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‘मेक इन इंडिया’ के तहत  स्वदेशी हो 5जी

‘मेक इन इंडिया’ के तहत स्वदेशी हो 5जी

by मुकेश गुप्ता
in फरवरी 2020 - पर्यावरण समस्या एवं आन्दोलन विशेषांक, सामाजिक
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टेलीकॉम प्रौद्योगिकी में बड़ी छलांग लगाने हेतु सरकारी संरक्षण का सुरक्षा कवच बेहद जरूरी है। ऐसा होने पर ही हम अपने देश में स्वदेशी दूरसंचार नेटवर्क स्थापित कर सकेंगे। देश की सुरक्षा की दृष्टि से यह बहुत आवश्यक है।

भारत सहित पूरी दुनिया में 5वीं पीढ़ी की 5जी तकनीक के लिए उत्सुकता बढती जा रही है और लोग इसके आने की बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहे हैं। बताया जाता है कि 5जी के आने के साथ ही इंटरनेट की दुनिया में एक बहुत बड़ा परिवर्तन आएगा जो सब कुछ बदल देगा। आज के युवा 5जी के लिए लालायित हैं।

स्वदेशीकरण की राह में रोड़ा

अनेक विदेशी कंपनिया 5जी को लेकर दुनिया के कई देशों में अपना – अपना साम्राज्य स्थापित करने की तैयारी कर रही हैं, ताकि वे करोड़ों – अरबों रुपयों का कारोबार कर सके। इसमें चीनी कम्पनी हुआवे भी शामिल है। जो अवैध रूप से येनकेन प्रकारेण विशेषकर भारत में सबसे कम कीमत का ऑफर देकर टेंडर हासिल करना चाहती है। इसमें चीन की सरकार उन्हें पूरी सहायता प्रदान कर रही है। भारतीय विशेषज्ञों ने बताया कि हमारी भारतीय स्वदेशी कंपनियों में विश्व स्तरीय क्षमता होने और विदेशों में चीनी कंपनियों सहित कई विदेशी कंपनियों को पछाड़ने के बावजूद वे अपने ही देश में टेंडर प्राप्त नहीं कर पा रही हैं। यह हमारी भ्रष्ट कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगाता है और स्वदेशीकरण की राह में रोड़े अटकाता है.

स्वदेशी कंपनियों को मिले 5जी में प्राथमिकता

भारत के विशाल बाजार और रोजगार की दृष्टि से मेक इन इंडिया के तहत स्वदेशी कंपनियों को 5जी के टेंडर में प्राथमिकता मिलनी चाहिए। इससे लाखों युवा इंजीनियरों व टेक्निशियनों सहित अन्य कर्मचारियों को रोजगार के अवसर मिलेंगे और देश की पूंजी देश के बाहर भी नहीं जाएगी। इसके अलावा मोदी सरकार के 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के संकल्प में भी 5जी स्वदेशी कंपनियां अपनी अहम् भूमिका निभा सकती हैं। बस आवश्यकता है कि स्वदेशी कंपनियों का योग्य मार्गदर्शन किया जाए और यथासंभव सरकारी सहायता प्रदान की जाए। गौरतलब है कि एक भारतीय कंपनी ने 5जी से आगे जाकर अभी से अमेरिका में 6जी का पेटेंट भी करवा लिया है। भारत में प्रतिभा संपन्न स्वदेशी कम्पनियां बड़ी संख्या में मौजूद हैं। बस उन्हें सही मौके की दरकार है।

सुरक्षा के लिए खतरा हुआवे

हाल ही में विभिन्न विदेशी कंपनियों सहित चीनी कंपनी हुआवे को दूरसंचार विभाग ने 5जी परीक्षण के लिए अनुमति प्रदान की है। इस परीक्षण में चीनी कम्पनी हुआवे के शामिल होने से देश में सुरक्षा कारणों से इस पर बहस छिड गई है। अमेरिका द्वारा 5जी के लिए चीनी कम्पनी हुआवे को अपने देश में प्रतिबंधित करने के बाद दुनिया भर में चीनी कंपनी हुआवे को सुरक्षा की दृष्टि से संदिग्ध माना जा रहा है और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे के रूप में देखा जा रहा है। इसी के चलते कई देशों ने चीनी कंपनी को प्रतिबंधित किया है और कई तरह के बंदिशे भी लगाई हैं।

चीनी कम्पनियां करती हैं जासूसी

आशंका व्यक्त की जा रही है कि चीनी कम्पनियां अपने जासूसी उपकरणों के माध्यम से संवेदनशील जानकारियों की चोरी कर सकती हैं। इसके अलावा कई देशों को संदेह है कि चीन साइबर हैकिंग से सैन्य गतिविधियों एवं तकनीकी रहस्यों व जानकारियों की चोरी कर सकता है। बता दें कि चीनी कम्पनियां सरकार के साथ ख़ुफ़िया जानकारी साझा करने के लिए क़ानूनी रूप से बाध्य हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि 5जी दूरसंचार नेटवर्क में चीनी कंपनियों का शामिल होना हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा हो सकता है। बताया जा रहा है कि चीनी कंपनी हुआवे किसी भी हाल में 5जी का टेंडर हासिल करने के लिए सबसे कम कीमत का ऑफर देकर टेंडर हथिया सकती है और नौकरशाहों को भारी भरकम आर्थिक लालच देकर टेंडर प्राप्त कर सकती है।

सुरक्षा के लिए दूरसंचार नेटवर्क स्वदेशी हो

दूरसंचार क्षेत्र में स्वदेशी उपकरणों के अलावा कुछ भी सुरक्षित नहीं है। स्वदेशीकरण ही सुरक्षा की गारंटी है। देश को सुरक्षा खतरों से बचाने हेतु भारत को दूरसंचार नेटवर्क को पूरी तरह से स्वदेशी बनाना चाहिए और सुरक्षा की दृष्टि से दूरसंचार को भारतीय कंपनियों के लिए आरक्षित रखना चाहिए। इसके साथ ही दूरसंचार को भारत की सुरक्षा के लिए अति महत्वपूर्ण और बुनियादी रणनीतिक ढांचा घोषित करना चाहिए। भारत सरकार के इस कदम से डब्ल्यूटीओ में चुनौती भी नहीं दी जा सकती।

सर्वविदित है कि विदेशी इलेक्ट्रोनिक उपकरणों में सुरक्षा का खतरा निहित है। 5जी तकनिकी उपकरणों में जासूसी का खतरा जताया जा रहा है। सुरक्षा विशेषज्ञ और वैज्ञानिकों ने भी चीन की हुआवे कंपनी को लेकर चिंता जताई है।

स्वदेशी उपकरणों का उपयोग क्यों नहीं करते हम?

एक ओर हम अंतरिक्ष में स्वदेशी के दम पर ऊंची उड़ान भर रहे हैं और अपने सेटेलाइट अंतरिक्ष में स्थापित कर रहे हैं। इसके साथ ही चंद्रयान, चंद्रयान 2, मिशन मंगल, आदि अनेकानेक कीर्तिमान रचा है। बावजूद इसके दूरसंचार क्षेत्र में लगने वाले उपकरण हमें विदेशों से आयात करना पड़ता है। भारत में टेलीकॉम सेक्टर में अधिकतर विदेशी उपकरण का उपयोग किया जाता है। मोबाइल टावर से सम्बंधित सभी उपकरण विदेशी ही होते हैं। विशेषकर चीन से आयात में तेजी आई है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या हम भारत में स्वदेशी उपकरण नहीं बना सकते? आखिर क्या कारण है कि टेलीकॉम सेक्टर में स्वदेशी उपकरणों का उपयोग नहीं किया जाता?

भारत में बड़े उद्यमियों की एक पूरी श्रृंखला है। भारतीय उद्यमियों को इस क्षेत्र में विकास के लिए सरकारी संरक्षण की आवश्यकता है। टेलीकॉम प्रौद्योगिकी में बड़ी छलांग लगाने हेतु सरकारी संरक्षण का सुरक्षा कवच बेहद जरूरी है। ऐसा होने पर ही हम अपने देश में स्वदेशी दूरसंचार नेटवर्क स्थापित कर सकेंगे और देश को सही मायने में सुरक्षित भी रख पाएंगे एवं विकास की ओर तेजी से अग्रसर होंगे।

 

 

मुकेश गुप्ता

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