दिप चूर्ण

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‘रास्ते भर ज्योति के सुद़ृढ़, विश्वासपूर्ण वाक्य कानों में टकराते रहे- ‘मैं नारी को छले जाते रहने की परिपाटी को तोड़, इन्हें सबक सिखाकर ही रहूंगी, भाई साहब! ताकि इन्हें पता चले, झूठ बोलने का नतीजा क्या होता है। लेकिन कहानी यहां थोड़े खत्म होती है....”

संत एकनाथ की निस्पृहता का रहस्य

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एक भक्त ने संत एकनाथ से पूछा कि -“गुरूदेव! साधना के क्षेत्र में आपकी निस्पृहता देखकर हम सब दंग हैं। आप कृपया हमें बतायें कि ऐसी निस्पृहता एवं स्थितप्रज्ञता आप कैसे रख पाते हैं?“ संत एकनाथ ने एक गहरा निःश्वास छोड़ते हुए कहा कि -“वत्स! तुझे किसी दिन फुर्सत में बैठकर इस साधना का रहस्य बताऊंगा  परन्तु...

‘मेक इन इंडिया’ के तहत स्वदेशी हो 5जी

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टेलीकॉम प्रौद्योगिकी में बड़ी छलांग लगाने हेतु सरकारी संरक्षण का सुरक्षा कवच बेहद जरूरी है। ऐसा होने पर ही हम अपने देश में स्वदेशी दूरसंचार नेटवर्क स्थापित कर सकेंगे। देश की सुरक्षा की दृष्टि से यह बहुत आवश्यक है।

दिल्ली जीत पाएंगे केजरीवाल?

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केजरीवाल की राह 2015 के मुकाबले 2020 में बहुत ही चुनौतीपूर्ण है। केजरीवाल ने ट्वीट में ‘भगवान के भला करने की बात’ लिखी है। केजरीवाल का कितना भला होता है यह भगवान ही जानें।

विवेक पर्यावरण समिति का वृक्षारोपण में योगदान

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मैंएक पर्यावरण प्रेमी हूं और वृक्षारोपण करना मेरी शौक है। जहां मैं रहता हूं कुछ समय पूर्व वह गांव हुआ करता था। जब मैंने वृक्ष लगायए तब वह गांव था लेकिन आज वह शहर में तब्दील हो गया है। इस विकास के चक्र में मेरे द्वारा लगाए गए अधिकतर वृक्ष…

प्रकृति की रक्षा हमारी सुरक्षा

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यदि हम प्रकृति (पर्यावरण) की रक्षा करेंगे तो प्रकृति भी हमारी रक्षा करेगी। धर्मों रक्षति रक्षित: अर्थात पर्यावरण प्रकृति की रक्षा ही हमारा धर्म है।

हवा में घुलता जहर

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कारण, प्रभाव और बचावहमारा देश प्रदूषण के मामले में बहुत आगे है जो कि चिंता की बात है। दुनिया के 10 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में से 7 शहर भारत के हैं। भारत के इन 7 शहरों में से चार शहर दिल्ली एनसीआर क्षेत्र के हैं। इस समस्या का अविलम्ब समाधान किया जाना जरूरी है।

रामचरित मानस में पर्यावरण चेतना

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हम प्रकृति से जुड़कर ही प्रकृति पुरूष राम से जुड़ पाएंगे। हमारे प्रकृति उन्मुख क्रियाकलापों की स्थिति और उसका स्तर हमारे लोकजीवन के आदर्श श्री राम के रिश्ते को परिभाषित करते हैं। रामचरित मानस यही संदेश देता है। 

बचाना ही होगा पर्यावरण

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दरसअल प्रकृति को लेकर हमारी सोच में ही खोट है। तमाम प्राकृतिक संसाधनों को हम धन के स्रोत के रूप में देखते हैं और अपने स्वार्थ के खातिर उसका अंधाधुंध दोहन करते हैं। हम यह नहीं सोचते हैं कि हमारी अगली पीढ़ी को स्वच्छ व शांत पर्यावरण मिलेगा या नहीं।

साधो ये जग बौराना

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अचानक मां दहाड़ मार कर रो दी, क्योंकि उसके कुछ और बच्चों ने मौत को गले लगा लिया था। हमारी जेब में तीन फोन थे, एक लैफ्ट का, एक राइट का, एक लैफ्टाइट का। तीनों बज रहे थे। उस मां की आंखों के आंसू न जाने कैसे हमारी आंखों तक पहुंच गए। ‘साधो ये जग बौराना” कहकर रोते हुए हम उस मां के चरणों में झुक गए...

जलवायु परिवर्तन का भारत पर प्रभाव

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भारत के साथ ही पूरे विश्व को यह समझना होगा कि जलवायु परिवर्तन मानवीय गतिविधियों से उपजा है। ...इसलिए उन सभी वस्तुओं का त्याग इंसानी जीवन से करना होगा, जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण को हानि पहुंचाती हैं।

धरती बार-बार दे रही खतरे की घंटी

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इंसान पहला जीव है जिसने आग पर नियंत्रण रखना सीखा। आग ने ही इंसान को इंसान बनाया है। लेकिन, आज इतनी ज्यादा मात्रा में और इतनी ज्यादा तरीके से आग जलाई जा रही है, ईंधन जलाया जा रहा है कि धरती का तापमान लगातार गरम होता जा रहा है। यह पूरी मानव जाति के लिए खतरे की घंटी है।

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