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इस तरह चीन को घेर रहा भारत

इस तरह चीन को घेर रहा भारत

by हिंदी विवेक
in तकनीक, देश-विदेश, विशेष
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हाल ही में एक खबर आई थी कि नाइजीरिया ने अपने तटीय क्षेत्र की सुरक्षा के लिए भारत से शिवालिक श्रेणी की 940 मिलियन डॉलर में 6 फ्रिगेट खरीदी। इसके पहले एक और खबर सामने आई थी कि ब्रह्मोस मिसाइल के लिए फिलीपींस तो स्वदेश निर्मित तेजस के लिए मलेशिया से बात की जा रही है। यानी कि कभी भारी मात्रा में हजारों करोड़ों डॉलर खर्च करके हथियार खरीदने वाला भारत अब दूसरे देशों को हथियार बेच रहा है। एक आंकड़ों के अनुसार भारत दुनिया के 7 देशों को रक्षा उपकरणों का निर्यात कर रहा है। यानी अब भारत भी हथियार निर्यातक देश बन चुका है। इससे देश को दो तरह से फायदा हो रहा है, पहला, देश में विदेशी मुद्रा आ रही है दूसरा, भारत की साख भी विश्व में स्थापित हो रही है।

इसके पहले इस तरह की ख़बरें कम ही सामने आती थीं, हालांकि यह बदलाव रातोंरात नहीं हुआ। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब 2014 में देश की सत्ता संभाली थी, तब भारत आर्थिक दृष्टिकोण से अन्य देशों पर अधिक निर्भर था। पीएम मोदी ने देश को आगे बढ़ाने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत की। उनका उद्देश्य घरेलू विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाना था। अब मोदी सरकार के नेतृत्व में देश इस स्थिति में पहुंच गया है कि भारत दुनिया के 7 देशों को रक्षा उपकरणों का निर्यात कर रहा है। एक समय में सबसे ज्यादा रक्षा उपकरणों का आयात करने वाला भारत अब रक्षा उपकरणों के निर्यात के क्षेत्र में महाशक्ति के रुप में उभरा है। अगर इसे रणनीतिक दृष्टिकोण से देखा जाए, तो भारत दक्षिण पूर्व एशिया में चीन के दुश्मनों को घातक हथियार प्राथमिकता के आधार पर बेच रहा है।

हालांकि अभी भी भारत उन्नत हथियार के लिए दूसरे विकसित देश पर निर्भर है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश ने घरेलू रक्षा निर्माण उद्योग के भीतर होने वाले गतिविधियों में तेजी दिख रही है। ‘मेक इन इंडिया’ के तहत, मोदी सरकार लगातार भारत के रक्षा उद्योग को मजबूत कर रही है और अब इसके परिणाम विभिन्न देशों से भारत द्वारा रक्षा सौदा करने वाले देश के रूप में सामने आ रहा है। इससे भारत ‘महाशक्ति’ बनने के पथ पर भी अग्रसर हो चला है।

इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ‘भारत रक्षा निर्यात में शीर्ष 25 देशों में शामिल है।‘ वहीं रक्षा मंत्रालय की मानें तो भारत ने पिछले 8 वर्षों में 39 हजार करोड़ से अधिक के रक्षा उत्पादों का निर्यात किया है. और जिस दिशा में यह बढ़ रहा है उससे यही लगता है कि देश जल्द ही शुद्ध निर्यातक बन जाएगा।

भारत के रक्षा सचिव अजय कुमार ने रक्षा संबंधी स्थायी समिति को बताया कि, ‘अन्य देशों या मेक इन इंडिया के तहत खरीदी गई वस्तुओं की गुणवत्ता के मानकों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। जिसके बाद समिति ने रक्षा सचिव के की बातों पर ध्यान देते हुए मंत्रालय से मेक इन इंडिया पहल के तहत देश में बनने वाले उत्पादों की गुणवत्ता की सख्त रूप से निगरानी की जानी चाहिए ताकि देश की सेनाएं विश्वस्तरीय उत्पादों से लैस हो सके।

समिति ने कहा है कि पिछले 3 वर्षों में सशस्त्र बलों के लिए देश में बने उपकरणों, हथियारों की गुणवत्ता और मानकों के संबंध में अगर कोई शिकायत है तो वह शीघ्र ही समिति को भेजी जानी चाहिए। समिति ने सिफारिश की है कि रक्षा अनुसंधान और विकास के लिए आवंटित निधियों का पूर्ण और विवेकपूर्ण ढंग से उपयोग सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं।

गौरतलब है कि मोदी सरकार धीरे-धीरे ही सही भारतीय रक्षा उद्योग के ढांचे में आमूलचूल परिवर्तन ला रही है। टाटा और अडानी जैसी बड़ी निजी कंपनियां भी अब इस क्षेत्र में अपनी दिलचस्पी दिखा रही हैं। जिसके बाद अब सरकार का ध्यान स्वदेशी रक्षा स्टार्टअप पर है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि रक्षा मंत्रालय की ऐसे स्टार्टअप से उपकरण खरीदने की बड़ी योजना है। इस बारे में  वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी इस बार के बजट में घोषणा करते हुए कहा था कि, रक्षा स्टार्टअप के लिए पूंजीगत व्यय का 68 फीसदी भारतीय कंपनियों को जाएगा।

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Tags: atmanirbhar bharatexporthindi vivekindianmade in indiamake in indianigeriashivalik rangeweapons

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