ट्राय के घोड़े की कहानी विश्व प्रसिद्ध है। लगभग हर पढ़े-लिखे इंसान ने कभी ना कभी यह कहानी पढ़ी या सुनी है। ट्राय के अभेद्य किलेबंदी को तोड़ने के लिये युद्धरत एथेंस वासियों ने युद्ध से पीछे हटने का दिखावा किया और एक बहुत बड़ा लकड़ी का घोड़ा उपहार स्वरूप रख गये। ट्राय वाले उसे किले के अंदर ले गये, लेकिन उसमें छुपे योद्धाओं ने रात को किले के दरवाजे को खोल दिया। घोड़े के अंदर छुपे हुए छुपे यूनानियो ने अविजित ट्राय का सर्वनाश कर दिया। यह महागाथा महान यूनानी कवि होमर ने लिखी है।
यह अश्व एक पुतला ना होकर एक रणनीती थी, जो तब से लेकर आज तक सदियों से खेली जाती रही है। ट्राय का वो महान अश्व लकड़ी का बना था पर हर बार वो लकड़ी का बने यह जरूरी नही! आज कल वो ट्राय का घोड़ा मांस का भी बनने लगा है, मानव मांस का! वो भी उस वर्ग का जिसको देखकर अविजित शत्रुओं के मन में वैसे ही करूणा, दया, इंसानियत, पश्चाताप की भावनाओं का ज्वार उत्पन्न हो जैसे कभी अश्व को देख कर ट्राय के शासक वर्ग में अपने विजयी होने की गलतफहमी भर गई थी!
कुछ समय पहले ट्राय का घोडा तब छोड़ा गया, जब आइसिस ने सीरिया और इराक में ‘निजाम ए मुस्तफा’ कायम किया। खून और बारूद के ढेर लग गये! सारी उम्मत अपने हम मजहब सऊदी अरब न जाकर यूरोप की तरफ भागी, किन्तु यूरोप की सीमा नहीं पार कर पाई। तब तुर्की के समुद्री तट पर एक सीरियन बच्चे ‘अयान कुर्दी’ के रूप मे ट्राय का घोड़ा छोड़ा गया। अति-लिबरल और मानवतावादी यूरोप पश्चाताप के विलाप में डूब गया और शरणार्थियो के लिये यूरोप की सीमाएं खोल दी गईं। लोगों ने अपने घरों में सीरियन्स को जगह दी और उसके बाद यूरोप ने जो भोगा वो सर्वविदित है! जिन लोगो ने उन्हें अपने घरों में शरण दी, शरणार्थियों ने उनकी ही बच्चियों और पत्नियों के साथ बलात्कार किया!
शरणार्थियों ने राह चलती औरतो के साथ बत्तमीजियां शुरू कर दी! जगह-जगह शरिया की मांग की जाने लगी, और शरण देने का सबसे सुंदर रिटर्न गिफ्ट, शरणार्थियो ने जो यूरोप को दिया वो था ‘तहर्रूश जमई’ और ‘लौंडा नाच’! राह चलती औरतों को घेरकर उनका बलात्कार किया जाता! चार-पांच लोग यह कुत्सित कार्य करते, बांकी चाकू और लाठी के बल पर औरत को बचाने वाले लोगों को रोकते। यह ड्यूटी बदलती रहती जब तक पूरी भीड़, उस औरत का उपभोग ना कर लेती!
खैर छोड़िये विदेश की बातें! अभी परसों नरसों जम्मू के कठुआ में भी शायद ट्राय का घोड़ा छोड़ा गया है! एक कश्मीरी मुसलमान आठ वर्षीय लड़की नाजिया (बदला हुआ नाम) के रूप में! हालांकि नाजिया का बलात्कार जनवरी 2018 में हुआ। हमारा मकसद बलात्कार का समर्थन करना नहीं है, और कोई भी व्यक्ति इसका समर्थन नहीं कर सकता, लेकिन जिस तरह तीन महीने पुराने एक मामले को आज उछाला गया है, और जिस तरह से लेफ्ट लिबरल जमात राष्ट्रवादियों व हिंदू समुदाय को टारगेट कर रहा है, वह कहीं न कहीं ट्राय के घोड़े की कहानी की याद दिलाता है!
जम्मू की हिन्दु बहुलता को खत्म करने के लिये रोहिंग्याओ को जम्मू में बसाया जा रहा था। विगत कुछ दिनों से इसके खिलाफ जम्मू के हिन्दु आवाज उठाने लगे थे! रैलियां, बंद इत्यादि के जरिए सार्वजनिक मंचो पर बात उठाई जाने लगी थी। हालात काबू से बाहर होते देख कर शायद ट्राय का घोड़ा छोड़ दिया गया! तो क्या उस बच्ची का बलात्कार करके एक मंदिर के अंदर उसकी लाश रख दी गई थी?
बस फिर क्या था सारे लिबरल, वामपंथी, शांतिप्रिय, मीडिया, राजनेता, साहित्यकार देश में हिन्दु चरम पंथ के उद्भव के कारण अल्पसंख्यक, दलित और स्त्रियों पर हो रहे जुल्म ज्यादतियों का नारा बुलंद करने लगे! ट्विटर पर हिंदुओं को गाली देने की बाढ़ आ गयी। नीरा राडिया के टेप में जितने भी कांग्रेस के दलाल कैद थे, प्रकट हो गये! ‘कैश फॉर वोट’ का वीडियो दबाने वाला अपनी पत्रकार पत्नी के साथ मिलकर हिंदुओं के खिलाफ अभियान चलाने लगा! हिंदु राष्ट्रवादी बंधुवर उसी करूणा, दया और सबसे ज्यादा पश्चाताप के ज्वार से सराबोर हो क्षमावाणी उच्चारने लगे!
मंदिर में लाश मिली है तो हिन्दुओ ने ही किया होगा? शांतिप्रिय इलहामी तो बेचारे ऐसा कुछ नहीं कर सकते? देख लीजिये, हर तरफ राष्ट्रवाद के झंडाबरदार पश्चाताप की मुद्रा मे रूदन कर रहें हैं। अपना मूल उद्देश्य छोड़कर सब ट्राय के घोड़े के अनुगामी हो गये हैं!
जम्मू में बसे रोहिंग्याओ की अवैध बस्ती भूल गये! हर गैर कानूनी और देशविरोधक कामों में उनकी संल्गनता भूल गये! पाकिस्तानी और कश्मीरी आतंकवादियो से उनकी गलबहियें भूल गये! याद रहा तो बस मंदिर और उसमे पड़ी लाश या कहे ट्राय का घोड़ा! सब गिल्टी कॉंशियस है! दस साल के अंदर जम्मू से हिन्दू पलायन शुरू होगा! लिखा कर रख लीजिये, पर इससे अभी किसी को कोई मतलब नही, सब मगन हैं और ट्राय का घोड़ा सरपट दौड़ा चला जा रहा है!