पुणेवासियों ने अनुभव किया क्रांति का रोमांचक इतिहास

‘स्वातंत्र्याचा क्रांतियज्ञ’ महानाट्य को बालकों से लेकर बुजुर्गों का भारी प्रतिसाद
पुणे, 18 जून सफेद घोड़े पर सवार होकर मंच पर अवतीर्ण होने वाली झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, भगवान बिरसा मुंडा, क्रांतिवीर उमाजी नाइक और वस्ताद लहूजी सालवे, लाठी-काठी और तलवारबाजी का प्रदर्शन और इन सबके अंत में ‘गोंद्या आला रे …’ का इशारा और फिर अत्याचारी अंग्रेज अफसर रैंड को गोली मारकर उसका किया हुआ अंत…ऐसी कई रोमांचक घटनाओं से भरे महानाट्य ‘स्वातंत्र्याचा क्रांतियज्ञ’ का शनिवार (18 जून) को 15,000 से 20,000 पुणेवासियों ने साक्षात् अनुभव लिया। अवसर था स्वतंत्रता का अमृत उत्सव और चापेकर बंधुओं के पराक्रम के 125वें वर्ष का। शिक्षण प्रसारक मंडली और स्वातंत्र्याचा अमृत महोत्सव समारोह समिति, पुणे महानगर की ओर से स. प. कॉलेज मैदान के प्रांगण में आयोजित महानाट्य में स्कूली छात्र-छात्राएं, नागरिक, युवा और बुजुर्गों ने उपस्थित होकर हर एक प्रसंग की दिल से सराहना की।

इतिहास प्रेमी मंडल द्वारा प्रस्तुत इस नाटक का लेखन व निर्देशन मोहन शेटे ने किया जबकि वैशाली इनामदार और अभिषेक शालू ने सह-निर्देशन किया था। लगभग 125 कलाकारों, भव्य रंगमंच, नृत्य और संगीत और वास्तविक घटना की लाइव सेटिंग का अनुभव इसमें दर्शकों को मिला। दामोदर, बालकृष्ण और वासुदेव चापेकर इन तीन भाइयों द्वारा किए गए रैंड वध की 100वीं वर्षगांठ के अवसर पर सन् 1997 में इस नाटक का मंचन किया गया था। अब इस घटना की 125वीं वर्षगांठ के अवसर पर इसका फिर से मंचन किया किया गया। इसमें चापेकर भाइयों के साथ-साथ उनके पूर्ववर्ती और बाद के क्रांतिकारियों के काम पर रोशनी डाली गई है। इसके अलावा शाहीर हेमंत मावले का पोवाड़ा गायन, राष्ट्रीय कीर्तनकार चारुदत्त आफले का कीर्तन और राहुल सोलापुरकर का निवेदन भी इस महानाट्य में सुना गया.

चापेकर बंधुओं के वंशजों का सम्मान
इस महानाट्य के मंचन से पहले चापेकर बंधुओं के परिवार के वंशज मंच पर उपस्थित थे। इस अवसर पर चापेकर परिवार के सदस्यों का रा. स्व. संघ के चे प्रांत संघचालक नाना जाधव, पुणे महानगर संघचालक रवींद्र वंजारवाडकर व शिक्षण प्रसारक मंडली के एस.के. जैन के हाथों सम्मान किया गया। महानाट्य समिति के संयोजक रवींद्र शिंगणापुरकर व शिक्षण प्रसारक मंडली के ट्रस्टी पराग ठाकुर मंच पर उपस्थित थे। इस अवसर पर स्वतंत्रता सेनानी दामोदर हरि चापेकर की पोती-बहू प्रतिभा प्रफुल्ल चापेकर, बालकृष्ण चापेकर की पड़पोती बहू श्रीमती अनुया चापेकरी, श्री. राजीव चापेकर, पड़पोती श्रीमती मंजिरी गोडसे व श्रीमती सोनल जोशी उपस्थित थी। ‘गर्जली स्वातंत्र्य शाहिरी’ पुस्तक के लेखक वि. श्री. जोशी के पुत्र चंद्रशेखर जोशी को भी सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर बोलते हुए एड्. एस.के. जैन ने कहा कि यह कार्यक्रम युवा पीढ़ी को देशभक्ति और बलिदान के बारे में जागरूक करने के लिए आयोजित किया गया है। छात्रों को सही इतिहास पता होना चाहिए। सही इतिहास का ज्ञान होने पर किसी को आजादी के लिए फिर से बलिदान करने की आवश्यकता नहीं है।लेकिन देश के लिए कुर्बानी देने वाले चापेकर बंधुओं जैसे कई देशभक्त इससे तैयार होंगे। इसलिए इस तरह की और गतिविधियां होनी चाहिए।

श्री. रवींद्र वंजरवडकर ने कहा कि भारत का आज का काल महत्वपूर्ण है। हमारा देश विश्व पटल पर आगे बढ़ रहा है। भारत का स्वतंत्रता संग्राम समाज के सभी वर्गों का संघर्ष है। जिस तरह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम ब्रिटिश शासन के खिलाफ था, वैसे ही वह दुनिया की सभी औपनिवेशिक शक्तियों के खिलाफ था। इतिहास में कुछ उल्लेख होते हैं, कुछ नहीं होते हैं। लेकिन यह महानाट्य ऐसे अज्ञात क्रांतिकारियों के लिए हमारे मन में कृतज्ञता पैदा करेगी।
रवींद्र शिंगणापुरकर ने धन्यवाद दिया और पराग ठाकुर ने सूत्रसंचालन किया। नाटक के निर्देशक मोहन शेटे, सहायक निर्देशक वैशाली इनामदार और अभिषेक शालू, महानाट्य की समन्वयक वर्षा न्यायाधीश, प्रबंधक, कलाकार और बैकस्टेज रंगकर्मी को गणमान्य अतिथियों के हाथों द्वारा सम्मानित किया गया।

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