नरेंद्र मोदी ने जब से सत्ता संभाली तभी से उनका विरोध भी शुरू हो गया और वह अभी तक निरंतर जारी है। ममता बनर्जी, शरद पवार और सोनिया गांधी विरोध के मुख्य किरदार है जबकि बाकी छोटे तमाम दल भी इनके साथ हैं जो अपनी सुविधानुसार आते और जाते रहते हैं। सोनिया गांधी मुख्य विपक्षी दल हैं तो उनका विरोध लगातार जारी है जबकि शरद पवार का किरदार सभी को समझ पाना मुश्किल है। शरद पवार ने बहुत पहले ही कहा था कि वह बीजेपी या मोदी विरोधी किसी गठबंधन का नेतृत्व नहीं करेंगे हालांकि वह अपनी तरफ से पूरा सहयोग देंगे, मतलब साफ है कि वह सामने से नहीं आना चाहते हैं जबकि सियासी गणित को ठीक करने के लिए वह पीछे से मदद करने के लिए तैयार हैं। बीजेपी को सत्ता से सभी हटाना चाहते हैं लेकिन नेतृत्व कौन करेगा इस पर सहमति नहीं बन पा रही है।
हाल ही में हुए पांच राज्यों के चुनाव में जीत का श्रेय मोदी को ही दिया गया और मतदाताओं ने कहा कि वह वोट बीजेपी को नहीं बल्कि मोदी व योगी को दे रहे हैं। मतदाताओं को यह पता है कि 2024 में फिर से लोकसभा का चुनाव है ऐसे में राज्य में सीटें कम नहीं होनी चाहिए, 2024 में मोदी को फिर से पीएम के पद पर बिठाना है। विपक्षी दलों ने तमाम मुद्दे इस चुनाव में उठाए और बीजेपी की जमकर आलोचना भी की लेकिन जनता ने उसे नकार दिया। विपक्ष ने महंगाई का भी मुद्दा उठाया लेकिन वोटरों ने यह कह कर नकार दिया कि हम महंगा सामान ले लेंगे लेकिन वोट बीजेपी को ही देंगे, ऐसा कहने वाले लोग क्या अज्ञानी थे? दरअसल उन्हें यह पता है कि देश और देश की जनता अब मोदी के हाथों ही सुरक्षित है इसलिए वह महंगाई से समझौता करने के लिए तैयार है लेकिन देश से समझौता नहीं कर सकते है। अब राजनीति में महंगाई मुद्दा रह ही नहीं गया अब लोगों को राष्ट्रवाद और हिंदुत्व दिखाई दे रहा है।
मोदी की राजनीति बाकी सभी दलों से बिल्कुल अलग है ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि जब मोदी को केंद्र की सत्ता में लाया जा रहा था तब उनका विरोध और समर्थन करीब बराबर की संख्या में था लेकिन समय के साथ यह विरोध कम होता गया और अब मात्र एक औपचारिक हो कर रह गया। मोदी की राजनीति और विकास के कार्यों ने सभी का मुंह बंद कर दिया। अब पूरे देश की जनता मोदी के कार्यों और उनके दूरदर्शी सोच की तारीफ करती है। मोदी की छवि को कभी विश्व स्तर पर भी खलनायक के तौर पर पेश किया गया था लेकिन अपनी विदेश नीति और भाषण की वजह से वह विदेशों में भी लोगों का दिल जीतने में कामयाब रहे। गांव के एक किसान से लेकर नौकरशाह तक सभी मोदी के कार्यकाल में खुश हैं। यह किसी फिल्म का सीन नहीं है जिसे अपने मनमुताबिक तैयार किया है यह एक वास्तविक जीवन की फिल्म हैं जहां सभी को खुश करना पानी में तस्वीर बनाने से कम नहीं हैं लेकिन अपनी प्रतिभा की बदौलत मोदी ने वह कर दिखाया है।
मोदी को राजनीति विरासत में नहीं मिली थी, ना ही वह किसी राजघराने से हैं जो उन्होंने सब कुछ सीखा हो, उन्होंने जब केंद्र की सत्ता संभाली तो बीजेपी की हालत चिंताजनक थी। पार्टी के अंदर अंतर्कलह अपनी चरम पर था और पार्टी अपनी लोकप्रियता तेजी से खोती जा रही थी लेकिन मोदी ने आते ही पार्टी को पटरी पर ला दिया। सभी के साथ संतुलन से काम किया गया और जिस नेता को जो भी जिम्मेदारी मिली उसने भी बिना किसी विरोध से उसे स्वीकार किया। पिछले करीब 8 सालों से पार्टी में सब कुछ ठीक चल रहा है कहीं पर भी विरोध के सुर नहीं सुनाई देते हैं और सभी मोदी जी को अपना आदरणीय नेता मानते हैं। इसी संगठन शक्ति की बदौलत मोदी ने राम मंदिर, अनुच्छेद 370, विश्वनाथ कॉरिडोर जैसे कामों को पूरा किया और अभी ना जाने उनके मन में कौन कौन से काम चल रहे हैं।