कोरोना वारस से घबराने की जरूरत नहीं है। उचित सावधानिां और स्वच्छता का धन रखने से कोरोना वारस के प्रकोप को निंत्रित किा जा सकता है। आ’जनों जागरूकता जरूरी है और ’ीडिा को भी चाहिए कि वह घबराहट ’ैलाने वाली खबरों को तवज्जो न दें।
कोरोना वायरस Covid-19 दिनों-दिन अपने पांव पसार रहा है। चीन से शुरू हुए इस वायरस के प्रकोप से 12 मार्च 2020 तक दुनिया के कुल लगभग 127 देश जूझ रहे थे। कुल संक्रमित लोगों की संख्या 134769 पहुंच गई। चीन में सर्वाधिक 80814 प्रभावित लोग दर्ज हैं, उसके बाद दूसरे नंबर पर इटली (15113), तीसरे क्रम में ईरान (10,075) और चौथे स्थान पर 7979 प्रभावित लोगों के साथ दक्षिण कोरिया है। अभी तक पूरी दुनिया में कोरोना से 4983 मौतें दर्ज की गई हैं।
12 मार्च 2020 तक भारत में कुल 74 लोग कोरोना से प्रभावित थे जिनमें विदेशी लोगों की संख्या 17 थी। दिल्ली में 6 हरियाणा में 14, केरल में 17, राजस्थान में 3, तेलंगाना में 1, उत्तर प्रदेश में 11, लद्दाख में 3, तमिलनाडु में 1, जम्मू कश्मीर में 1, पंजाब में 1, कर्नाटक में 4, महाराष्ट्र में 11 और आंध्र प्रदेश में 1, व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं। कर्नाटक के एक 76 वर्षीय व्यक्ति की मृत्यु कोरोना की वजह से रिपोर्ट की गई है। दूसरी मौत दिल्ली के राममनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती 68 वर्षीय महिला की दर्ज की गई। उसे कोरोना का संक्रमण अपने बेटे से हुआ जो विदेश यात्रा से लौट कर भारत आया था।
इस वायरस के बढ़ते प्रकोप के मद्देनजर भारत ने 15 अप्रैल तक सभी देशों के नागरिकों को जारी वर्तमान वीजा रद्द कर दिए। साथ ही प्रधानमंत्राी श्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रियों से यह अपील भी की है कि वे फिलहाल विदेशी दौरों पर न जाएं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस से मुकाबले के लिए सार्क देशों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुगठित रणनीति बनाने का प्रस्ताव रखा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा है कि देश में स्थिति नियंत्रण में है। उन्होंने संसद में सभी सांसदों से अपील किया कि वे अपने-अपने क्षेत्र में लोगों के बीच जागरुकता फैलाएं। जहां एक तरफ दिल्ली के सभी स्कूल 31 मार्च तक बंद कर दिए गए तो वहीं दूसरी तरफ संक्रमण से बचाव के लिए सभी केंद्रीय कार्यालयों में बायोमेट्रिक मशीन में हाजिरी को अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दिया गया है। भारत में सिनेमाघरों, सम्मेलनों सहित स्पोर्ट्स टूर्नामेंट में लोगों के जाने को लेकर हतोत्साहित किया जा रहा है।
कोरोना के जोखिम
कोरोना वायरस से उत्पन्न जोखिम भयावह है। इसे तीन मानकों के द्वारा समझा जा सकता है। पहला इसके संक्रमण की दर, दूसरा इससे होने वाली मृत्यु दर और तीसरा लक्षणहीन संक्रमण को सुनिश्चित करना। मीडिया की भूमिका अहम् है जिसकी जिम्मेदारी आमजन के समक्ष कोरोना वायरस के संबंध में तथ्यपूर्ण और तर्कसंगत तस्वीर प्रस्तुत करना है। इस वायरस के वाहक व्यक्ति से 1 से 2 लोगों को संक्रमण होने की संभावना रहती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पूरे विश्व में कोरोना वायरस मामलों मेें मृत्यु दर लगभग 2 प्रतिशत है। वहीं दूसरी ओर सार्स से होने वाली मृत्य दर अधिक थी। कोरोना वायरस व्यक्ति में पहुंच कर अपने लक्षण तुरंत प्रकट नहीं करता। यह एक बड़ी चुनौती है। इसके स्पष्ट लक्षण प्रकट होने में 2 से 14 दिनों का समय लग जाता है और इस दौरान प्रभावित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले लोगों तक यह वायरस पहुंच जाता है। यह लक्षणहीन संक्रमण कोरोना के प्रसार को बढ़ावा देने में अहम् भूमिका निभा रहा है।
चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के अनुसार कोरोना वायरस से मृत 80 प्रतिशत लोगों की आयु 60 वर्ष से अधिक थी जबकि उनमें से 75 प्रतिशत लोगों को पहले से हृदय रोग और मधुमेह जैसी स्वास्थ्य समस्याएं थीं। आयु के संबंध में विश्व स्वास्थ्य संगठन का कथन है कि कोरोना वायरस से सभी उम्र के लोग संक्रमित हो सकते हैं। हालांकि अधिक उम्र के लोग जिनमें दमा, मधुमेह, हृदय रोग जैसी पहले की स्वास्थ्य जटिलताएं मौजूद हैं, उन पर इस वायरस से बीमार होने का ज्यादा खतरा है। अर्थात् ऐसे लोग र्उेींळव-19 के प्रति ज्यादा संवेदनशील हैं।
2 फरवरी को फिलीपिंस में चीन के जिस व्यक्ति की मौत कोरोना वायरस के कारण हुई, उसकी उम्र 44 साल थी। यह व्यक्ति वुहान से फिलीपिंस पहुंचा था और बुखार, खांसी, गले में खराश तथा निमोनिया जैसे लक्षणों के साथ 25 जनवरी 2020 को अस्पताल में भर्ती हुआ था। कुछ दिनों बाद इस मरीज के स्वास्थ्य में सुधार भी आया लेकिन मृत्यु से 24 घंटे पहले उसकी हालत बिगड़ गई थी।
वुहान से ही फ्रांस आए 30 और 31 साल की उम्र के एक युगल को अस्पताल में भर्ती किया गया था। 18 जनवरी 2020 को जब वे फ्रांस पहुंचे थे, तब उनमें कोरोना वायरस के कोई भी लक्षण मौजूद नहीं थे। बाद में चल कर उनकी तबियत बिगड़ गई और 29 जनवरी को उन्हें आईसीयू में भर्ती करना पड़ा।
स्वच्छता, सावधानी और वैज्ञानिक द़ृष्टिकोण जरूरी
आजकल सोशल मीडिया पर चारों तरफ कोरोना वायरस से जुड़ी खबरों और जानकारी की भरमार है। इस सूचना विस्फोट से आमजन उलझन की स्थिति में है। ऐसी परिस्थिति में सूझबूझ और वैज्ञानिक द़ृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। हर सूचना को सही मान लेना अतार्किक है। सही जानकारी के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (भारत सरकार), आईसीएमआर, सीएसआईआर शोध संस्थान, एम्स आदि के प्रमाणिक बेबसाइट ही विजिट करें।
भारत सरकार और देश के प्रधानमंत्री की प्रेरणा से चलाया जा रहा स्वच्छता अभियान आमजन को कोरोना वायरस से मुकाबला करने में सक्षम बनाएगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने र्उेींळव-19 को महामारी घोषित किया है। साथ ही यह डब्ल्यूएचओ का भी एक तथ्य है कि र्उेींळव-19 से संक्रमित 80 प्रतिशत लोग बिना चिकित्सा परामर्श के स्वस्थ हो जाते हैं। अगर खांसी, जुकाम है, सांस लेने में दिक्कत और बुखार है तो इसका श्वसन प्रणाली में इस वायरस के संक्रमण की संभावना हो सकती है। चूंकि र्उेींळव-19 का कोई वैक्सीन या इलाज नहीं है इसलिए मेडिकेशन के कंबिनेशन से इसका उपचार किया जा रहा है।
सही कहा गया है कि इलाज से बेहतर बचाव होता है। खांसने और छींकते समय अपने मुंह और नाक को टिशू पेपर से ढकें। स्वस्थ व्यक्ति संक्रमित व्यक्ति से दूरी बना कर रहें और भीड़ वाली जगह पर जाने से परहेज करें। घर या आफिस में खिड़की, कुर्सी, मेज, दीवार, दरवाजे को छूने के बाद हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोएं; क्योंकि धातु की सतह पर यह वायरस 12 घंटे तक सक्रिय बना रहता है। कपड़े पर इसका सर्वाइवल टाइम 6 से 12 घंटे है और सामान्य डिटरजेंट से यह समाप्त हो जाता है। हल्का गर्म पानी जरूर पीते रहें। इससे सभी प्रकार के वायरस खत्म हो जाते हैं। कच्चे या अधपके मांस को न खाएं। हमारे हाथों पर यह 5 से 10 मिनट सर्वाइव कर सकता है। इसलिए अपने हाथों से चेहरे, नाक व आंख को छूने से बचें और हाथों को साबुन से बार-बार धोते रहें। यह वायरस सांस की नली के रास्ते होते हुए फेफड़ों में पहुंचता है इसलिए जरूरी है कि मुंह और गले को तर रखा जाए और कोई वायरस यदि मौजूद हो तो वह पानी के साथ मिल कर आहार नाल में चला जाए। एक बार वायरस जब आहार नाल में चला जाता है तो फिर वहां पर मौजूद पाचक अम्ल में वह हजम हो जाते हैं।
सोशल मीडिया पर अधिक निर्भर न रहें, अपना विवेक लगाएं
कोरोना वायरस को लेकर लोगों के मन में अनेक उलझनें हैं और सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर तरह-तरह की बातें प्रसारित हो रही हैं। उनमें अनेक बातें परस्पर विरोधाभासी भी हैं। इसमें सबसे जरूरी है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के एफएक्यू, दिशानिर्देशों और भारत के स्वस्थ्य मंत्रालय की एडवाइजरी का अनुसरण किया जाए।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कोरोना वायरस से जुड़ी भ्रांतियों का स्पष्टीकरण किया है। सबसे पहले स्वस्थ व्यक्तियों को मास्क लगाए जाने की कोई आवश्यकता नहीं है। अगर किसी व्यक्ति को खांसी जुकाम है तो उसे मास्क लगाना चाहिए ताकि वह किसी दूसरे को संक्रमण न फैला सके। एन-95 मास्क केवल चिकित्सा कर्मियों के लिए उपयोगी है जहां उन्हें संक्रमित मरीजों के नजदीक काम करना होता है। शराब पीने से और इसके इलाज या नियंत्रण का कोई संबंध नहीं है। यह वायरस एयरबोर्न नहीं है और केवल संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क से इसका जोखिम है।
इनके अलावा भारतीय परंपरा के अभिवादन प्रतीक नमस्ते का प्रयोग जोर-शोर से पूरी दुनिया में होने लगा है। अमेरिकी राष्ट्रपति और इजराइल के प्रधानमंत्री ने नमस्ते की परम्परा को कोरोना वायरस से मुकाबले का एक सेहतमंद उपाय ठहराया है।
इलेक्ट्रानिक गैजेट्स को भी संक्रमण से दूर रखें
आजकल हम सभी मोबाइल, टैब, लैपटाप, टीवी जैसे इलेक्ट्रानिक गैजेट का हर समय उपयोग करते हैं। कार्यालयों में भी कांफ्रेंस हाल में बड़े डिजिटल स्क्रीन और प्रोजेक्टर लगे होते हैं जिन पर हमारे हाथ का स्पर्श बैठकों के दौरान होता ही रहता है। मोबाइल और लैपटाप तो हम हर समय इस्तेमाल करते रहते हैं। इन पर ढेर सारे बैक्टीरिया और वायरस पहुंचते हैं। इसलिए इन सूक्ष्मजीवों को इन इलेक्ट्रानिक गैजेट से दूर रखने का सबसे अच्छा उपाय है कि समय-समय पर इन गैजेट को विसंक्रमित यानि डिसइन्फेक्ट किया जाए।
अपना मोबाइल और रुमाल एक जेब में न रखें। साइबर कैफे में कंप्यूटर का इस्तेमाल न करें और बहुत जरूरी हो तो ग्लव्स का इस्तेमाल करें। प्रयोग के तुरंत बाद सैनिटाइजर से हाथों को साफ करें। लैपटाप को साफ करने के लिए हैंड सैनिटाइजर लेकर टिशू पेपर से अच्छे से साफ करें। इयरफोन से काल करना ज्यादा सुरक्षित उपाय है लेकिन हां इयरफोन को बार-बार साफ करना न भूलें। दिन में कम से कम दो बार अपने इलेक्ट्रानिक गैजेट्स को अच्छी तरह विसंक्रमित करें। इसके साथ ही एक और खास सुझाव यह है कि दूसरे व्यक्ति के फोन या लैपटाप को टच न करें और अपने गैजेट दूसरों को न दें। इस तरह के प्रयासों से आप कोरोना वायरस के खतरे से बच सकते हैं।
इलेक्ट्रानिक गैजेट के अलावा, दूध के थैले, अखबार, पत्र, कूरियर, आफिस में फाइल, कागज, प्रिंटर, कुर्सी और टेबल की ऊपरी सतह को भी बार-बार सैनिटाइज किया जाना जरूरी है।
20 सेकंड तक साबुन से हाथ धोना बचाव का सबसे कारगर उपाय
अभी तक के अध्ययन के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया है कि साबुन से बार-बार हाथ धोना इस कोरोना वायरस से बचाव का सबसे अच्छा उपाय है। चाहे सैनिटाइजर हो या साबुन दोनों से वायरस को दूर भगाया जा सकता है। साबुन के इस्तेमाल का तरीका महत्वपूर्ण है। हाथ के सभी हिस्सों में साबुन को रगड़-रगड़ कर 20 सेकंड तक मलना जरूरी है। उसके बाद पानी की तेज धार से इसे धोना है।
वायरस की पहचान हो गई है, अब दवा बनाना हुआ आसान
भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय के भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस को आइसोलेट करने में कामयाबी हासिल कर ली है। यह एक अच्छी खबर है क्योंकि इसके बाद इस वायरस की दवा बनाने का मार्ग खुल जाएगा। साथ ही इसकी शीघ्र जांच के लिए रैपिड टेस्टिंग किट भी बनाया जाना आसान हो जाएगा। कोरोना के पाजीटिव मरीजों के सैम्पल से पुणे स्थित भारतीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी), पुणे के वैज्ञानिकों ने इस वायरस को आइसोलेट कर लिया है। आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने 13 मार्च 2020 को आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में यह बताया कि इस वायरस को आइसोलेट करने वाला भारत दुनिया का पांचवां देश बन गया है। उन्होंने यह भी कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है। हमारे पास जांच के लिए पर्याप्त किट और प्रयोगशालाएं हैं।
संक्षेप में मुख्य बात यह है कि उचित सावधानियां और स्वच्छता का ध्यान रखने से कोरोना वायरस के प्रकोप को नियंत्रित किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में उचित सावधानियों का पालन करना हम सभी नागरियों की प्राथमिक जिम्मेदारी है। मीडिया की भी जिम्मेदारी है कि वे घबराहट बढ़ाने वाली खबरों को तवज्जो न दें और साथ ही प्रामाणिक जानकारी को प्रकाशित-प्रसारित करें। मीडिया को रिकवर हुए व्यक्तियों के बारे में भी आमजन को बताना चाहिए। अगर आज का वैज्ञानिक युग नालेज पावर है तो तर्कसंगत जागरुकता सुपर पावर है।