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जब ब्राजील ने जर्मनी की दीवार ढहा दी 

जब ब्राजील ने जर्मनी की दीवार ढहा दी 

by धर्मेन्द्र पाण्डेय
in खेल, देश-विदेश, विशेष, व्यक्तित्व, सामाजिक
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कान के निचले हिस्से से भी दो इंच तक की कलमों वाला यह खिलाड़ी अपनी टीम को लगभग अपने बूते पर फाइनल में लेकर आया था। वह तो लीग मैच में आयरलैंड के रोबी कीन ने पता नहीं कहां से दीवार में हल्की सी छेंद कर दी थी वरना दुनिया भर की सारी आंधियां इससे टकराकर वापस लौट जाती थीं।

जी हां! ऐसा ही कुछ हुआ था उस दिन। 30 जून 2002। पूरी दुनिया के डेढ़ अरब फुटबाल बावले टीवी के सामने जमे बैठे थे। इनके अलावा 69029 खुशकिस्मत योकोहामा के इंटरनेशनल मैदान के अंदर बैठकर दीवार को ढहते और इतिहास बनते देख रहे थे।  हम भारतीयों के हिस्से की ख़ुशी इतनी ही थी कि फीफा पहली बार एशिया में वर्ल्डकप आयोजित करवा रहा था। हम सबने अपने-अपने मन की टीमें और खिलाड़ी चुन लिए थे। कभी-कभी तो खिलाड़ियों और टीम के फेवरेटपना का क्लैश भी हो जा रहा था। अगर खुद की ही बात करूं तो मेरी फेवरेट टीम तो ब्राजील थी पर उस वर्ल्डकप में मैं जर्मनी की उस दीवार का फैन हो गया था। ओलिवर काह्न।  शायद उसके पीछे सबसे मजबूत कारण मेरा राहुल द्रविड़ का जबरा वाला फैन होना हो! हिंदी अख़बारों की किरपा से बहुत समय तक तो हम लोग उसे ओलिवर कान समझते रहे थे।

कान के निचले हिस्से से भी दो इंच तक की कलमों वाला यह खिलाड़ी अपनी टीम को लगभग अपने बूते पर फाइनल में लेकर आया था। वह तो लीग मैच में आयरलैंड के रोबी कीन ने पता नहीं कहां से दीवार में हल्की सी छेंद कर दी थी वरना दुनिया भर की सारी आंधियां इससे टकराकर वापस लौट जाती थीं।

पर असली इबारत तो 30 जून को लिखी जाने वाली थी।  उस दिन दुनिया के नंबर एक स्ट्राइकर रोनाल्डो और दीवार की तरह खड़े जर्मनी के कप्तान ओलिवर काह्न  के बीच खिताबी जंग के बीच दी बेस्ट साबित होने की भी दौड़ थी। फर्स्ट हाफ तक तो ऐसा लगा कि रोनाल्डो ने भी हार मार ली है। ओलिवर इस बार भी अम्बुजा सीमेंट खाकर बइठे थे। पर 67 वें मिनट में ब्राजील की आर तिकड़ी ने अपना कमाल दिखा ही दिया। आगे बढ़ने से पहले आर तिकड़ी के विषय में भी बताता चलूं। ब्राजील की उस विश्वविजयी टीम में आर तिकड़ी का मतलब रोनाल्डिन्हो, रिवाल्डो और रोनाल्डो की खतरनाक तालमेल से है। हां, तो मुख्य मुद्दे पर लौटते हैं। यानी खेल के ६७ वें मिनट पर, जब रिवाल्डो और रोनाल्डो ने ओलिवर के दिमाग के साथ खेला कर दिया। रिवाल्डो के गोल करने के छोटे से प्रयास को रोकने के चक्कर में दीवार डगमगाई और रोनाल्डो ने मौके को भुना लिया। पल भर का भी समय नहीं लगा और दीवार दरक गयी थी। ओलिवर हक्का-बक्का थे। ठीक बारह मिनट बाद क्लेबर्सन और रिवाल्डो ने रोनाल्डो को बेहतरीन पास दिया। उस मूव के बाद तो दीवार पूरी तरह से ढह गयी थी। और जर्मनी का वर्ल्ड चैम्पियन बनने का सपना भी।

हालांकि हर मुकाबला एक मैच मात्र ही होता है। कोई जीतता है। दूसरा हारता है।  पर एक टीस तो रह ही जाती है। जर्मनी के गले में भी यह टीस अगले बारह सालों तक फंसी रही। 2014  में उसने अर्जेंटीना को फाइनल में 1-0 और उससे पहले सेमीफाइनल में ब्राजील को 7-1 से बुरी तरह से हराकर खिताब अपने नाम किया। परंतु उस दिन रोनाल्डो ने  “King Kahn” नाम की दीवार ढहाकर इतिहास में अपना नाम दर्ज किया था और एशिया ने इतनी बड़ी प्रतियोगिता की मेजबानी करके। सनद रहे कि 2022 का फीफा का महाकुम्भ एशिया के ही छोटे से देश कतर में होने जा रहा है। उस टूर्नामेंट के दौरान 109 प्लेयर्स ने कुल 161 गोल किये। रोनाल्डो ने सबसे ज्यादा 8 गोल करके गोल्डन बूट पर निशाना साधा।

उस विश्वकप में भी 32 टीमों ने हिस्सा लिया था। पहली बार हर टीम के 23 खिलाड़ी थे जिसमें 3 गोलकीपरों को जगह मिली थी। फीफा वर्ल्डकप के इतिहास का सबसे तेज गोल भी उसी टूर्नामेंट में दागा गया जब तुर्की के हकन सुकुर ने मैच शुरू होने के 10.8 सेकेण्ड के भीतर ही गोल कर इतिहास में अपना नाम दर्ज करवा लिया। वैसे हकन इस समय सैन फ्रांसिस्को में टैक्सी चलाकर गुजारा कर रहे हैं क्योंकि 2017 में तुर्की के राष्ट्रपति तैयब अर्दगवान के खिलाफ टिप्पड़ी करने के कारण उनके खिलाफ अरेस्ट वारेंट जारी हो गया और उनकी सारी प्रॉपर्टी जब्त कर ली गयी।

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