हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
कश्मीर में चुनाव से क्यों परेशान है आतंकी संगठन?

कश्मीर में चुनाव से क्यों परेशान है आतंकी संगठन?

by हिंदी विवेक
in ट्रेंडींग, राजनीति
0

जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35A हटने के बाद से आतंकी संगठनों की कमर टूट चुकी है इसी बीच अब यह भी खबर चल रही है कि घाटी में चुनाव हो सकते हैं। सरकार कश्मीर को बहुत तेजी से डेवलप कर रही है और उसे देश की मुख्यधारा से जोड़ना चाहती है ताकि वहां पर आतंकी संगठनों की पकड़ कमजोर हो जाए और यहां के लोग भी विकास कर सके लेकिन चुनाव की खबरों के बाद एक बार फिर आतंकी संगठन कुछ लोगों को अपना निशाना बना रहा हैं।

दक्षिण कश्मीर में तीन सरपंचों की हत्या कर दी गयी और यह संदेश देने की कोशिश की गयी कि अगर चुनाव हुए तो हालात ठीक नहीं होंगे। 2018 में हुए पंचायत चुनाव के जनप्रतिनिधि खौफ में जी रहे हैं जिसके बाद संसद में सरकार की तरफ से कहा गया कि घाटी के जनप्रतिनिधियों को घर और सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी। यानी सरकार भी यह साफ कर रही है कि घाटी में चुनाव होंगे और किसी भी प्रतिनिधि को डरने की जरुरत नहीं है उन्हें सरकार की तरफ से पूरी सुरक्षा दी जायेगी।

देश के बाकी राज्यों में हुए चुनाव में बीजेपी को अच्छा बहुमत मिला है जिससे उसका हौसला बढ़ा है और वह चाहती है कि घाटी में भी चुनाव कराए जाएं जबकि आतंकी सरपंचों की हत्या कर यह बताना चाहते हैं कि वह किसी भी हाल में चुनाव नहीं होने देंगे। 7 मार्च को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने घाटी का दौरा किया और अपने कार्यकर्ताओं को चुनाव के लिए तैयार रहने को कहा, नड्डा ने कहा कि चुनाव के ऐलान तक रुकने की जरूरत नहीं है और आप सभी अभी से पार्टी के प्रचार प्रसार में लग जाएं। सरपंच लोकतंत्र का सबसे निचला पायदान होता है और आतंकी उनकी हत्या कर दहशत फैलाना चाहते हैं।

घाटी में पिछले 10 सालों में 24 सरपंचों की हत्या की जा चुकी है जिसका डर 2018 के चुनाव में देखने को मिला और अधिकतर सीटें खाली रह गयी जिस पर 2020 में फिर से उप-चुनाव हुए और सीटें पूरी की गयी लेकिन एक के बाद एक पंच और सरपंच को आतंकियों ने अपना निशाना बनाया जिससे घाटी में भय का माहौल तैयार हो गया। सरकारी सुरक्षा में रहने वाले जनप्रतिनिधियों का कहना है कि उन्हें इस तरह से कैद में होना अच्छा नहीं लग रहा है क्योंकि वह न तो अपने परिवार से मिल पा रहे हैं और ना ही उस जनता की सेवा कर पा रहे हैं जिन्होंने उन्हें इस पद पर बिठाया है।

केंद्र सरकार की तरफ यह साफ कर दिया गया है कि जम्मू और कश्मीर में परिसीमन के बाद ही चुनाव कराया जाएगा जबकि परिसीमन आयोग ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट पेश कर दी है। अब किसी भी समय घाटी में चुनाव का ऐलान हो सकता है इसलिए आतंक के आकाओं की चिंता बढ़ गयी है और वह किसी भी हाल में चुनाव रोकने की कोशिश में लगे हुए है हालांकि मुश्किल इस बात की भी है कि सेना भी तैयार है अगर आतंकी चूके तो सेना उन्हें ढेर कर दे रही है। आंतकियों के लिए इस समय एक तरफ कुआं और दूसरी तरफ खाई वाली स्थिति पैदा हो गयी है फिर भी आतंकी किसी हाल में आतंक का डर कायम रखना चाहते हैं क्योंकि अगर कश्मीर से आतंक खत्म हुआ तो उनकी दुकान बंद हो जायेगी और उन्हें पाकिस्तान भी फंडिग करना बंद कर देंगा।

केंद्र सरकार की तरफ से घाटी की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है इसलिए ही गृह मंत्री अमित शाह का 6 महीने में घाटी का दूसरा दौरा हो गया है। इस दौरान अमित शाह की केंद्रीय सुरक्षा एजेंसी और सूचना एजेंसी के अधिकारियों के साथ बैठक हुई जिसमें घाटी की सुरक्षा को लेकर चर्चा की गयी। केंद्र सरकार की तरफ से पहली बार CRPF का स्थापना दिवस का कार्यक्रम घाटी में आयोजित किया गया और आतंकियों को यह संदेश दिया गया कि सरकार घाटी को मुख्यधारा से जोड़ चुकी है और यहां से आतंकियों का डर खत्म हो चुका है। आप को बता दें कि सीआरपीएफ की सबसे अधिक तैनाती जम्मू और कश्मीर में की गयी है और सुरक्षाबल के जवान यहां आतंकियों से सीधा लोहा लेते हैं।

2014 के बाद से घाटी में लगातार हालात बेहतर हो रहे है और आतंकियों का तेजी से खात्मा किया जा रहा है जिसका डर अब आतंकी संगठनों में दिखने लगा है। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार पिछले दो सालों में घुसपैठ की 176 प्रयासों को नाकाम किया गया है और 31 आतंकियों को गोली मारी गयी है। खुद को मजबूत साबित करने के लिए आतंकी टारगेट किलिंग कर रहे है और प्रतिष्ठित लोगों को अपना निशाना बना रहे हैं। हालांकि सुरक्षाबलों की तरफ से इसका बदला भी लिया जा रहा है। अगर आतंकियों पर पूरी तरह से नकेल कस दी गयी और घाटी में चुनाव होते हैं तो आने वाले समय में घाटी दुनिया के स्वर्ग में से एक होगा।

 

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: election in jammu and kashmirjammuKashmirterrorismterrorist organization

हिंदी विवेक

Next Post
स्कूलों में भगवत गीता की पढ़ाई हो अनिवार्य!

स्कूलों में भगवत गीता की पढ़ाई हो अनिवार्य!

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0