कभी स्टेज से लोगों को हसाने वाले भगवंत मान अब मंच से पंजाब की जनता को संबोधित करेंगे और पंजाब के भविष्य का फैसला करेंगे। भगवंत मान का जन्म पंजाब के संगरूर जिले के सतोज गांव में हुआ है उन्होंने अपनी पढ़ाई के बाद कॉमेडी को अपने करियर के रूप में चुना, कालेज से लेकर टीवी शो तक वह अपनी कॉमेडी की वजह से मशहूर हो गए लेकिन एक समय के बाद उनका रुझान राजनीति की तरफ बढ़ा और उन्होंने सन 2011 में पीपुल्स पार्टी ऑफ पंजाब का हाथ पकड़ लिया।
सन 2012 में विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन हार का सामना करना पड़ा। भगवंत मान ने सियासी अवसर को समझते हुए सन 2014 में आम आदमी पार्टी ज्वाइन कर लिया और बहुत कम ही समय में केजरीवाल के करीबियों में शामिल हो गये। 2017 में आप के टिकट पर चुनाव लड़े और जीत भी गये लेकिन केजरीवाल से अनबन के चलते उन्होंने कुछ समय के लिए पार्टी छोड़ दिया हालांकि बाद में वह फिर से पार्टी से जुड़ गये।
2014 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने पंजाब में पहली बार चुनाव लड़ा और 4 सीटों से खाता खोला लेकिन तब शायद उसे भी नहीं पता था कि 2022 में उनकी पंजाब में सरकार बन जाएगी। पंजाब के सियासी इतिहास में भी आम आदमी पार्टी ने अपना नाम दर्ज कर लिया है क्योंकि अभी तक किसी एक पार्टी के नाम पर 92 सीटें जीतने का रिकॉर्ड नहीं रहा है। पंजाब में आप की जीत को दिल्ली मॉडल के नाम पर बताया जा रहा है। दिल्ली में आप की सरकार है जिसने कई सुधार किए है जिसके बाद पंजाब की जनता ने इस बार बीजेपी और कांग्रेस को छोड़ तीसरे विकल्प को चुना है हालांकि इस बार आम आदमी पार्टी के लिए खास यह होगा कि पंजाब में वह एक ऐसी सरकार चलाएगा जो पूर्ण रूप से उनके अधिकार में होगी ।
जबकि दिल्ली केंद्र शासित होने की वजह से राज्य सरकार के पास सभी अधिकार नहीं होते हैं। दिल्ली की जनता को केजरीवाल ने सीधे तौर पर फायदा दिया और दिल्ली के दिल में बैठ गये। केजरीवाल ने यही फार्मूला पंजाब में भी चलाया और कामयाब रहे। बिजली, पानी और महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा, गरीब जनता को पूरे महीने का राशन सहित तमाम केजरीवाल की योजनाओं ने काम किया और नतीजा वह दिल्ली के बाद पंजाब में भी सरकार बनाने में कामयाब रहे। हालांकि उनका यह फार्मूला बाकी राज्यों में नहीं चला और बहुत की बड़े अंतर से उन्हें हारना पड़ा।
पंजाब में जीत की एक वजह यह भी थी कि वहां लम्बे समय से कांग्रेस सत्ता में थी लेकिन जनता उनके कार्यकाल में खुश नहीं थी इसके साथ ही चुनाव से पहले ही पंजाब कांग्रेस में भारी उथल पुथल देखने को मिलने लगी। पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने पार्टी और पद दोनों से इस्तीफा दे दिया। सिद्धू और चन्नी के पंजाब चुनाव में एंट्री के बाद सियासत में और भी उथल पुथल देखने को मिलने लगी जिसके बाद जनता ने दूसरा विकल्प तलाशना शुरु कर दिया और आम आदमी पार्टी इसके लिए नजर आयी।
आम आदमी पार्टी के लिए पंजाब की जीत एक चुनौती लेकर आयी है क्योंकि दो बार दिल्ली की सत्ता संभाल चुकी आप सरकार के लिए पंजाब का अनुभव बिल्कुल अलग होने वाला है। दिल्ली की सत्ता में आधे की हकदार केंद्र होती है इसलिए राज्य सरकार पर अधिक दबाव नहीं होता है जबकि पंजाब में सत्ता से लेकर प्रशासन तक सब कुछ आम सरकार के हाथ में होगा और अभी तक आप के नेताओं के पास ऐसी सरकार चलाने का अनुभव नहीं है। ऐसे में उन्हें तमाम चुनौतियों के साथ गुजरना होगा।
पंजाब के साथ एक अलग ही चुनौती बार्डर राज्य की भी है इसलिए यहां सीमा का ख्याल भी रखना होता है वरना पड़ोसी दुश्मन पाकिस्तान कभी भी पंजाब के रास्ते देश में घुसपैठ कर सकता है। आप के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार भगवंत मान भी अनुभवहीन है इसलिए उन्हें भी सब कुछ समझने के लिए थोड़ा समय लगेगा। वहीं भगवंत मान एक और इतिहास रचने जा रहे है कि वह मुख्यमंत्री पद की शपथ राजभवन में नहीं बल्कि शहीद भगत सिंह के गांव खटकर कलां में लेंगे।