गीता उस महाभारत का हिस्सा है जिसका युद्ध 18 दिनों तक चला था और इस युद्ध ने इतिहास रच दिया लेकिन इस युद्ध के बीच से निकली यह गीता हमें नैतिकता, समाज कल्याण और हमारे कर्तव्यों के बारे में बताती है। गीता हमें यह बताती है कि हमें समय समय पर अपने दायित्व का निर्वाह करना चाहिए, धर्म के लिए हमेशा खड़े रहना चाहिए, भगवत गीता हमें बताती है कि हमें अपना कार्य करते रहना चाहिए फल की चिंता नहीं करनी चाहिए वह समय पर अपने आप मिल जायेगा। हम जो भी कर्म करते हैं वह फिर से लौटकर हमारे साथ होने वाले हैं इसलिए हमेशा अच्छे कर्म करना चाहिए। गीता के नियमित पाठ करने से मन शांत होता है और नकारात्मक विचार नष्ट होते हैं।
इस बात से कम लोग ही सहमत होंगे कि स्कूलों में गीता पढाई जाए और उसका सिर्फ एक ही कारण है वह है राजनीति। दरअसल देश में अब राजनीति हर क्षेत्र में पहुंच चुकी है और इसलिए सरकार के सभी फैसलों को राजनीति से जोड़ कर देखा जाता है। गुजरात सरकार की तरफ से यह ऐलान किया गया है कि शैक्षणिक सत्र 2022-23 से कक्षा 6 से लेकर 12वीं तक के छात्रों को गीता का पाठ पढ़ाया जाएगा। कक्षा 6 से लेकर 8वीं तक गीता को नैतिक शिक्षा का हिस्सा बनाया जाएगा जबकि 9वी से 12वीं कक्षा तक प्रथम भाषा वाली किताबों में शामिल किया जाएगा। सिर्फ गीता के लिए अलग से कोई विषय या पुस्तक नहीं होगी इसे अलग अलग विषयों में जोड़ा जाएगा जिससे छात्रों पर किसी तरह का बोझ ना पड़े। गुजरात सरकार की तरफ से यह दलील दी गयी है कि गीता के माध्यम से हम देश की संस्कृति के बारे में अपनी आने वाली पीढ़ियों को जानकारी देंगे।
गुजरात सरकार के फैसले का सोशल मीडिया पर समर्थन और विरोध दोनों हो रहा है। सभी लोग अपना अपना तर्क दे रहे हैं जिसमें कुछ राजनीति से प्रेरित भी है। दरअसल गीता का अध्ययन करने से किसी को भी परेशानी नहीं है लेकिन यह बीजेपी के शासनकाल में शुरु हो रहा है और बीजेपी शासित राज्य से इसकी शुरुआत हो रही है तो ऐसे में विपक्षी दलों को इस बात का डर होता है कि अगर यह योजना सफल हो गयी तो उसका श्रेय बीजेपी को चला जाएगा। विपक्षी दलों का यह आरोप है कि गीता के शामिल होने से छात्रों में विभाजन की स्थिति पैदा हो सकती है जबकि गीता का पाठ ऐसा है कि उसे पढ़ने वाले दूसरे धर्म के बच्चों में भी नैतिकता और सेवा का भाव पैदा हो जायेगा। किसी भी सिक्के के हमेशा दो पहलू होते हैं अब आप को देखना कौन सा वाला है यह आप पर निर्भर करता हैं ऐसे ही स्कूलों में गीता की शुरुआत करना भी है अब आप इसे किस तरह से लेना चाहते हैं यह आप पर निर्भर करता है।
गुजरात के बाद अब कर्नाटक सरकार की तरफ से भी यह कहा गया है कि मुख्यमंत्री से इस विषय को लेकर बात चल रही है और अगर सब कुछ ठीक रहा तो कर्नाटक में भी गीता को पाठ्यक्रम में शामिल कर दिया जाएगा। कर्नाटक सरकार के एक मंत्री ने यहां तक कह दिया है कि गीता को पूरे देश के स्कूलों में पढ़ाया जाना चाहिए।
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