फैशन पर भारी खादी

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खादी वस्त्र नहीं विचार है, भारतीय संस्कृति का आधार है। खादी हिंदुस्थान की समस्त जनता की एकता और उसकी आर्थिक स्वतंत्रता का प्रतीक है। करोड़ों को वह रोजगार देती है, अपनत्व देती है। खादी ने अब करवट ली है, वह आधुनिक फैशन और ग्लैमर का हिस्सा बन गई है।

स्वातंत्र्योत्तर काल का फैशन

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भारतीय पोशाक अपने पारंपरिक तरीके और धरोहर से जुड़ाव के लिए जाने जाते है। पारंपरिक भारतीय डिज़ाइन अधिकतर प्रकृति से जुडे होते हैं। भारतीय पोशाक आरामदायक होने के साथ ही देखने में सुंदर और राजसी होते है।

आत्मनिर्भर भारत का सपना होगा पूरा – स्मृति ईरानी-(केन्द्रीय कपड़ा मंत्री)

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हमारे पारंपरिक उत्पाद जो है इसे आज बहुत बड़ा घरेलु बाजार भी मिल सकता है। धीरे-धीरे यह संवेदनशीलता हमारे देश में विकसित हो रही है। मैं आशावादी हूं चाहे वह मैन मेड फाइबर से बना हुआ कपड़ा हो अथवा कॉटन या फिर सिल्क से बना हुआ कपड़ा हो, उपभोक्ताओं की संकल्पना जैसे-जैसे हमारे देश में बढ़ेगी इसका फायदा जरूर होगा। प्रधानमंत्री मोदी जी का आत्मनिर्भर भारत बनाने का जो सपना है उसे पूर्ण करने के लिए जनता जनार्दन पूर्ण रूप से सहयोग देगी तो हम घरेलु बाजार को भी हमारे उत्पादन के लिए बहुत ही सशक्त होते हुए देख रहे हैं।

मैं हूं भारत का ‘परिधान’

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मेरे विविध प्रकारों के बारे में मैं जितना बताऊं उतना कम है, लेकिन एक बात का आनंद अवश्य है, कि जब भी कोई भारत के बाहर से भारत आता है, तो मेरे विविध प्रकारों को देखकर खुश हो जाता है। भारत के बाहर कपड़े और हैंडलूम के इतने प्रकार कहीं भी आपको देखने को नहीं मिलेंगे। ये यहां के कलाकारों की मेहनत, बुनकरों की लगन और कपास उगाने वाले किसानों की दृढ़ इच्छा ही है, जो आज भारत में हर एक गांव हर एक क्षेत्र में पहनावे की विविधता मिलती है।

भारतीय परंपरा में वस्त्र वैशिष्ट्य

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भारतीय परिवेश और परंपरा में वस्त्रों के रंग और पहनावे की विभिन्न शैलियां ही नहीं है अपितु वस्त्रों के धागे, वह किस तंतु से निर्मित हैं, और किस अवस्था में किस ऋतु में कौन से धागे या तंतु के कपड़े पहने हैं यह भी एक महत्वपूर्ण विषय है। जैसे गर्मी के समय में रेशमी वस्त्रों को धारण नहीं किया जाता। कपास से निर्मित वस्त्रों और ऊनी वस्त्रों को प्रयोग में नहीं लाते, वहीं सर्दियों में नेट के वस्त्र नहीं पहने जा सकते।

आत्मनिर्भर भारत बनाने हेतु वस्त्र मंत्रालय कटिबद्ध

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भारत सरकार समेत 16 राज्यों ने एक छत के नीचे चार लाख लोगों को कुशल बनाने का संकल्प लिया है। वस्त्र से जुड़े जिन क्षेत्रों में लोगों को कुशल बनाया जाएगा उनमें तैयार परिधान, बुने हुए कपड़े, धातु हस्तकला, हथकरघा, हस्तकला और कालीन शामिल हैं। वस्त्र उद्योग मंत्री स्मृति ईरानी के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हमेशा से यह प्रयास रहा है कि नए भारत में हम यह सुनिश्चित करें कि अजीविका की इच्छा रखने वाला हर नागरिक कुशल और दक्ष हो।

गर्मियों में भी रहे कूल

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इसी माह से गर्मी के तेवर बढ़ने शुरू हो जाएंगे, अतः हमें अपने पहनावे और खानपान के प्रति अधिक सतर्क होना पड़ेगा ताकि हम गर्मी की परेशानियों व बीमारियों से बच सकें।

  इंडियन ऑउटफिट का ग्लोबल अंदाज

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इंडियन आउटफिट (परिधान) अब पारंपारिक ना रह कर ग्लोबल हो गए हैं|  इंडियन फैशन को पूरी दुनिया में पसंद किया जा रहा है, खूब सराहा और पहना जा रहा है|

व्यावसायिक दृष्टि से पूर्वोत्तर

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सम, मेघालय, नगालैंड, मणिपुर,मिजोरम, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश इन सात राज्यों को संयुक्त रूप से पूर्वोत्तर के नाम से जाना जाता है। यह इलाका प्रकृति की अप्रतीम सुंदरता से ओतप्रोत है। वहां के खेतों, बागानों, पर्वतों,

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