स्त्री विमर्श: विभिन्न आयामों का दृष्टिकोण
जब स्त्री शोषण के खिलाफ स्त्री विमर्श जगाकर एक स्वर में समस्या का सही हल ढूंढ़ने का प्रयास करने लगी तब एक वर्ग स्त्रियों को ही विरोधी बनाने लगा। उपभोक्तावादी संस्कृति, भौतिकवादी संस्कृति के खेलें में आत्मनिर्भरता के नाम पर, आजादी के नाम पर स्त्रियों को उपभोग की वस्तु धीरे-धीरे कब बना दिया गया पता ही नहीं चला। स्त्रियों को घरों से निकालकर बाजारवादी संस्कृति की चंगुल में बड़े चतुराई से फंसा दिया गया है।