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राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार हुआ मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार

The Prime Minister, Shri Narendra Modi paying tributes to Major Dhyan Chand, at the flagging off ceremony of “Run For Rio”, at Major Dhyan Chand National Stadium, in New Delhi on July 31, 2016. The Minister of State for Youth Affairs and Sports (I/C), Water Resources, River Development and Ganga Rejuvenation, Shri Vijay Goel and the Secretary, Ministry of Youth & Sports, Shri Rajiv Yadav are also seen.

राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार हुआ मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार

by हिंदी विवेक
in खेल, ट्रेंडींग, समाचार..
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जापान के टोक्यो में भारतीय हॉकी टीम ने फिर से परचम लहराया और ब्रॉन्ज मेडल से इतिहास रच दिया। टीम ने मेडल का सूखा खत्म करते हुए करीब 40 साल बाद भारतीय हॉकी टीम की झोली में मेडल डाल दिया। इस जीत पूरा देश खुश नजर आ रहा है सरकार भी इस जीत को पूरे जोर से मना रही है और इसी जीत की खुशी में सरकार ने हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद के परिवार और चाहने वालों को एक और खुशी दे दी। अब खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद रख दिया गया। 
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा कि उन्हें देश के तमाम लोगों का सुझाव आया था कि खेल रत्न पुरस्कार मेजर ध्यानचंद के नाम पर रखा जाए। आज मैं उन सभी लोगों का धन्यवाद करता हूं। 
https://twitter.com/narendramodi/status/1423538297842769921
टोक्यो की इस जीत के साथ ही देश को दो खुशियां मिली, भारतीय हॉकी टीम ने देश को मेडल ला कर दिया और सरकार ने हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के नाम से खेल पुरस्कार का नाम जोड़ दिया। अब राजीव गांधी खेल पुरस्कार को मेजर ध्यानचंद खेल पुरस्कार के नाम से जाना जायेगा। मेजर ध्यानचंद ने अपने 22 साल के खेल करियर में 400 से अधिक गोल किया था जो अपने आप में एक मिसाल थी और वह आज भी हॉकी टीम के लिए एक आदर्श हैं। मेजर ध्यानचंद ने तीन ओलंपिक खेलों 1928 एम्सटर्डम, 1932 लॉस एंजेलिस और 1936 बर्लिन ओलंपिक में देश को तीन गोल्ड पदक दिलाया था हालांकि उस समय हमारा देश ब्रिटिश सरकार का गुलाम था।
मेजर ध्यानचंद का नाम ध्यान सिंह था लेकिन वह अक्सर चांदनी रात में ही अपने खेल का अभ्यास करते थे। बचपन में उन्हे कुश्ती का भी शौक था जिसका अभ्यास भी वह चांदनी रात में करते थे जिसके बाद उनके दोस्त उन्हे चंद भी बुलाने लगे और अंत में उनका नाम ध्यानचंद पड़ गया। ध्यानचंद के गोल करने के तरीका भी बहुत मशहूर था। हॉलैंड के एक मैच के दौरान यह अफवाह भी उड़ी थी कि ध्यानचंद की हॉकी में चुंबक है जो गेंद को चिपक जाती है और वह आसानी से गोल कर लेते है। हॉलैंड मैच के बाद उनकी हॉकी तोड़ी गयी लेकिन उसमें से कोई चुंबक नहीं निकला। भारत सरकार के खेल रत्न पुरस्कार को ध्यानचंद का नाम देने से अब यह देश उन्हे दशकों तक याद रखेगा। 

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Tags: hockeyindiahockeyworldcupkhelratnamajordhyanchandnarendramodiolympic2021rajivgandhitokyoolympics

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