रिका जब आकर तन पर मुस्काती है,

तब नवजीवन की नई ज्योति अंतस्थल में जग जाती है,

खादी से दिन विपन्नो की उत्तप्त उसास निकलती है,

जिससे मानव क्या पत्थर की भी छाती कड़ी पिघलती है!

खादी में कितने ही दलितों के दगय हृदय की दाह छिपी,

कितनों की कसक कराह छुपी,कितनों की आहत आह छिपी!

खादी तो कोई लड़ने का है जोशीला रणगान नहीं,

खादी है तीर कमान नहीं,खादी है खड्ग कृपान नहीं!

खादी को देख-देख तो भी दुश्मन का दिल थर्राता है,

खादी का झंडा सत्य शुभ्र अब सभी ओर फहराता है।

फैशनेबल हुई खादी, बनी कमाई का स्रोत…

भारत के स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक रहा खादी का कपड़ा, जो पिछड़ेपन की निशानी माना जाता था, वही आज फैशनेबल हो गया है। खादी की बिक्री से होने वाली कमाई में लगातार इजाफा होता जा रहा है। महिलाओं एवं पुरुषों के क्लासिक कुर्तों की बिक्री में तेजी देखी जा रही है। वेस्टर्न इंडो डिजाइन में अनेक प्रकार के वैरायटी पैटर्न के चलते खादी को पसंद किया जा रहा है। खादी का जादू अब नए रंग में अपनी छटा बिखेर रहा है। खादी को ग्लैमर भरे अंदाज में पेश किया जा रहा है। वेस्टर्न व भारतीय ट्रेडिशनल डिजाइन में खादी की लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही है। खादी से अब मिनी स्कर्ट, कोट, जैकेट से लेकर साड़ियां, सलवार कुर्ता, पायजामा आदि अनेक प्रकार के वस्त्र बनाए जा रहे हैं, जिससे मार्केट में खादी का बोलबाला बढ़ता जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा की गई अपील के बाद खादी के प्रति लोगों की मानसिकता में बड़ा बदलाव आया है, मोदी जी ने खादी फॉर ट्रांसफॉरमेशन का नया नारा भी दिया, जिससे प्रभावित होकर पहली बार खादी और ग्रामीण उत्पादों की बिक्री 50 हजार करोड़ से ज्यादा हुई।

खादी जैसे घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहन देने से देश के सुदूरवर्ती क्षेत्रों का विकास सुनिश्चित हो जाएगा। खादी और ग्रामोद्योग देश के बड़े रोजगार प्रदाता है। आज की युवा पीढ़ी को खादी अपनी ओर आकर्षित कर रही है। देश विदेश के प्रसिद्ध डिजाइनर अपने संग्रह में खादी के कपड़ों का प्रयोग कर रहे हैं। खादी पर्यावरण के अनुकूल है। खादी से बुनकरों को स्थाई आजीविका दी जा सकती है।

वर्तमान समय में उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि सरकार का इरादा खादी को विश्वस्तरीय ब्रांड बनाने का है। खादी में वैश्विक वृद्धि को प्रोत्साहन देने की क्षमता है। उन्होंने फिक्की, आईआईएफटी और खादी इंडिया द्वारा आयोजित सम्मेलन को वीडियो संदेश के जरिए संबोधित करते हुए यह बात कही। मंत्री ने आगे कहा कि खादी को विश्वस्तरीय बनाने हेतु जिला स्तर पर विकास जरूरी है, इससे आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन मिलेगा। इसके लिए पांच राज्यों में 6 जिलों की पहचान पायलट परियोजना के लिए की गई है।

विदेश व्यापार महानिदेशक आलोक वर्धन चतुर्वेदी ने कहा कि खादी क्षेत्र में 80 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है। सरकार के सहयोग एवं प्रोत्साहन से इस उद्योग को रफ्तार मिल सकती है। वहीं दूसरी ओर भारतीय रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने कहा कि खादी को राष्ट्रीय गौरव का चिह्न बनाने की जरूरत है, जिससे लोगों के मन में खादी राष्ट्रीय सम्मान का प्रतीक बन के उभरे।

स्वदेशी से होगा देश का उत्थान…

कहते हैं जब इस्लाम की आंधी (आक्रमण) अरब की ओर से चली और सारी सभ्यताओं-मान्यताओ और रोम-मिश्र, पर्सियन,  यूनान आदि देशों की बहुलतावादी संस्कृति को नष्ट करते हुए आगे बढ़ी, तब केवल भारत ने ही उसे रोका और जमकर मुकाबला किया। केवल 10 से 20 वर्षों में तथा ज्यादा से ज्यादा 50 वर्षों में इस्लामी आक्रमणकारी हर देश को जीतते जा रहे थे और वहां के लोगों का मान मर्दन करते जा रहे थे। उस समय केवल अफगानिस्तान के रास्ते से दिल्ली आने में उन्हें 600 वर्ष लग गए। तब भारत में राजा महाराजाओं का शासन हुआ करता था। राजा अपनी सीमाओं की रक्षा करने हेतु सदैव तत्पर रहते थे। इस्लामी आक्रमणकारियों को कदम-कदम पर युद्ध करना पड़ता था, जिससे उनका मनोबल टूट गया और वे युद्ध हारने लगे। बावजूद इसके युद्ध का क्रम चलता रहा। अनेकों युद्ध के बाद आखिरकार भारत के कई राज्यों में इस्लाम ने अपने झंडे गाड़े। भारत के हारने का सबसे बड़ा कारण यह सामने आया कि राजा- महाराजा, रजवाड़ों-क्षत्रियों की सेना ही युद्ध में भाग लिया करती थी किंतु भारत के आम लोगों को युद्ध में भाग लेने की इजाजत नहीं थी। इसके चलते हमे गुलामी का दंश झेलना पड़ा।

कहा जाता है कि जिस देश के आम लोग युद्ध में शामिल नहीं होते हैं उस देश का हारना तय होता है। इसी बात को ध्यान में रखकर गांधी जी ने आम लोगों को आजादी की लड़ाई में शामिल करने हेतु नया व आसान मार्ग ढूंढ निकाला। सैकड़ों वर्षों की गुलामी के चलते चेतना शून्य हुए दिन-दुखी, शोषित – पीड़ित आम भारतीयों के मन में लड़ने की प्रेरणा दी। गांधी जी ने खादी चरखा स्वदेशी आंदोलन के द्वारा आजादी की अलख जगाई। तब जो आम भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से दूर थे उन्हें गांधी जी ने खादी नामक स्वदेशी अस्त्र दिया। इस तरह गांधी जी ने हर भारतीय को स्वतंत्रता समर में शामिल कर लिया।

सर्वविदित है कि जिस देश का हर नागरिक अपनी स्वतंत्रता को लेकर जागरूक रहता है, उसे दुनिया की कोई ताकत अपना गुलाम नहीं बना सकती। नतीजतन भारत को भी आजादी मिली, इसमें खादी स्वदेशी आंदोलन की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इसलिए अक्सर कहा जाता है कि खादी वस्त्र नहीं विचार है, भारतीय संस्कृति का आधार है।

बावजूद इसके दुर्भाग्यजनक बात यह है कि गांधीजी को अपनी जागीर समझने वाली कांग्रेस सरकार अपने राज में खादी की उपेक्षा ही करती रही और जब भाजपा सरकार में प्रधानमंत्री मोदी जी ने खादी को प्रोत्साहन देने एवं उसका विकास करने के लिए कार्य करना शुरू किया तो कांग्रेस ने मोदी जी की चरखो के साथ छपी तस्वीर का बेवजह तूल बनाकर राजनीति करनी शुरू कर दी। सबसे अधिक सत्ता में रहने वाली कांग्रेस ने कभी खादी व चरखा का प्रचार-प्रसार नहीं किया। वहीं जब मोदी जी ने इसके विपरीत विश्व पटल पर खादी की चर्चा की और उसे एक ब्रांड के तौर पर स्थापित किया तब कांग्रेस को मिर्ची लगनी शुरू हो गई।

गौरतलब है कि एयर इंडिया के कर्मचारियों को खादी के वस्त्र पहनने की अनिवार्यता मोदी सरकार की उसी रणनीति का हिस्सा है जो खादी को बाहर के मुल्कों में स्थापित करने को लेकर बनाई गई है। मोदी सरकार की ओर से खादी उद्योग को बढ़ावा देने हेतु सैकड़ों करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता दी जा रही है। यह सरकार के अथक प्रयासों का ही परिणाम है कि दिल्ली कनॉट प्लेस पर खादी ग्राम उद्योग स्टोर पर एक दिन में एक करोड़ की बिक्री दर्ज हुई थी, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। यह निश्चित तौर पर मोदी जी की खादी को लेकर सोच को दर्शाता है। मोदी सरकार ने यह घोषणा की है कि 5 करोड़ लोगों को खादी के द्वारा रोजगार मुहैया कराया जाएगा। जाहिर सी बात है कि खादी का उत्पादन बढ़ने एवं उसकी बिक्री बढ़ने जैसी मोदी सरकार की उपलब्धि से कांग्रेस में घबराहट तो पसरेगी ही।

स्वदेशी का आधार…

हमें यह समझना होगा कि देश में जो भी विकास अभी तक हुआ है वह वास्तव में स्वदेशी के आधार पर ही हुआ है। कुल पूंजी निवेश में विदेशी पूंजी का हिस्सा 2% से भी कम है और वह भी गैरजरूरी क्षेत्र में विदेशी पूंजी निवेश जाता है। आज चिकित्सा के क्षेत्र में भारत दुनिया का सिरमौर देश बन चुका है, जिसके लिए जिम्मेदार विदेशी पूंजी नहीं बल्कि भारतीय डॉक्टरों की उत्कृष्टता है। आज अंतरिक्ष क्षेत्र में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र, जो पूरी तरह से भारतीय प्रौद्योगिकी के आधार पर विकसित हुआ है, ने दुनिया भर में अपनी कामयाबी के झंडे गाड़ दिए हैं। आज दुनिया के जाने-माने देश भी अपने अंतरिक्ष यानों को अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित करने हेतु भारतीय पीएसएलवी का सहारा लेते हैं। सामरिक क्षेत्र में परमाणु विस्फोट कर भारत पहले ही दुनिया को अचंभित कर चुका है। उधर अग्नि मिसाइल का निर्माण हमारे दुश्मनों को दहला रहा है। दुनिया भर में भारत के वैज्ञानिकों, डॉक्टरों और इंजीनियरों ने अपनी धाक जमा रखी है। सरकार के तमाम दावों के बावजूद आयातों पर निर्भरता बढ़ने के बाद भी हमारे निर्यातों में वृद्धि नहीं हो रही लेकिन हमारे सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की अथक मेहनत के कारण हमारे सॉफ्टवेयर के बढ़ते निर्यात देश को लाभान्वित कर रहे हैं। इन सभी क्षेत्रों में हमारी प्रगति किसी भी दृष्टिकोण से विदेशी निवेश और भूमंडलीकरण के कारण नहीं बल्कि हमारे संसाधनों, हमारे वैज्ञानिकों और उत्कृष्ट मानव संसाधनों के कारण हो रही है। अभी भी समय है कि सरकारी विदेशी निवेश के मोह को त्याग कर स्वदेशी यानी स्वदेशी संसाधन, स्वदेशी प्रौद्योगिकी और स्वदेशी मानव संसाधन के आधार पर विकास करने की मानसिकता अपनाए। आज जब अमेरिका और यूरोप जैसे देश भयंकर आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं, तब भारत में स्वदेशी के आधार पर आर्थिक विकास ही एकमात्र विकल्प है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी…

खादी को लेकर अपनी भावनाएं जाहिर करते हुए लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा था कि मुझे कभी-कभी लगता है कि हम कभी फाइव स्टार होटल में खाए, सेवन स्टार होटल में खाना खाए लेकिन जब घर में मां के हाथ का खाना मिलता है तो उसका आनंद कुछ और होता है, एक अलग संतोष होता है क्यों? क्योंकि, मां जब खाना खिलाती है तब सिर्फ खाना नहीं खिलाती है, उसमें भरपूर प्यार भी मिला हुआ होता है और इसके कारण हमें संतोष भी उतना ही मिलता है। मैं कभी-कभी जब खादी या हैंडलूम पर सोचता हूं तो मुझे लगता है कि दुनिया की चाहे कितनी ही वेराइटी क्यों न पहन ले लेकिन जब हैंडलूम या खादी की चीज होती है तो ऐसा ही लगता है जैसे मां ने परोसा है, प्यार से परोसा है, प्यार से बनाया है, ये जो फर्क है, ये जो फर्क हम महसूस करेंगे तब हमें पता चलेगा कि यह कितनी प्यार से बनाई हुई चीज, मेरे शरीर पर मैंने धारण की है।

 

 

Tags: handloomindian traditionindianclothingmodernpantshirtstyle #MinisterofTextiles #vastraudyog #Hindivivek

मुकेश गुप्ता

Next Post
भयभीत न हों लेकिन सतर्क तो हो जाएं..

भयभीत न हों लेकिन सतर्क तो हो जाएं..

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0