हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
चित्तौड़गढ़ का सिसोदिया वंश

चित्तौड़गढ़ का सिसोदिया वंश

by गणपत कोठारी
in जनवरी २०२० - आप क्या चाहते हैं?, सामाजिक
0

चित्तौड़ दुर्ग राजपूती आन-बान शान का प्रतीक है। जो महत्त्व इस गढ़ को एवं इसके सिसोदिया वंश के महाराणाओं को इतिहास के पृष्ठों में मिला है। वह यश एवं कीर्ति अन्य किसी गढ़ या वंश को उतनी मात्रा में नहीं मिली है। इस महत्त्व को दिग्दर्शित करते हुए कवि ने कहा है-

गढ़ तो चित्तौड़गढ़ बाकी सब गढ़ैया है।

ताल तो भूपाल ताल बाकी सब तलैया है।

अर्थात गढ़ तो मात्र चित्तौड़गढ़ है। शेष तो मात्र गढ़ियाँ हैं। याने छोटे किले हैं एवं इसी तरह ताल तो मात्र भूपाल ताल भोपाल स्थित ताल है शेष तो तलैया हैं। चित्तौड़गढ़ का सिसोदिया वंश इसलिये भी अपना महत्त्व रखता है क्योंकि उस वंश ने कभी मुगलों के सामने घुटने नहीं टेके एवं ना कभी उसकी अधीनता स्वीकार की तथा ना ही अपनी बहन या बेटी उन्हें शादी में दी। अंग्रेजों ने भी उदयपुर महाराणा को अपने अधीन नहीं करके दोस्त-ए-लन्दन के सम्मान से सम्मानित किया था।

एक बार चित्तौड़गढ़ पर मुगलों का आक्रमण हो गया। मातृभूमि को संकट में पाकर दो वीर क्षत्रिय जयमल्ल और फत्ता उसकी रक्षार्थ शस्त्रों से सुसज्जित होकर मातृभूमि का गौरव अक्षुष्ण रखने के भाव से चल पड़े। दुर्भाग्य से रास्ते में एक चोर डाकू पल्ली मिल गई। चोर डाकू पल्ली के सरदार ने उन दोनों शस्त्र सुसज्ज्ति युवकों को देखकर कड़ककर कहा कि जो कुछ तुम्हारे पास हो चुपचाप निकाल कर दे दो। जयमल्ल आगे थे एवं वीरोचित रूप से उन चोर डाकूओं का मुकाबला करने को तैयार थे फिर भी मुड़कर फत्ता से पूछा कि ‘इत के उत।’ फत्ता ने संक्षिप्त में उत्तर दिया उत। यह सुनते ही जयमल्ल ने अपने शस्त्र जो उसके पास थे, नीचे डाल दिये। फत्ता ने भी उसका अनुसरण किया।

डाकू पल्ली के सरदार के यह ‘इत या उत’ वाली बात पल्ले नहीं पड़ी। उसने उन दोनों युवक वीरों से इस ‘इत या उत’ का राज जानना चाहा। इस पर दोनों वीरों ने बताया कि मुगलों ने मातृभूमि चित्तौड़ पर आक्रमण कर दिया है। मातृभूमि की आन एवं शान को खतरा पैदा हो गया है। हम दोनों शस्त्र सज्ज होकर मातृभूमि की आन की रक्षार्थ जान कुर्बान करने के उद्देश्य से जा रहे थे। रास्ते में आपकी पल्ली आ गई। हम आपसे भी आसानी से लड़ सकते थे। परन्तु उसमें हमारे घायल होने का खतरा था। अतः भाई जयमल्ल ने पूछा था कि कुर्बानी यहां दें कि वहां दें? मैंने कर्हा यहां ‘इत’ नहीं, क्योंकि यहां लड़ाई स्वार्थ की है। कुर्बानी वहां ‘उत’ देंगे। क्योंकि वहां देश हित में लड़ेंगे तथा मरेंगे तो वह बलिदान होगा। अतः हमने शस्त्र डाल दिये ताकि हम आपसे पिण्ड छुड़ाकर देशहित में बहादुरी से लड़ सकें।

चोर डाकू पल्ली का सरदार यह रहस्य जानकर बड़ा प्रभावित हुआ। उसने जयमल्ल व फत्ता के शस्त्र वापस उनके सुपुर्द किये एवं कहा ‘मातृभूमि हमारी भी है।’ हम आपके सैनिक बनकर आपके नेतृत्व में लड़ने को तैयार है। यह कहकर वहां के सारे चोर डाकू शस्त्र सज्ज होकर जयमल्ल व फत्ता के साथ देश हित में लड़ने चल पडे। वह युद्ध बड़ा घमासान रूप से लड़ा गया। जिसमें जयमल्ल किले की दीवार की रक्षा करते शहीद हो गया.. मगर उस युद्ध में मुगलों को म्ाुंह की खानी पड़ी। वीरवर जयमल्ल एवं फत्ता के नाम आज भी इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों से अंकित हैं। उनका बलिदान अमरता को प्राप्त हो गया है।

 

गणपत कोठारी

Next Post
भारती संस्कृति को  रशिन बहुत चाहते हैं…

भारती संस्कृति को रशिन बहुत चाहते हैं...

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0