स्त्री विमर्श: विभिन्न आयामों का दृष्टिकोण

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जब स्त्री शोषण के खिलाफ स्त्री विमर्श जगाकर एक स्वर में समस्या का सही हल ढूंढ़ने का प्रयास करने लगी तब एक वर्ग स्त्रियों को ही विरोधी बनाने लगा। उपभोक्तावादी संस्कृति, भौतिकवादी संस्कृति के खेलें में आत्मनिर्भरता के नाम पर, आजादी के नाम पर स्त्रियों को उपभोग की वस्तु धीरे-धीरे कब बना दिया गया पता ही नहीं चला। स्त्रियों को घरों से निकालकर बाजारवादी संस्कृति की चंगुल में बड़े चतुराई से फंसा दिया गया है।

महिला-सशक्तीकरण क्यों ? स्त्री-सशक्तीकरण क्यों नहीं ??

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‘स्त्री’ शब्द की व्युत्पत्ति ‘ स्त्यै’ धातु से हुई है जिसकी व्याख्या यास्क, पाणिनि से लेकर पतंजलि सरीखे आचार्यों ने की है। अस्तु, ये सभी व्याख्याएँ इस शब्द की देहवादी व्याख्याएँ हैं।

भारतीय नारी और नारीवाद में अंतर

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#अंतराष्ट्रीय_महिला_दिवस का सच्चे अर्थों में भारतीय परंपराओं में कोई स्थान नही है। यह एक पाश्चात्य स्थापना है। 

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