महिला-सशक्तीकरण क्यों ? स्त्री-सशक्तीकरण क्यों नहीं ??

# हम ‘महिला-सशक्तीकरण’ शब्द ही पढ़ते, लिखते और सुनते हैं, ‘स्त्री-सशक्तीकरण’ नहीं। क्यों ? वस्तुतः, प्रश्न का उत्तर इन शब्दों की व्युत्पत्ति में ही छिपा है ।
#‘स्त्री’ शब्द की व्युत्पत्ति ‘ स्त्यै’ धातु से हुई है जिसकी व्याख्या यास्क, पाणिनि से लेकर पतंजलि सरीखे आचार्यों ने की है। अस्तु, ये सभी व्याख्याएँ इस शब्द की देहवादी व्याख्याएँ हैं। यास्क ने जहाँ इसे लज्जा से अभिभूत नारी माना, वहीं पाणिनि ने इसे ‘शब्द इकट्ठा करने वाली अथवा गप्पी-बकवादी’ माना।
#पतंजलि ने इसे ‘शब्द-स्पर्श-रूप-रस-गंध’ आदि गुणों का समुच्चय माना। इस तरह ये सभी व्याख्याएँ देह तक सिमट गईं।
# निश्चित ही यह इन आचार्यों की सीमा नहीं, अपितु इनके देश-काल की सीमा थी।
# ध्यान रहे कि ‘त्रिया-चरित्र’ शब्द के मूल में भी यह ‘स्त्री’ शब्द ही है। ‘स्त्री’ से त्रिया और त्रिया से ही ‘तिरिया-चरित्तर’ शब्द बना जो नकारात्मक बोधक है।
# दूसरी तरफ ‘महिला’ शब्द की व्युत्पत्ति ‘महा’ धातु से हुई है जिसका अर्थ है:– आदर, पूजा करना, महान्.. इत्यादि। इस तरह यह शब्द आदर का भाव लाता है और स्त्री को देह की परिधि से ऊपर उठा मस्तिष्क और बुद्धि से जोड़ता है। किञ्चित् यही कारण है कि हमें ‘महिला-सशक्तीकरण’ शब्द का ही प्रयोग करना चाहिए, ‘स्त्री–सशक्तीकरण’ का नहीं ।
# अगर देखा जाए तो स्त्री, महिला, नारी, औरत, रमणी, उर्मिला, जाया, भार्या, पत्नी …कामिनी इन सभी शब्दों के मूल में ही इनका अर्थ छिपा है, जिन्हें समझ लेने से इन शब्दों के अर्थपरक विभेद भी हम समझ लेते हैं।
# नारी शब्द की व्युत्पत्ति ( नर +ई ) से हुई है। इसका अर्थ हुआ– नर का स्त्रीलिंग रूप। वैसे, नर शब्द की व्युत्पत्ति हुई है ‘नृ’ से जिसका अर्थ है– नेता, वीर, जो नृत्य कर सके…आदि।
# ‘रमणी’ शब्द का अर्थ है– युवती अथवा सुंदर स्त्री जिसके साथ मन रमे।
# ‘भार्या’ शब्द का अर्थ है– किसी की विवाहिता नारी अथवा पत्नी /जोरू।
# ‘उर्मिला’ शब्द का अर्थ है ‘जुनून की लहर’ अर्थात जिसे देख कर मन में लहर उठे।
#आप जिस की कामना करते हैं वह कामिनी है।
# वह स्त्री जो किसी बालक/ बालिका को जन्म दे चुकी हो , वह जाया है ।
# असहाय स्त्री के लिए अबला शब्द है , जिसका अर्थ है– जिसमें बल नहीं है। इसका विलोम है–सबला।
# औरत शब्द मर्द का विलोम है, लिंग सूचक है (लिंग का अर्थ पहचान)
# इस तरह हम देखते हैं कि भले ही ये सारे शब्द ‘स्त्री’ के पर्यायवाची हैं, परंतु सभी शब्दों के अर्थ में विभेद है। हम ‘स्त्री’ की जगह ‘महिला’ नहीं लिख सकते। अतः, हमें इन शब्दों के प्रयोग में सावधानी बरतनी चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएँ!

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